अमरीका के समुद्री वर्चस्व के लिए चीन और रशिया से होनेवाले खतरे को रोकना महत्वपूर्ण है – नौसेना की रपट मे दर्ज़ इशारा

वॉशिंग्टन – ‘अमरीका समुद्री सत्ता है और इस क्षेत्र के प्रभाव की वजह से देश की सुरक्षा और समृद्धी बरकरार है। लेकिन, इस सदी के शुरू से ही समुद्री क्षेत्र में चीन और रशिया की आक्रामक गतिविधियों में बढ़ोतरी होने की बात दिखाई दी है। यह अमरीका के समुद्री वर्चस्व के लिए लंबे समय तक रहनेवाला खतरा है और इसे रोकने के लिए तेज़ कदम उठाना महत्वपूर्ण है। अगले दशक में अमरीका ने समुद्रीय सुरक्षा के लिए किए जा रहे प्रावधान २१वीं सदी में समुद्री वर्चस्व को संतुलन तय करने में निर्णायक भूमिका निभाएंगे’, ऐसा इशारा अमरिकी नौसेना की रपट में दिया गया है।

us-china-russiaअमरिकी नौसेना, मरिन कॉर्प्स एवं तटरक्षक बल के प्रमुख ने एकसाथ मिलकर समुद्री सुरक्षा के मुद्दे पर स्वतंत्र रपट तैयार की है। ‘ऐडवान्टेज ऐट सी’ नामक इस रपट में समुद्री क्षेत्र से संबंधित तीनों बल अमरीका का वर्चस्व बरकरार रखने में क्या भूमिका निभाएंगे, इसकी जानकारी वर्णित रपट में प्रदान की गई है। इस रपट के शुरू में ही अमरीका जागतिक समुद्री क्षेत्र में प्रमुख शक्ति होने का विश्‍वास व्यक्त किया गया है। इसके साथ ही अमरिकी नौसेना विश्‍वभर में देश की रक्षा ताकत का प्रभाव दिखानेवाला प्रमुख माध्यम होने का दावा भी किया गया है।

us-china-russiaदूसरे विश्‍वयुद्ध में अमरीका को प्राप्त हुई जीत में नौसेना की भूमिका अहम थी, यह कहकर २१वीं सदी के शुरू से ही समुद्री क्षेत्रों में चीन और रशिया की गतिविधियों में बढ़ोतरी होने की ओर इस रपट ने ध्यान आकर्षित किया है। विश्‍व के अलग अलग हिस्सों में तैनात अमरिकी नौसेना को प्रति दिन इन गतिविधियों की जानकारी प्राप्त हो रही है और यह दोनों देश समुद्री क्षेत्र में अमरीका के प्रमुख प्रतिद्वंद्वि होने का अहसास इस रपट ने कराया है। चीन का ज़िक्र सबसे बड़े एवं लंबे समय के सामरिक खतरे के तौर पर किया गया है।

us-china-russia‘अब तक अमरिकी नौसेना समुद्री क्षेत्र में परिवहन की आज़ादी कायम रखने के साथ ही आक्रामक गतिविधियां रोकना एवं जंग में जीत हासिल करने जैसी ज़िम्मेदारियां पूरी क्षमता से संभालती रही है। लेकिन, चीन के बर्ताव एवं बढ़ते रक्षा सामर्थ्य की वजह से इस क्षमता को चुनौती प्राप्त होती दिख रही है’, ऐसा इशारा नौसेना ने दिया है। इस चुनौती को रोकने के लिए तीनों बलों ने अधिक मात्रा में एक होकर आधुनिकीकरण के लिए तेज़ कदम उठाना निर्णायक साबित होगा, यह आवाहन भी इस रपट में किया गया है। चीन के खतरे का ज़िक्र करने के साथ ही फिलहाल अमरिकी नौसेना की लगभग ६० प्रतिशत तैनाती ‘इंडो-पैसिफिक’ क्षेत्र में होने की जानकारी भी इस रपट से साझा हुई है।

बीते कुछ वर्षों में चीन की नौसेना ने अपने सामर्थ्य में काफी तेज़ बढ़ोतरी की है और फिलहाल विश्‍व की सबसे बड़ी नौसेना का सम्मान प्राप्त किया है। चीन के बेड़े में ३५० से अधिक युद्धपोत होने की बात कही जा रही है और अगले दशक में यह संख्या ४०० से अधिक करने का उद्देश्‍य रखा गया है। इस पृष्ठभूमि पर अमरिकी नौसेना ने इस रपट में दिया इशारा अहमियत रखता है।

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