कोरोना से लड़ने के लिए वैद्यकीय कार्यबल बढ़ाने हेतु प्रधानमंत्री के अहम निर्णय – ‘नीट-पीजी’ की परीक्षा चार महीने बाद होगी – ‘एमबीबीएस’ के अंतिम वर्ष के डॉक्टर्स को ‘कोविड ड्युटी’ देने का प्रावधान

नई दिल्ली – प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने विशेषज्ञों से बातचीत करने के बाद एवं उच्च स्तरीय बैठक में स्थिति का जायज़ा लेने के बाद मौजूदा स्थिति में वैद्यकीय कार्यबल बढ़ाने के लिए अहम निर्णय किए हैं। इसके अनुसार केंद्र सरकार ने पदव्युत्तर वैद्यकीय अभ्यासक्रम के लिए आयोजित हो रही ‘नैशनल एलिजीबिलीटी-कम-एन्ट्रन्स टेस्ट’ (नीट-पीजी) की परिक्षा चार महीने देरी से लेने का निर्णय किया है। साथ ही ‘एमबीबीएस’ के अंतिम वर्ष के डॉक्टर्स एवं बीएससी या जीएनएम की पात्र नर्सेस को कोविड ड्युटी देने का निर्णय किया गया है।

देश में कोरोना के एक्टिव संक्रमितों की संख्या बढ़कर ३२ लाख तक जा पहुँची है। कोरोना संक्रमित इलाज़ के लिए बड़ी संख्या में अस्पताल पहुँच रहे हैं। ऐसे में वैद्यकीय कार्यबल की कमी महसूस हो रही है। अस्थायी कोविड अस्पतालों का निर्माण किया जा रहा है, फिर भी वहां पर डॉक्टर्स और नर्सेस की उपलब्धता भी अहम है। इससे पहले रक्षाबलों ने बीते दो वर्षों में सेवानिवृत्त डॉक्टर्स और वैद्यकीय कर्मचारियों को बुलाकर कोविड ड्युटी देने का निर्णय किया था। अब वैद्यकीय प्रशिक्षणार्थियों को भी कोविड सेंटर में ड्युटी देने का निर्णय किया गया है।

नर्सेस की किल्लत दूर करने के लिए बीएससी और जनरल नर्सिंग ऐण्ड मिडवायफरी (जीएमएम) पात्र नर्सेस को पूरे समय के लिए कोविड ड्युटी देने के लिए सेवा में लिया जाएगा। वैद्यकीय क्षेत्र के ट्रेनी कामगारों को वरिष्ठों के निगरानी में ड्युटी दी जाएगी। साथ ही यह ड्युटी १०० दिन तक करनेवालों को सरकारी वैद्यकीय कर्मी के रूप में दाखिल करने के लिए प्राथमिकता दी जाएगी।

‘एमबीबीएस’ के आखिरी वर्ष के छात्रों को भी टेली-कन्सल्टेशन की सेवा देने का काम दिया जाएगा। साथ ही कम आसार वाले संक्रमितों पर नज़र रखने का ज़िम्मा भी इन्हें दिया जाएगा। ‘एमबीबीएस’ के आखिरी वर्ष के छात्र एवं ट्रेनी मेडिकल स्टाफ को कोविड ड्युटी देते समय उनका टीकाकरण करने का निर्णय होने की जानकारी भी ‘पीएमओ’ ने प्रदान की है।

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