तीन चिनी पत्रकार भारत से निष्कासित

नवी दिल्ली, दि. २४ (वृत्तसंस्था) – चीन की सरकारी वृत्तसंस्था ‘झिनुआ’ के भारतीय ब्युरो के प्रमुख सहित तीन चिनी पत्रकारों को भारत से निष्कासित कर दिया गया है| ये चिनी पत्रकार, पत्रकारिता के अलावा संदिग्ध गतिविधियों में शामिल थे| खुफ़िया एजन्सी की चेतावनी के बाद यह कदम उठाया गया है|

chinese-xinhua-journalists- तीन चिनी पत्रकार

लेकिन भारत के इस निर्णय का बड़ा राजनीतिक प्रभाव अपेक्षित है| पिछले कुछ महीनों से लगातार भारतविरोधी नीति अपनानेवाले चीन को भारत ने इस निर्णय से चेतावनी दी, ऐसा माना जा रहा है।

‘वू क्विआंग’, ‘लु तांग’ और ‘शी योंगांग’ इन तीन चिनी पत्रकारों के व्हिसा की अवधि को बढ़ाने से भारत सरकार ने इन्कार किया है; साथ ही, ३१ जुलाई से पहले तीनों को भारत छोडने के आदेश दिये गए है, ऐसी जानकारी सूत्रों ने दी| इनमे से, ‘वू क्विआंग’ चीन की सरकारी वृत्तसंस्था ‘झिनुआ’ के दिल्ली ब्युरो प्रमुख हैं| ‘लु तांग’ ‘झिनुआ’ की मुंबई ब्युरो प्रमुख हैं और योंगांग मुंबई में इसी वृत्तसंस्था के लिए संवाददाता के तौर पर काम करते हैं|

विदेश मंत्रालय द्वारा, इन तीनों को भारत से निकालने की वजह नहीं बतायी गई है| लेकिन इन चिनी पत्रकारों की गतिविधियाँ संदिग्ध थीं, ऐसी जानकारी सामने आ रही है| इन तीनों ने, पिछले कुछ समय में नाम और हुलिया बदलकर भारत के संवेदनशील इलाक़ों और निषिद्ध इलाकों की भेंट की थी|

इसीके साथ इन पत्रकारों ने बंगलुर में, तिब्बत से निकाले गए कुछ आंदोलकों से मुलाक़ात की थी, ऐसी जानकारी विदेश मंत्रालय के सूत्रों से मिली है| ये तीनों, पत्रकारिता के अलावा अन्य संदिग्ध गतिविधियों में शामिल होने की बात सामने आने के बाद और खुफ़िया एजन्सी द्वारा दी गई सूचना के बाद ये आदेश दिये गए हैं| इन तीनों पत्रकारों के व्हिसा की अवधि न बढ़ाने का निर्णय लिया गया, ऐसी जानकारी सूत्रों ने दी| इससे पहले ‘झिनुआ’ के इन तीन पत्रकारों के व्हिसा की अवधि कई बार बढ़ायी गयी है| पिछले छ: सालों से ये पत्रकार भारत में ‘झिनुआ’ के लिए काम कर रहे हैं|

जनवरी महीने में, भारत के पठाणकोट में ‘मसूद अझहर’ ने हमला किया था| इसलिए ‘मसूद अझहर’ पर कारवाई करने की माँग भारत ने संयुक्त राष्ट्र में की थी| लेकिन चीन ने अपने नकाराधिकार का इस्तेमाल करते हुए संयुक्त राष्ट्र की सुरक्षा परिषद की कार्रवाई को रोक दिया था| इससे पहले भी चीन ने हफ़ीज़ सईद, सय्यद सलाहुद्दीन के खिलाफ़ कार्रवाई रोकने का कदम उठाया था|

साथ ही, ‘एनएसजी’ की सदस्यता भारत को प्रदान की जाने का भी चीन ने विरोध किया था| भारत के हितसंबंधों को ध्यान में रखते हुए चीन अपने निर्णय लें, ऐसे कड़े शब्दों में भारत ने फटकारा था| लेकिन चीन के भूमिका में कोई बदलाव नहीं हुआ है| इसी वजह से भारत की ओर से चीन को चेतावनी देने के लिए कठोर निर्णय अपेक्षित था| चिनी पत्रकारों का इस तरह निष्कासित किया जाना, यह ऐसे निर्णयों की शुरुवात हो सकती है| वहीं, चीन की ओर से भारत की इस कार्रवाई पर पलटवार की संभावना है|

Leave a Reply

Your email address will not be published.