लद्दाख की एलएसी से सेनाएँ वापस लेने पर भारत और चीन की सहमति – चीन के रक्षा मंत्रालय के प्रवक्ता की घोषणा

बीजिंग – लद्दाख की एलएसी से भारत और चीन ने सेनाएँ वापस लेने की तैयारी की होने के दावें चीन के रक्षा मंत्रालय ने किए हैं। भारत ने हालांकि इसका विरोध नहीं किया है, फिर भी भारत ने अधिकृत तौर पर इसकी घोषणा नहीं की है। लद्दाख का सीमा विवाद सुलझाने के लिए दोनों देशों में संपन्न हुआ चर्चा का नौंवा सत्र सकारात्मक, व्यवहार्य और रचनात्मक था और उस में तनाव कम करने पर सहमति हुई, ऐसी सतर्क प्रतिक्रिया भारत ने दर्ज की है। लद्दाख की स्थिति के बारे में रक्षा मंत्री राजनाथ सिंग गुरुवार को संसद में जानकारी देने वाले हैं, ऐसा रक्षा मंत्रालय ने घोषित किया है।

रक्षा मंत्रालय

चीन के रक्षा मंत्रालय के प्रवक्ता वु क्विआन ने यह दावा किया कि लद्दाख की एलएसी से दोनों देशों ने सेनाएं पीछे लेने की तैयारी की है। लद्दाख की एलएसी पर पँगॉंग सरोवर कि उत्तरी और से और दक्षिण की ओर से दोनों देश अपनी अपनी सेनाएं पीछे ले रहे हैं। दोनों देशों ने इसकी तैयारी दर्शाई होने का दावा क्विआन ने किया है। लेकिन अभी भी भारत में अधिकतर पर इसकी पुष्टि नहीं की है अथवा इस दावे को ठुकराया भी नहीं है। दोनों देशों के लष्करी अधिकारियों के बीच हुई चर्चा का नौंवा सत्र सरकारात्मक, व्यवहार्य और रचनात्मक साबित हुआ, ऐसी सतत प्रतिक्रिया भारत के दी गई है। चीन पर विश्वास रखकर लद्दाख की एलएसी से पीछे हटने की बड़ी गलती भारत ना करें, ऐसा पूर्व लष्करी अधिकारी लगातार जता रहे हैं। उस पृष्ठभूमि पर, भारत ने इसके बारे में सतर्क भूमिका अपनाई दिख रही है।

लद्दाख की एलएसी से सेना वापसी की इस प्रक्रिया पर धीरे-धीरे क्रमानुसार अमल किया जाएगा, ऐसी जानकारी माध्यमों में जारी की गई है। चीन के रक्षा मंत्रालय के प्रवक्ता ने भी यह घोषणा की थी। लेकिन पहले के अनुभव को मद्देनजर रखते हुए, भारत चीन की गतिविधियों का बहुत ही बारीकी से निरीक्षण कर रहा होने के संकेत मिल रहे हैं। इसी बीच रक्षा मंत्रालय ने यह घोषणा की है कि पूर्व लद्दाख की परिस्थिति के बारे में रक्षा मंत्री गुरुवार को संसद में जानकारी देंगे।

इससे पहले भी भारत और चीन के लष्करी अधिकारियों में हुई चर्चा में, लद्दाख में तनाव कम करने के लिए सेना वापसी करने पर सहमति हुई होने के दावे किए गए थे। लेकिन वास्तव में हालात बदले नहीं थे। कुछ दिन पहले भारत के विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने फटकार लगाई थी कि चीन की भाषा और एलएसी पर इस देश की हरकतें इनमें कोई तालमेल नहीं है। चीन लद्दाख की एलएसी से सटे भाग में बड़े पैमाने पर लष्करी वाहन तथा टैंकों की गतिविधियां कर रहा होने की खबरें जारी हुई थीं। ऐसा होने के बावजूद भी चीन की सेना बहुत समय तक लद्दाख की एलएसी पर विद्यमान परिस्थिति में नहीं रह सकती, ऐसा विश्लेषकों का कहना था।

हर संभव दबाव डाला जाने के बावजूद भी उसका प्रभाव भारत पर नहीं पड़ रहा है, यह देखकर चीन को यहां से वापसी करनी ही होगी, ऐसा इन विश्लेषकों ने कहा था। यहां पर सेना तैनाती बनाकर रखने से अपने हाथ मानहानि के अलावा कुछ भी नहीं लगने वाला, इसका एहसास चीन को बहुत पहले हुआ था। लेकिन भारतीय सेना के सामने चीन को पीछे हटना पड़ा, यह यदि सामने आया, तो आन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर अपनी प्रतिष्ठा खतरे में पड़ जाएगी, इस डर से चीन ने इस क्षेत्र से अपने जवान पीछे नहीं हटाए थे।

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