चीन की कार्रवाइयों को प्रत्युत्तर देने के लिए भारत श्रीलंका के हवाई अड्डे की परियोजना में निवेश करेगा

नई दिल्ली/कोलम्बो: श्रीलंका पर वर्चस्व प्रस्थापित करके भारत को चुनौती देने की तैयारी करने वाला चीन और श्रीलंका पर अपना प्राकृतिक दबाव कायम रखने की कोशिश में लगा भारत, इन दोनों के बिच मुकाबला तीव्र हो गया है। चीन श्रीलंका में विकसित कर रहा हंबंटोटा बंदरगाह के पास स्थित मट्टाला हवाई अड्डा भारत के नियंत्रण में देने पर श्रीलंका की सरकार विचार कर रही है। लेकिन श्रीलंका का चीन समर्थक राजनितिक समूह इसका कड़ा विरोध कर रहा है।

हवाई अड्डाश्रीलंका व्यूहरचनात्मकदृष्टिकोण से महत्वपूर्ण इस हवाई अड्डे का नियंत्रण भारत के कब्जे में देकर भारत और चीन के साथ संबंध में संतुलन बनाए रखने की कोशिश कर रहा है। श्रीलंका जल्द ही यह हवाई अड्डा भारत के नियंत्रण में देगा, ऐसी खबर है। मट्टाला हवाई अड्डे के विकास के लिए लगनेवाला ७० प्रतिशत निवेश भारत करने वाला है। इसके बदले में यह हवाई अड्डा ४० साल के लिए किराए पर भारत के कब्जे में दिया जाएगा, ऐसी खबर है।

इसके पहले भारत के दबाव की वजह से श्रीलंका ने चीन के साथ किए हंबंटोटा बंदरगाह के संबंधी अनुबंध में बड़े बदलाव किए थे और बंदरगाह की सुरक्षा श्रीलंका के सुरक्षा दल के हाथों में ही रखी थी। इस वजह से इस बंदरगाह का इस्तेमाल नौसेना के अड्डे के तौर पर करने की चीन की चाल नाकाम हुई थी। उसके बाद हंबंटोटा के पास स्थित मट्टाला हवाई अड्डे का नियंत्रण अपने कब्जे में लेकर चीन को दूसरा झटका दिया जा सकता है। लेकिन इसे श्रीलंका के चीन समर्थक विपक्ष के नेताओंसे विरोध हो रहा है। श्रीलंका के भूतपूर्व राष्ट्राध्यक्ष महिंदा राजपक्षे ने अपने कार्यकाल में मट्टाला हवाई अड्डे का विकास और नियंत्रण चीन के कब्जे में देने का फैसला लिया था। वही अब इस हवाई अड्डे को भारत के कब्जे में देने को विरोध कर रहे हैं।

पिछले हफ्ते में राजपक्षे का लड़का नमल राजपक्षे के नेतृत्व में हिंसक प्रदर्शन हुए थे। बुधवार को भी भारतीय दूतावास के बाहर प्रदर्शन किये गए थे। उसके बाद श्रीलंकन पुलिस ने नमल राजपक्षे के साथ कई लोगों को कब्जे में लिया था। श्रीलंका ने इस हवाई अड्डे को भारत के कब्जे में दिया तो चीन और भारत के बिच खेल में श्रीलंका प्यादा बन जाएगा, ऐसा डर राजपक्षे ने व्यक्त किया है। अभी तक भारत ने इस बारे में कोई भी प्रतिक्रिया नहीं दी है। लेकिन जल्द ही श्रीलंका की सरकार इस बारे में निर्णय घोषित करेगी, ऐसा इस निर्णय को अभी से हो रहे विरोध की वजह से दिखाई दे रहा है।

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