भारत आसियान सहयोग की व्याप्ती बढे – विदेश मंत्री सुषमा स्वराज

जकार्ता: इंडो पैसिफिक सागरी क्षेत्र से बड़ी तादाद में व्यापारी परिवहन होता है। इसीलिए इस सागरी क्षेत्र की तरफ व्यापारी मार्ग को जोड़ने के लिए देखा जाता है। इस सागर क्षेत्र को होनेवाले पारंपरिक एवं अपारंपारिक खतरों से बचाने की आवश्यकता है। तथा अंतरराष्ट्रीय नियमों के अनुसार यहां का व्यापारी परिवहन स्वतंत्र एवं मुक्त रखने की आवश्यकता है। इसके लिए भारत एवं आसियानने सागरी वित्त व्यवस्था सागरी गश्ती, गहरे समंदर में गश्ती और जानकारी का आदान-प्रदान, इत्यादि क्षेत्र में सहयोग बढ़ाएं, ऐसा आवाहन भारत के विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने किया है।

हिंद महासागर से पेसिफिक महासागर के क्षेत्र मे चीन अपने आर्थिक एवं लष्करी सामर्थ्य के बल पर वर्चस्व दिखाने का प्रयत्न कर रहा है। उत्तर पूर्व एशियाई देशों के साथ जापान एवं ऑस्ट्रेलिया जैसे देश चीन के इस दबाव की वजह से डरे दिखाई दे रहे हैं। इस पृष्ठभूमि पर चीन के विरोध में इस क्षेत्र में देशों को एकजुट होकर, भारत ने इन देशों के साथ सहयोग की भूमिका ली है। आसियान के सदस्य देशों के साथ भारत का व्यापार तथा सामरिक सहयोग विकसित हो रहा है और भारत अपनी ‘एक्ट ईस्ट’ नीति अधिक गतिमान रूप से आगे ले जा रहा है। इस पृष्ठभूमि पर भारत के विदेश मंत्री सुषमा स्वराज इंडोनेशिया के दौरे पर आए हैं।

व्याप्ती, बढे, भारत, आसियान, सुषमा स्वराज, आवाहन, जकार्ता, पेसिफिक महासागर

इंडोनेशिया के पहले विदेश मंत्री स्वराज थाईलैंड के दौरे पर थे। इंडोनेशिया के बाद वह सिंगापुर के दौरा करने वाली हैं। शनिवार को इंडोनेशिया में ‘आसियान-भारत नेटवर्क ऑफ थिंक टैंक’ का परिषद् आयोजित किया था। इस परिषद में संबोधित करते हुए विदेश मंत्री स्वराज ने भारत की भूमिका प्रस्तुत की। इंडो पैसिफिक क्षेत्र की तरफ कनेक्टिविटी पाथवे के तौर पर देखा जाता है। दुनिया भर का व्यापार इस सागरी क्षेत्र से होता है, ऐसे शब्दों में उन्होंने इस क्षेत्र का महत्व रेखांकित किया है। उस समय चीन की विस्तारवादी नीति का सीधा उल्लेख न करते हुए, इस क्षेत्र में अंतरराष्ट्रीय नियमों के अनुसार व्यापार परिवहन की स्वतंत्रता अबाधित रखी जाए, ऐसी भूमिका स्वराज ने प्रस्तुत की है। इसके लिए भारत एवं आसियान सागरी सुरक्षा के संदर्भ में सहयोग अधिक व्यापक करना अत्यावश्यक होने की बात विदेश मंत्री स्वराज ने याद दिलाई है।

दौरान, इस परिषद के उद्घाटन से पहले विदेश मंत्री स्वराज ने इंडोनेशिया के राष्ट्राध्यक्ष जोको विडोडो इन की भेंट लेकर, विभिन्न मुद्दों पर चर्चा की है। इंडो-पैसिफिक क्षेत्र की चुनौतियों का सामना एकत्रित रूप से करने का निर्णय उस समय व्यक्त किया गया है। तथा किसी भी स्वरुप में आतंकवाद को सहन नहीं किया जाएगा, इस पर दोनों नेताओं का एकमत हुआ है।

विदेश मंत्री स्वराज ने आसियान के नवनियुक्त महासचिव लिम जौक होई इनसे भी भेंट की है। इंडोनेशिया के विदेश मंत्री रैंटो मर्सुदी इनकी उस समय उपस्थिति थी। आसियान देश एवं भारत उनमें विविध क्षेत्रों में सहयोग कैसे सक्षम किए जा सकते हैं, इस पर उस समय चर्चा हुई है।

Leave a Reply

Your email address will not be published.