डोकलाम के बाद बंद हुए – नाथुला पास मार्ग पर भारत-चीन व्यापार शुरू

गंगतोक: सिक्किम में नाथुला पास मार्ग पर होनेवाले भारत-चीन व्यापार फिर से शुरू हुआ है। डोकलाम के विवाद के बाद चीन ने नाथुला पास बंद किया था। पर चीन के युहान शहर में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और चीन के राष्ट्राध्यक्ष शी जिनपिंग इनमे चर्चा होने के बाद हफ्ते भर में ही नाथुला पास फिर से खुला करने की इच्छा चीन ने व्यक्त की है।

डोकलाम विवाद को दूर रखते हुए भारत से सहयोग प्रस्थापित करने के लिए चीन ने प्रयत्न शुरू किए हैं। अमरिका के साथ भड़के हुए व्यापार और बदलती आर्थिक परिस्थिति की वजह से चीन ने भारत के साथ युद्ध खोरी की भाषा फिलहाल छोड़ दी है और दोनों देशों में सहयोग बढ़ाने की दृष्टि से कई महत्वपूर्ण कदम उठाएं है।

डोकलाम के बाद, बंद, नाथुला पास मार्ग, भारत, चीन, व्यापार शुरू, गंगतोक, नरेंद्र मोदीपिछले वर्ष सिक्किम से जुड़े हुए डोकलाम में भारत और चीन के सैनिक एक दूसरों के सामने खड़े थे। भारतीय सैनिकों ने डोकलाम में विवादग्रस्त भाग में चीन द्वारा निर्माण हो रहे, रास्ते का काम रोककर इस भाग में घुसपैठ करने का चीन का षड्यंत्र उधेड़ा था। इसकी वजह से क्रोधित हुए चीन ने भारत को युद्ध की धमकियां दी थी।

तथा भारतीय लष्कर के कार्रवाई से अस्वस्थ हुए चीन ने नाथुला पास बंद करने का निर्णय लिया था। इसकी वजह से इस मार्ग से होनेवाली कैलाश मानसरोवर यात्रा तथा इस मार्ग से दोनों देशों में होने वाला व्यापार भी रुका था।

पर पिछले १० महीने में बंद रहे नाथुला पास मार्ग फिर से चीन ने व्यापार के लिए खुला किया है। २७ और २८ अप्रैल के रोज वुहान में हार्ट टू हार्ट इस परिषद में भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और चीन के राष्ट्राध्यक्ष शी जिनपिंग इनमे चर्चा संपन्न हुई। उस समय नाथुला पास मार्ग फिर से खुला करने का निर्णय लिया गया। उसके बाद हफ्ते भर में चीन ने यह मार्ग खुला किया है। यह मार्ग खुला करने से पहले भारत के इंडो टिबेटन पुलिस और चीनी लश्कर के वरिष्ठ अधिकारियों की बैठक होने का वृत्त है।

नाथुला पास समुद्र स्तर से १२००० फीट ऊपर होकर इस मार्ग से तीबेट में और उत्तर पूर्व भारत के व्यापारी व्यापार करते हैं। भारत से इस मार्ग के जरिये तेल, चावल, कपड़े जैसे वस्तुएं निर्यात होता है तथा चीन से शॉल और जैकेट जैसे वस्तुएं भारत पहुंचती हैं। इस व्यापार का प्रमाण बहुत बड़ा नहीं है पर उसे बहुत प्रतिकात्मक महत्व होने की बात विशेषज्ञों ने कही है।

१९६२ में चीन ने भारत पर आक्रमण किया था। उसके बाद लगभग ४४ वर्ष नाथुला पास बंद था। पर दोनों देशों ने २००६ में नाथुला पास व्यापार के लिए खुला करने का निर्णय लिया था। उस समय दोनों देशों में कुल २५ अरब डॉलर्स का व्यापार हो रहा था, यह व्यापार अब ८४ अरब डॉलर्स तक पहुंचा है। पर इसमें भारत को ५६ अरब डॉलर्स का नुकसान सहन करना पड़ता है।

अमरिका के साथ व्यापार युद्ध शुरू होने के बाद भारत जैसे देशों के साथ डोकलाम की वजह से चीन के संबंध ना बिगड़े और ठीक रहे इसके लिए चीन से प्रयत्न शुरू होते दिखाई दे रहे हैं। तथा चीन के महत्वाकांक्षी परियोजना ‘बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव’ (बीआरआय) में भारत शामिल ना होने की वजह से फँसने की बात विशेषज्ञों ने कही है।

भारत इस परियोजना में शामिल नहीं हुआ तो यह योजना सफल नहीं हो सकती, इसका एहसास चीन को हुआ है। इसीलिए इस योजना में भारत शामिल हो इसके लिए चीन ने भारत पर दबाव बढ़ाने का प्रयत्न किया था। पर भारत ने अपने सार्वभौमत्व को चुनौती देनेवाले इस योजना में शामिल होने से इंकार करके चीन को सूचित किया था।

इसके बारे में भारत की भूमिका नहीं बदली है। फिर भी आने वाले समय में भारत की भूमिका में बदलाव हो सकता है, ऐसा विश्वास चीन को लग रहा है। इसके लिए चीन भारत के साथ संबंध सुधारने के लिए कदम उठा रहा है।

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