भारत और चीन के बिच डोकलाम विवाद सुलझा

नई दिल्ली/बीजिंग: करीब ७० दिनों के तनाव के बाद भारत और चीन में डोकलाम को लेकर शुरू विवाद सुलझा है। भारत के विदेश मंत्रालय ने इसकी घोषणा की। १६ जून के दिन चीन की सेना ने भूतान के डोकलाम में की घुसपैठ की पूर्व स्थिति कायम रखने पर दोनों देशों सहमती बनी है, ऐसा विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रवीश कुमार ने स्पष्ट किया है। पर चीन के विदेश मंत्रालय ने भारतीय सैनिक डोकलाम से वापस लौटने पर यह विवाद सुलझने का दावा अपनी प्रतिष्ठा रखने के प्रयास में किया है।

अगले हफ्ते ३ सितंबर को चीन में ब्रिक्स देशों की परिषद शुरू होने वाली है। ‘स्ट्रांग पार्टनरशिप फॉर ब्राइट फ्यूचर’ इस संकल्पना को सामने रखकर ब्रिक्स कि यह परिषद आयोजित की गई है। ऐसी परिस्थिति में डोकलाम का विवाद शुरू रखना दोनों देशों के लिए योग्य नहीं। साथ ही चीन ने इस विवाद से भारत को युद्ध की अनेक धमकियां देकर अपनी परिस्थिति अधिक ही कठिन बनाई थी। इसलिए इस विवाद से पीछे हटना चीन के लिए अधिक कठिन बन गया था। ऐसी परिस्थिति में दोनों देशों में डोकलाम को लेकर राजनीतिक चर्चा शुरु की। शुरुआत में भारत की सेना लौटने के सिवाय चर्चा नहीं होगी, यह आग्रह करने वाले चीन को इस मुद्दे पर चर्चा करनी ही पड़ी यह, इस प्रसंग से स्पष्ट हुआ है।

डोकलाम विवादयह चर्चा सफ़ल होकर डोकलाम मुद्दे पर हल निकलने की जानकारी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रवीश कुमार ने दी है। इसके अनुसार भारत ने पहल करके यह विवाद सुलझाने के लिए उठाए कदम पर आखिर चीन ने भी वही करने की बात रविश कुमार ने स्पष्ट की है। चीन के विदेश मंत्रालय ने यह विवाद खत्म होने की अधिकृत घोषणा की है। पर यह घोषणा करते समय चीन के विदेश मंत्रालय की प्रवक्ता हुआ चुनयिंग ने भारतीय सेना पीछे लौटने की जानकारी दी। भारतीय सेना डोकलाम से पीछे हटने की ख़बर को चीन ने सुनिश्चित करने का दावा चुनयिंग ने किया है।

डोकलाम विवादचीन डोकलाम में अपना सार्वभौमत्व अबाधित रखने में सफल होने की बात क्यूं चुनयिंग ने कही है। चीन की सेना आगे चलते डोकलाम में तैनात रहेंगी या नहीं इसका खुलासा चुनयिंग ने नहीं किया है। साथ ही चीन की सेना डोकलाम में रास्ता निर्माण की तैयारी कर रही थी और यह काम आगे चलते शुरू रहेगा या नहीं इसके बारे में भी चुनयिंग ने कोई जानकारी नहीं दी। केवल भारत डोकलाम से अपनी सेना पीछे लेने की पृष्ठभूमि पर चीन अपनी भूमिका बदल रहा है, यह विधान करके चुनयिंग ने अपने देश ने किए गतिविधियों को छुपाने का प्रयत्न किया है। पर भारतीय सूत्रों के अनुसार दोनों देशों की सहमति से सेना पीछे लौटाने का निर्णय दोनों देशों के लिए बंधनकारक है।

डोकलाम के विवाद में चीन ने जागतिक स्तर पर हास्य कारक स्थिति लाने की टीका विश्लेषकों से की जा रही हैं। भूतान के सीमा क्षेत्र में सेना घुसाकर एवं रस्ते निर्माण का काम शुरू करके चीन ने भारत पर दबाव डालने का प्रयत्न किया था। पर भारत से कोई प्रतिक्रिया आने का पूर्व विचार चीन ने नहीं किया था। भारत भूतान का पक्ष लेकर डोकलाम में सेना तैनात करेगा और अपने जवानों को रोकेगा यह चीन को ज्ञात नहीं था। इसीलिए चीन को यह साहस भारी पड़ा है, ऐसा पाश्चिमात्य विश्लेषकों का कहना है।

उसके उपरांत, चीन ने भारत को युद्ध की धमकियां देकर दबाव बनाने का प्रयत्न किया था। पर इसे भारत ने महत्व न देने से चीन की अवस्था अधिक जटिल हुई थी। इसलिए चीन इस मुद्दे को लेकर अपना सम्मान कायम रखते हुए अपनी रिहाई करने के लिए अथक प्रयास करता दिखाई दे रहा है। साथ ही भारत के पीछे अमरीका, जापान, ऑस्ट्रेलिया के साथ यूरोपीय देशों ने अपना समर्थन दिखाने के बाद चीन विवाद में अकेला दिखने लगा था। इसीलिए डोकलाम के विवाद में भारत का यह बहुत बड़ा राजनीतिक विजय होने का दावा किया जा रहा है।

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