दूसरा डोकलाम सहा नही जाएगा – चीन के राजदूत की चेतावनी

नई दिल्ली – शंघाई कोऑपरेशन ऑर्गनाइजेशन के (एससीओ) की पृष्ठभूमि पर चीन रशिया और मंगोलिया की त्रिपक्षीय चर्चा संपन्न हो सकती है, तो फिर भारत, चीन और पाकिस्तान की त्रिपक्षीय चर्चा का आयोजन क्यों नहीं किया जा सकता, ऐसा प्रश्न चीन के भारत में स्थित राजदूत ल्यू झाओहुई ने किया है। तीनों देशों में यह सहयोग आवश्यक होने की बात कहते हुए चीन के राजदूत ने दूसरा डोकलाम बर्दाश्त न होने के सूचक विधान किए है।

राजदूत

नई दिल्ली में आयोजित किए गए ‘बियौंड वुहान: हाउ फार एंड फास्ट कैन चाइना इंडिया रिलेशंस गो’ इस परिसंवाद में चीन के राजदूत झाओहुई बोल रहे थे। भारत और चीन में सामंजस्य से सीमा विवाद सुलझाये, ऐसी अपेक्षा उस समय झाओहुई ने व्यक्त की है। साथ ही एससीओ की पृष्ठभूमि पर रशिया, चीन एवं मंगोलिया ने अपनी सीमा पर शांति प्रस्थापित करने के लिए त्रिपक्षीय चर्चा करने की जानकारी उस समय झाओहुई ने दी है। भारत भी ऐसे ही समझदारी दिखाएं और पाकिस्तान एवं चीन के साथ त्रिपक्षीय चर्चा को तैयार हो, ऐसा झाओहुई ने सूचित किया है।

वैसा ना होने पर फिर से डोकलाम जैसा विवाद निर्माण होगा, पर दूसरा डोकलाम सहा  नही जाएगा ऐसा कहकर चीन के राजदूत ने आने वाले समय में यह विवाद हुआ तो अपना देश अधिक आक्रामक भूमिका स्वीकारेगा, ऐसे संकेत दिए हैं। सन २०१७में भारत, भूटान एवं चीन के सीमा पर डोकलाम में भारत और चीन की सेना ७३दिन तक एक दूसरों के सामने खड़ी थी। भारत ने वहां से सेना वापसी नहीं की तो युद्ध भड़केगा, ऐसी धमकियां चीन से आ रही थी। पर भारत ने इस बारे में दिखाए हुए निर्धार के बाद चीन को नरमाई की भूमिका लेनी पड़ी है।

डोकलाम जैसा दूसरा विवाद होगा, ऐसा कहकर चीन के राजदूत सौम्य शब्दों में भारत को चेतावनी दे रहे हैं तथा यह विवाद टालने के लिए भारत ने पाकिस्तान एवं चीन के साथ चर्चा के लिए तैयार रहें, ऐसा कहकर झाओहुई ने कई भारतीय मित्र ऐसा प्रस्ताव देने की पुष्टि की है।

एससीओ की पृष्ठभूमि पर चीन ने कश्मीर प्रश्न में मध्यस्थ की तैयारी दिखाई थी। पर इस परिषद में भारत ने चीन के ‘वन बेल्ट वन रोड’ इस परियोजना को विरोध करके यह प्रकल्प अपने सार्वभौमत्व को चुनौती देने का होने की बात कहकर कड़े बोल सुनाए थे। पाकिस्तान के कब्जेवाले कश्मीर से जानेवाला यह प्रकल्प कभी भी स्वीकारा नहीं जाएगा, ऐसी भारत की भूमिका है।

उसके बाद चीन से उस पर प्रतिक्रिया आई है और चीन के राष्ट्राध्यक्ष ने भी अप्रत्यक्ष रूप से भारत पर आलोचना की थी। अब भारत के चीन के भारत में स्थित राजदूत इस बात को लेकर राजनीतिक भाषा में चेतावनी देने लगे हैं, ऐसा दिखाई दे रहा है।

Leave a Reply

Your email address will not be published.