भूटान-चीन के समझौते का भारत ने संज्ञान लिया है – भारतीय विदेश मंत्रालय की प्रतिक्रिया

नई दिल्ली – बीते कई दशकों से भूटान और चीन के सीमा विवाद की चर्चा गतिमान करने के लिए दोनों देशों ने गुरूवार के दिन समझौता किया था। भूटान और चीन के इस समझौते का भारत ने संज्ञान लिया है, ऐसा बयान भारत के विदेश मंत्रायल के सचिव अरिंदम बागची ने किया। भारत, भूटान और चीन की सीमाएं जहां पर एक-दूसरे से मिलती हैं उस डोकलाम में वर्ष २०१७ में भारत और चीन की सेनाएं आमने-सामने खड़ी थीं। भूटान की रक्षा का ज़िम्मा पूरी तरह से भारत उठाता है इसलिए चीन और भूटान के बीच हुए इस समझौते को भारत बारीकी से देखता है, यह भारतीय विदेश मंत्रालय ने दर्ज़ की हुई प्रतिक्रिया सूचक है।

भूटान-चीनभारत की मध्यस्थता के बगैर भूटान और चीन समझौता हो सकता है, ऐसा कहकर चीन के मुखपत्र ने इस समझौते पर संतोष व्यक्त किया। साथ ही भूटान और चीन के संबंधों से अब भारत को अलग किया जाएगा, यह दावा भी चीन के सरकारी मुखपत्र ने किया है। भूटान एक सार्वभौम देश होने के बावजूद इस देश की विदेश नीति और अन्य कारोबार भारत ही संभालता है, ऐसा कहकर यह भूटान के अधिकारों पर हुआ अतिक्रमण होने का आरोप भी चीन के मुखपत्र ने लगाया। लेकिन, भारत ने इसे अधिक अहमियत दिए बगैर सिर्फ दो देशों के समझौते पर अपनी नज़र होने का बयान किया है।

भूटान-चीन का सीमा विवाद वर्ष १९८४ से जारी है। इस पर बीते तीन दशकों से चर्चा हो रही है। इस चर्चा से ज्यादा कुछ हासिल नहीं हुआ है। ऐसी स्थिति में गुरूवार के दिन भूटान और चीन में वीडियो कान्फरन्स के माध्यम से चर्चा हुई। इस चर्चा में भूटान के विदेशमंत्री ल्योंपो टांडी दोर्जी और चीन के सहायक विदेशमंत्री वू जियांघाओ ने ‘थ्री-स्टेप रोडमैप’ पर समझौता किया। इस वजह से दोनों देशों के सीमा विवाद की चर्चा को गति प्राप्त होगी, ऐसा भूटान के विदेशमंत्री ने कहा है।

इस समझौते पर राजनीतिक शिष्टाचार के हिस्से के तौर पर भूटान ऐसी प्रतिक्रियाँ दे रहा है, फिर भी असल में चीन के खतरे का पूरा अहसास भूटान को है। पड़ोसी देशों का क्षेत्र हथियाने में जुटा चीन अवसर प्राप्त होते ही भूटान की ज़मीन पर कब्ज़ा किए बगैर नहीं रहेगा। भूटान के उत्तरी ओर के जाकारलूग और पासामलूंग घाटी पर चीन अपना अधिकार जता रहा है। साथ ही भारत और भूटान की सीमा पर स्थित डोकलाम पर भी चीन ने दावा किया था। भारत की मज़बूत सुरक्षा की वजह से ही भूटान चीन से सुरक्षित रहने की बात वर्ष २०१७ के डोकलाम के तनाव से स्पष्ट हुई थी।

वर्ष २०१७ में इसी डोकलाम पर कब्ज़ा करने के लिए चीन ने अपनी सेना को रवाना किया था। भूटान के आवाहन के बाद भारत ने अपनी सेना डोकलाम की सुरक्षा के लिए तैनात करने के बाद यह विवाद ७३ दिनों तक जारी रहा। भारत की इस लष्करी सहायता पर भूटान ने आभार व्यक्त किया था। भारत ने भी भूटान का सहयोग आगे बढ़ाया और जल्द ही भारत की ‘इस्रो’ भूटान के लिए स्वतंत्र उपग्रह भी प्रक्षेपित करेगी। इस वजह से भूटान और चीन के समझौते से भारत के हितों को खासा धोका ना होने की बात स्पष्ट दिख रही है।

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