सुरक्षा परिषद की सदस्यता के लिए भारत का कैम्पेन शुरू

नई दिल्ली – संयुक्त राष्ट्रसंघ की सुरक्षा परिषद (यूएनएससी) की अस्थायी सदस्यता के लिए हो रहे चुनाव के लिए भारत ने शुक्रवार से अपना कैम्पेन शुरू किया। ‘आतंकवाद की चुनौती का प्रभावी मुकाबला, बहुदलीय व्यवस्था में सुधार, विकास के लिए नए अवसर, आंतर्राष्ट्रीय शांति एवं सुरक्षा के लिए सर्वसमावेशक दृष्टिकोण एवं टेक्नॉलॉजी के संदर्भ में अधिक मानवतावादी विचार, ऐसीं पाँच प्राथमिकताएँ सुरक्षा परिषद में भारत की रहेंगी। हाल की जागतिक स्थिति में भारत अहम भूमिका निभा सकता है’ यह बयान विदेशमंत्री एस.जयशंकर ने इस दौरान किया। सुरक्षा परिषद के अस्थायी सदस्य के तौर पर भारत का चयन होना तय समझा जा रहा है। लेकिन इस कैम्पेन के ज़रिये सुरक्षा परिषद की स्थायी सदस्यता की ओर भारत ने एक और कदम बढ़ाया होने की बात कही जा रही है।

India Security Councilसंयुक्त राष्ट्रसंघ की सुरक्षा परिषद में दो साल के लिए १० अस्थायी सदस्यों का चुनाव होता है। इस वर्ष भारत अस्थायी सदस्यता पर दावा कर रहा है। एशिया-प्रशांत ग्रुप के ५५ देशों ने पहले ही भारत की सदस्यता का समर्थन किया है। इस वज़ह से एशिया-प्रशांत क्षेत्र से चुने जा रहे सदस्य के तौर पर भारत एकमात्र दावेदार है। साथ ही, भारत की इस दावेदारी को किसी देश ने विरोध भी जताया नहीं है। इस कारण भारत का चयन तय समझा जा रहा है।

१७ जून के दिन पाँच अस्थायी सदस्यों के चयन के लिए चुनाव होने हैं। इस पृष्ठभूमि पर भारत ने अपना कैम्पेन शुरू किया है। विदेशमंत्री एस.जयशंकर ने इसके लिए ब्रोशर भी जारी किया। ‘अधिकांश जागतिक संगठनों में पिछले कई वर्षों से किसी भी प्रकार के बदलाव नही हुए हैं। कोरोना वायरस की महामारी ने यह बात अधिक तीव्रता से सामने लायी है। दुनिया के सामने फिलहाल पारंपरिक चुनौतियों के साथ ही नई चुनौतियाँ भी खड़ी हुई हैं। इन चुनौतियों का सामना सुरक्षा परिषद को करना पड़ेगा’ यह बात विदेशमंत्री एस.जयशंकर ने इस दौरान रेखांकित की।

‘सम्मान, संवाद, सहयोग, शांति और जागतिक समृद्धता’ इन पाँच तत्वों के लिए भारत को सुरक्षा परिषद की सदस्यता प्राप्त करनी हैं। साथ ही, भारत ने पाँच प्राथमिकताएँ तय की हैं, ऐसा जयशंकर ने कहा।

भारत इससे पहले सात बार सुरक्षा परिषद के अस्थायी सदस्य के तौर पर चुना गया था। संयुक्त राष्ट्रसंघ की सुरक्षा परिषद में पिछले ७० वर्षों में किसी भी प्रकार के सुधार नहीं हुए हैं। इस वज़ह से यह संगठन कालबाह्य होता जा रहा है। सुरक्षा परिषद की स्थायी सदस्यता का विस्तार हो, यह माँग भारत बहुत ही आग्रहपूर्वक पिछले कई वर्षों से कर रहा है। भारत की इस माँग को दुनियाभर से समर्थन प्राप्त हो रहा है।

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