‘पाकिस्तान और अफगानिस्तान के बीच के तनाव का लाभ भारत को मिलेगा’ : पाकिस्तानी विशेषज्ञों का दावा

इस्लामाबाद, दि. २८: बुधवार से पाकिस्तान और अफगानिस्तान के बीच आर्थिक सहयोग के लिए ‘इकॉनॉमिक कोऑपरेशन ऑर्गनायझेशन’ (ईसीओ) परिषद शुरू होने जा रही है| इस परिषद को अफगानिस्तान के राष्ट्राध्यक्ष अश्रफ गनी, मुख्य कार्यकारी अधिकारी अब्दुल्ला अब्दुल्ला उपस्थित रहनेवाले नहीं हैं| अफगानिस्तान के विदेशमंत्री ने भी इस परिषद में उपस्थित रहने से इन्कार किया है| आतंकवाद को पनाह देने के मुद्दे को लेकर दोनों देशों में चल रही अनबन का असर इस परिषद पर होता दिखाई दे रहा है| लेकिन ‘अफगानिस्तान के साथ पाकिस्तान के बढ़ते तनाव का लाभ उ़ठाने का मौका भारत नहीं छोडेगा’ ऐसी चेतावनी पाकिस्तान के कुछ विशेषज्ञों ने अपने सरकार को दी है|

पिछले हफ़्ते पाकिस्तान में हुए आठ आतंकी हमलों में १३० से भी ज़्यादा लोगों की मौत हुई थी, ऐसा कहा जा रहा है| इन हमलों के पीछे अफगानिस्तान में पनाह लेनेवाले आतंकवादियों के नेता हैं, ऐसा इल्ज़ाम पाकिस्तान ने लगाया था| साथ ही, अफगानिस्तान की भूमि का इस्तेमाल करके भारत की खुफ़िया एजन्सी ये हमले कर रही है, ऐसा इल्ज़ाम पाकिस्तान द्वारा बार बार लगाया जा रहा है| कुछ दिन पहले पाकिस्तान के प्रधानमंत्री ने, इन आतंकवादी हमलों की पृष्ठभूमि पर, भारत और पाकिस्तान ने एक दूसरे के खिलाफ साज़िशें रचना छोडना चाहिए, ऐसा आवाहन किया था| इससे ऐसा दिखायी दे रहा है कि इन आतंकी हमलों की साज़िशों के पीछे अफगानिस्तान और भारत का हाथ है ऐसा पाकिस्तान के नेता और मीडिया को लग रहा है|

पाकिस्तान की सेना ने भी, इन आतंकी हमलों के बाद अफगानिस्तान के पास ७६ आतंकवादियों पर कारवाई करने की माँग की थी| वरना इन आतंकवादियों को पाकिस्तान के पास सौंपा जायें, ऐसा भी पाकिस्तानी सेना ने अफगानिस्तान को कहा था| इसके बाद अफगानिस्तान ने भी, पाकिस्तान को उनके भूभाग में हमला करनेवाले ८५ आतंकवादियों की सूचि देते हुए, उन्हें अफगानिस्तान को सौंपने की माँग की थी| इसी वजह से दोनों देशों के बीच तनाव बढ़ा था| इसके बाद पाकिस्तान ने अफगानिस्तान से सटी अपनी सीमा बंद करने का आक्रामक निर्णय लिया था| पाकिस्तान के इस निर्णय के बाद अफगानिस्तान की ओर से कड़ी प्रतिक्रिया आयी थी|

अफगानिस्तान की सरकार भारत के इशारों पर पाकिस्तानविरोधी भूमिका अपना रही है, ऐसी आलोचना पाकिस्तान द्वारा की जा रही है| साथ ही, अफगानिस्तान को सबक सिखाने के लिए पाकिस्तान ने इस देश की भूमि में घुसकर कार्रवाई करनी चाहिए, ऐसी माँग तेज़ हो रही है| पाकिस्तानी सेना ने अफगानिस्तान की सीमा में रॉकेट हमले करके इस तरह की कार्रवाई की शुरुवात की थी| लेकिन अफगानिस्तान में हमला करके पाकिस्तान एक जाल में फँस रहा है, ऐसी चेतावनी इस देश के विश्‍लेषकों द्वारा दी जा रही है|

अफगानिस्तान में घुसकर पाकिस्तान ने कारवाई की, तो अमरीका पाकिस्तान को सबक सिखाए बिना चुप नहीं बैठेगी| भारत को भी यही अपेक्षित है| इस कारण, पाकिस्तान ने होशियारी दिखाकर अफगानिस्तान के साथ सहयोग स्थापित करने की कोशिश करनी चाहिए, ऐसा विशेषज्ञों का कहना है| दोनों देशों के बीच सहयोग बढ़ाने के लिए ‘ईसीओ’ परिषद यह एक अच्छा मौका हो सकता है, ऐसा भी विशेषज्ञों का कहना है| लेकिन इस परिषद में शामिल होने से इन्कार करके, अफगानिस्तान के राष्ट्राध्यक्ष, मुख्य कार्यकारी अधिकारी और विदेशमंत्री ने अपने असंतोष को दर्शाया है, ऐसा दिखाई दे रहा है| आनेवाले समय में अफगानिस्तान आतंकवाद के मसले पर पाकिस्तान को किसी भी प्रकार की सहूलियत देनेवाला नहीं है, यह अफगानिस्तान के राजनीतिक नेतृत्व ने दर्शाया है|

अब तक अफगानिस्तान में हुए आतंकी हमलों के सिलसिले में पाकिस्तान ने सहानुभूति की भूमिका नहीं अपनाई थी| उल्टे, हमलावर आतंकवादियों को पनाह और सुरक्षा मुहैय्या की थी| लेकिन अपने देश में होनेवाले आतंकी हमलों के सिलसिले में पाकिस्तान अफगानिस्तान से काफी बड़ी उम्मीदे जता रहा है, यह दोमुँहापन अफगानिस्तान के नेतृत्व को हरगिज़ मंजूर नहीं है| इस कारण, आनेवाले समय में यदि पाकिस्तान ने अफगानिस्तान पर हमला किया, तो उसका क़रारा जवाब दिया जायेगा, ऐसी कड़ी चेतावनी अफगानिस्तान ने दी है| अमरीका ने भी इस संदर्भ में पाकिस्तान को खरी खरी सुनायी है|

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