हिंद महासागर में चीन की गतिविधियों पर नजर रखने के लिए भारत एवं फ्रान्स संयुक्त रूप से ८ से १० उपग्रह प्रक्षेपित करेंगे

बंगलुरु – आशिया-प्रशांत क्षेत्र में चीन की आक्रामक गतिविधियों पर उपग्रह के माध्यम से कड़ी नजर रखी जा सकती है। पर इस क्षमता में बढ़त करने के लिए भारत-फ्रान्स ने सहयोग बढ़ाने का निर्णय लिया है और आने वाले कुछ वर्षों में इसके लिए लगभग ८ से १० उपग्रह हिंदी महासागर क्षेत्र में गश्ती के लिए प्रक्षेपित किए जाएंगे। अंतरिक्ष क्षेत्र में भारत ने फ्रान्स के साथ किया, यह सबसे बड़ा सहयोग होने का दावा किया जा रहा है।

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भारत और फ्रान्स के अंतरिक्ष क्षेत्र में सहयोग सक्षम होते जा रहे हैं और पिछले हफ्ते में भारत और फ्रान्स के अंतरिक्ष संशोधन संस्था के दौरान एक महत्वपूर्ण करार संपन्न हुआ है। इसके अनुसार फ्रान्स भारत को मानव की अंतरिक्ष मुहिम ‘गगनयान’ के लिए सहायता करनेवाला है। इसके सिवाय दोनों देशों में अंतरिक्ष संशोधन क्षेत्र में विविध स्तर पर सहयोग कर रहे हैं।

इस वर्ष मार्च महीने में भारत और फ्रान्स में इस सहयोग का ‘जॉइंट विज़न’ प्रस्तुत किया गया था। उसके अनुसार भारत के इस्रो और फ्रान्स की सीएनईएस अंतरिक्ष क्षेत्र संदर्भ में तंत्रज्ञान विकसित करने के लिए सहयोग करने वाले हैं।

तथा एक दूसरे की जमीन एवं सागरी हित संबंधों की सुरक्षा और गश्ती के लिए ‘ऑटोमेटिक आइडेंटिफिकेशन सिस्टम’ विकसित करने का निर्णय भी फ्रान्स और भारत ने लिया है। साथ ही सागरी क्षेत्र में गश्ती के लिए संयुक्त कार्यक्रम हाथ लेने की बात इस द्वारा दोनों देशों ने घोषित की है।

एक तरफ पैसिफिक और दूसरी तरफ अटलांटिक महासागर से जुड़े हुए हिंदी महासागर क्षेत्र की तरफ विशेष ध्यान देने का निर्णय भारत और फ्रान्स लिया है। यह निर्णय चीन के आक्रामक गतिविधियों को सामने रखकर लेने की बात दिखाई दे रही है।

उसके अनुसार भारत और फ्रान्स ८ से १० उपग्रह अंतरिक्ष में प्रक्षेपित करेंगे। चीन के हिंदी महासागर में बढ़ती गतिविधियों पर नजर रखने के लिए यह उपग्रह अवकाश में छोड़ने की योजना होने की बात फ्रान्स की सीएनईएस के प्रमुख जेन येव्स जी गैल ने घोषित की है।

५ वर्षों के कम कालखंड के यह उपग्रह अवकाश में छोड़े जाएंगे। इन उपग्रहों की श्रृंखला की वजह से हिंदी महासागर क्षेत्र में सागरी परिवहन एवं प्रत्येक छोटी गतिविधियों पर ध्यान रखना आसान होगा, ऐसा गैल ने आगे कहा है।

फ्रान्स ने इंडो पैसिफिक क्षेत्र में चीन के गतिविधियों पर अलग-अलग बार कड़े शब्दों में आलोचना की है। इस क्षेत्र में अंतर्राष्ट्रीय कानून का पालन हो, ऐसी अपेक्षा फ्रान्स ने व्यक्त की थी।

६ महीने पहले फ्रान्स के राष्ट्राध्यक्ष मैक्रोन इनके भारत दौरे पर दोनों देशों में लष्कर सहयोग बढ़ाने के लिए महत्वपूर्ण करार हुए थे। जिसमें लॉजिस्टिक करार का भी समावेश था। इसके अनुसार दोनों देश युद्ध काल में एवं आपातकालीन परिस्थिति में एक-दूसरे का लष्करी अड्डे का उपयोग कर सकेंगे।

तथा दोनों देशों ने सागरी क्षेत्र में नौदल के स्थिति के बारे में जानकारी के आदान-प्रदान करने का निर्णय लिया था। भारत और फ्रान्स में इस बढ़ते नौदल सहयोग की पृष्ठभूमि पर खास हिंद महासागर क्षेत्र में दोनों देश सहयोग से ८ से १० गश्ती उपग्रह अंतरिक्ष में छोड़ने की घोषणा अत्यंत महत्वपूर्ण मानी जा रही है।

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