भारत हिंद महासागर क्षेत्र में अहम भूमिका निभा सकता है – नौसेनाप्रमुख एडमिरल करमबीर सिंह

नई दिल्ली – हिंद महासागर क्षेत्र के देशों को ड्रोन्स की निर्यात, युद्धपोतों का रखरखाव तथा मरम्मत एवं नौसेना से संबंधित आयटी सेवा प्रदान करने का अच्छा अवसर भारत के सामने है। इस अवसर का लाभ उठाकर हिंद महासागर के क्षेत्र में भारत अहम भूमिका निभाएँ, यह आवाहन नौसेनाप्रमुख एडमिरल करमबीर सिंह ने किया है। इसके साथ ही गश्‍ती पोतों के निर्माण के लिए भारतीय उद्योग एवं हिंद महासागर क्षेत्र के अन्य देशों में समन्वय बढ़ाना संभव होगा, यह प्रस्ताव भी नौसेनाप्रमुख ने रखा।

india-karambirएक लष्करी वेबसाईट ने आयोजित की हुई बैठक में एडमिरल करमबीर सिंह ने, हिंद महासागर क्षेत्र में उपलब्ध बड़ें अवसरों की जानकारी साझा की। हिंद महासागर क्षेत्र काफी बड़ा क्षेत्र है और इस क्षेत्र में किसी भी क्षण ४० देशों के कम से कम ७० युद्धपोत सक्रिय रहते हैं। इनमें से कुछ युद्धपोत अपने देश की समुद्री सीमा से काफी दूर तैनात होते हैं। इन युद्धपोतों के नियमित रखरखाव एवं मरम्मत की आवश्‍यकता रहती है् और इसके लिए इन युद्धपोतों को उनके होमपोर्ट पर यानी अपने देश के शिपयार्ड में लौटना पड़ता है। इसके लिए काफी समय और पैसा खर्च होता है, यह कहकर एडमिरल करमबीर सिंह ने, भारतीय उद्योगक्षेत्र के सामने बने अवसर का ज़िक्र किया।

india-shipyardहिंद महासागर क्षेत्र में भारत एकमेव देश हैं, जहाँ पर बड़ी संख्या में शिपयार्ड और रखरखाव एवं मरम्मत के केंद्र हैं। इन शिपयार्ड और मरम्मत केंद्रों का इस्तेमाल करके भारत हिंद महासागर में तैनात अलग अलग देशों के युद्धपोतों को रिफिट, ड्राई डॉकिंग, लॉजिस्टिक सपोर्ट, रखरखाव एवं अहम उपकरणों की मरम्मत करने की सेवा प्रदान कर सकता है। अलग अलग प्रकार के युद्धपोतों की मरम्मत करने की क्षमता विकसित करने की कोशिश की, तो हिंद महासागर के क्षेत्र में भारत अधिक अहम भूमिका निभा सकेगा, यह विश्‍वास भारतीय नौसेनाप्रमुख ने व्यक्त किया। इसके साथ ही, ड्रोन्स के क्षेत्र में भी भारत के लिए अवसर होने की जानकारी एडमिरल करमबीर सिंह ने साझा की।

बीते कुछ वर्षों में अमरीका के ‘एमक्यू ९ बी रिपर ड्रोन’ ने युद्ध की तकनीक बदली है, यह बात नौसेना प्रमुख ने स्वीकारी। लेकिन, इस लड़ाकू ड्रोन के अलावा छोटे, मायक्रो और मिनी ड्रोन्स की भी बड़ी माँग है, इसपर एडमीरल करमबीर सिंह ने ग़ौर फ़रमाया। भारत हिंद महासागर क्षेत्र के देशों को ड्रोन्स और गश्‍ती पोत निर्यात करें। छोटे और मध्यम दूरी के गश्‍तीपोतों के निर्माण पर भारत ध्यान दें, यह सुझाव भी नौसेनाप्रमुख ने रखा है।

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