प्रधानमंत्री मोदी की जर्मनी यात्रा में भारत और जर्मनी के बीच १२ सहयोग समझौतों पर दस्तखत

बर्लिन, दि. ३० : ‘भारत और जर्मनी के बीच संबंधो का विकास बड़ी तेज़ी से हो रहा है और उसकी दिशा सकारात्मक होकर, उसका ध्येय भी स्पष्ट है| जर्मनी हमेशा ताकतवर, तत्पर और सक्षम साथी के रूप में भारत की तरफ विश्‍वास के साथ देख सकता है’, इन शब्दों में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भारत और जर्मनी के बीच के संबंधों को अधोरेखित किया| प्रधानमंत्री की इस जर्मन यात्रा में उभय देशों के बीच १२ सहयोग समझौते संपन्न हुए हैं और इनमें सायबर सुरक्षा से लेकर शहरों का विकास करने तक कई क्षेत्र में सहयोग शामिल हैं| भारत के प्रधानमंत्री के जर्मनी में रहते, चीन के प्रधानमंत्री ली केकियांग भी जर्मनी में पहुँचे होकर, उनके दौरे का टायमिंग जानकारों का ग़ौर फ़रमा रहा है|

भारत और जर्मनीप्रधानमंत्री मोदी ने जर्मनी की चॅन्सलर अँजेला मर्केल के साथ द्विपक्षीय चर्चा की| उसके बाद दोनों देशों की सरकारों के बीच भी चर्चा संपन्न हुई| भारत और जर्मनी की सरकारों में हुई यह चौथी चर्चा है और इस चर्चा के बाद दोनों नेताओं ने संयुक्त पत्रकार परिषद को संबोधित किया| इस समय प्रधानमंत्री मोदी ने, अपनी जर्मनी की यात्रा कामयाब हुई है, ऐसा कहते हुए इसपर सन्तोष जताया है| साथ ही, जर्मनी ने ‘परमाणु आपूर्तिकर्ता समूह’ (एनएसजी) में भारत को शामिल करने के लिए समर्थन दिया, इसलिए प्रधानमंत्री ने जर्मनी का शुक्रिया अदा किया| साथ ही, संयुक्त राष्ट्रसंघ की सुरक्षापरिषद का विस्तार करने के लिए जल्द से जल्द कदम उठाने की ज़रूरत है, ऐसी उम्मीद भी दोनों राष्ट्रप्रमुखों ने जताई|

आतंकवादियों को पनाह देनेवालों के तथा उन्हें प्रोत्साहन और पैसा देनेवालों के खिलाफ सख़्त कार्रवाई की ज़रूरत है, ऐसा प्रधानमंत्री मोदी और चॅन्सेलर मर्केल ने माना है| साथ ही, आतंकवादियों के खिलाफ, भारत और जर्मनी इसके आगे भी खुफिया जानकारी के बारे में सहयोग करनेवाले हैं| इसी के साथ, संयुक्त राष्ट्रसंघ में आतंकवाद के खिलाफ़ व्यापक प्रस्ताव मंज़ूर करने पर भी प्रधानमंत्री मोदी तथा चॅन्सेलर अँजेला मर्केल ने ज़ोर दिया है| साथ ही, भारत और जर्मनी के बीच सायबर सुरक्षा के संदर्भ में समझौता संपन्न हुआ है| इसीके साथ, दोनों देशों के बीच १२ समझौते हुए है| इनमें नगर विकास, कौशल विकास, रेल सुरक्षा आदी क्षेत्र शामिल है|

भारत यह जर्मनी का भरोसेमंद साथीदार देश है, यह भारत ने समय समय पर साबित किया है| लेकिन भारत और जर्मनी के बीच का यह सहयोग किसी अन्य देश के खिलाफ नहीं है| खास तौर पर अटलांटिक महासागर के पार जो देश हैं, उनके खिलाफ यह सहयोग नहीं है| अटलांटिक महासागर के पार जो देश हैं, उनके साथ जर्मनी का सहयोग दृढ करने के लिए जर्मनी ने हमेशा प्राथमिकता दी है और इसके आगे भी जर्मनी ऐसा ही करता रहेगा, ऐसी थोड़ीसी व्यंगोक्तिपूर्ण प्रतिक्रिया इस वक्त चॅन्सेलर मर्केल ने दी है|

अमरीका अब जर्मनी का विश्‍वसनीय दोस्तराष्ट्र नहीं है, ऐसी आलोचना एक दिन पहले चॅन्सेजर मर्केल ने की थी| इससे दुनियाभर में हलचल मची थी| जी-७ परिषद में अमरीका के राष्ट्राध्यक्ष डोनाल्ड ट्रम्प और चॅन्सेजर मर्केल के बीच हुए तीखे मतभेदों की पृष्ठभूमि पर मर्केल ने यह आलोचना की थी| लेकिन दुनियाभर की मीडिया में इस बयान को लेकर हलचल मचने के बाद, प्रधानमंत्री मोदी के साथ हुई पत्रकार परिषद में बात करते समय चॅन्सेजर मर्केल ने, अमरीका अभी भी जर्मनी का अहम साझेदार देश है, ऐसे संकेत देकर इस विवाद पर परदा गिराने की कोशिश की है|

ऐसे में, प्रधानमंत्री मोदी की जर्मन यात्रा के समय ही, चीन के प्रधानमंत्री ली केकियांग भी जर्मनी में दाखिल हुए हैं| बुधवार को वे चॅन्सेलर मर्केल से मुलाकात करनेवाले हैं| भारतीय प्रधानमंत्री की जर्मनी यात्रा के बाद, चीन के प्रधानमंत्री की जर्मनी यात्रा भारत और चीन के बीच सभी स्तरों पर जारी कडी प्रतियोगिता की मिसाल दे रहे हैं| चीन और जर्मनी के बीच व्यापार में बढोतरी हो रही है| ब्रेक्झिट के बाद जर्मनी ने भी चीन के साथ व्यापारी संबंधों को काफ़ी बड़ी अहमियत दी है, ऐसा सामने आ रहा है| उसी समय, जर्मनी को भारत का मार्केट भी चाहिए| वहीं, भारत और चीन को काफी बड़ी आर्थिक क्षमता रहनेवाले जर्मनी की ओर से बड़े निवेश की उम्मीद है| इसी के साथ चीन यह कोशिश भी कर रहा है कि जर्मनी उसकी ‘वन बेल्ट वन रोड’ योजना को समर्थन दे दें| लेकिन भारत का इस योजना को विरोध है|

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