बिमस्टेक के सहयोग के लिए भारत वचनबद्ध प्रधानमंत्री मोदी की गवाही

काठमांडू – ‘बे ऑफ बंगाल इनिशिएटिव फॉर मल्टी सेक्टोरल टेक्निकल एंड इकोनॉमिक कोऑपरेशन’ की अर्थात ‘बीआयएमएसटीईसी’ (बिमस्टेक) परिषद शुरू हुई है और भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इसके लिए नेपाल के काठमांडू पहुंचे हैं। बिमस्टेक के सदस्य देशों से मूलभूत सुविधाओं द्वारा क्षेत्रीय जोड़ एवं आतंकवाद और नशीले पदार्थ के विरोध में सहयोग बढ़ाने के लिए भारत वचनबद्ध होने की बात उस समय प्रधानमंत्री मोदी ने कही है।

भारत, बांग्लादेश, म्यानमार, श्रीलंका, थाईलैंड, भूटान और नेपाल इन देशों का सहभाग होनेवाले बिमस्टेक की स्थापना १९९७ वर्ष में हुई है। २१ वर्षों पहले स्थापित हुए इस संगठन को पिछले कुछ वर्षों से नये सिरे से चालना दी जा रही है। सार्क देशों के सहयोग के आड़ आने की भूमिका लेनेवाले पाकिस्तान को दूर करते हुए क्षेत्रीय सहयोग बढ़ाने के लिए भारत ने बिमस्टेक को विशेष महत्व देना शुरु किया था। उसके राजनीतिक लाभ भारत को मिलने लगे हैं और पड़ोसी देशों को उसकी प्रतिक्रिया देने की बात दिखाई दे रही है।

इस वर्ष चौथी बिमस्टेक परिषद नेपाल के काठमांडू में आयोजित की जा रही है और सदस्य देशों के राष्ट्राध्यक्ष इस परिषद में शामिल हुए हैं। इस परिषद के पृष्ठभूमि पर श्रीलंका के राष्ट्राध्यक्ष सिरिसेना इनकी प्रधानमंत्री मोदी से भेंट होकर द्विपक्षीय चर्चा हुई है। उस समय श्रीलंका को सभी तौर पर सहायता करने के लिए भारत तत्पर होने की गवाही प्रधानमंत्री मोदी ने उस समय दी है। तथा प्रधानमंत्री मोदी ने बांग्लादेश के प्रधानमंत्री शेख हसीना से भी मुलाकात की है।

बिमस्टेक परिषद को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री मोदी ने इस संगठन के सदस्य देशों में दुनिया के २२ प्रतिशत जनसंख्या वास कर रही है, इसकी तरफ ध्यान केंद्रित किया। बिमस्टेक के सदस्य देशों का एकत्रित सकल उत्पादन २.८ ट्रिलियन डॉलर है। बिमस्टेक के सदस्य देश केवल राजनीतिक रूप से एक दूसरों से जुड़े नहीं है, बल्कि सांस्कृतिक, ऐतिहासिक, भाषा, कला और सभ्यता के स्तर पर भी बिमस्टेक के सदस्य देश एक दूसरों से जुड़े हुए हैं, ऐसा उस समय प्रधानमंत्री ने स्पष्ट किया है। ‘डिजिटल कनेक्टिविटी’ यह अपना कौशल्य और अनुभव का उपयोग भारत बांग्लादेश, भूटान एवं श्रीलंका इन देशों के लिए कर रहा है, ऐसी जानकारी उस समय प्रधानमंत्री मोदी ने दी है।

दौरान बिमस्टेक परिषद की सफलता के लिए भारत राजनीतिक स्तर पर आग्रही भूमिका ले रहा है। जिसकी वजह से पाकिस्तान इस क्षेत्र में अधिक अकेला दिखाई देने लगा है।

मुख्य तौर पर सार्क में सहयोग रोकने वाले पाकिस्तान को बिमस्टेक में स्थान नहीं है। इसकी वजह से भारत के पड़ोसी देशों से एवं इस क्षेत्र के अन्य देशों से सभी स्तर पर सहयोग अधिक दृढ़ हो रहे है।

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