अफगानिस्तान में ‘आईएस’ के प्रभाव में बढोतरी – अमरिका एवं अफगान अधिकारी का इशारा

तृतीय महायुद्ध, परमाणु सज्ज, रशिया, ब्रिटन, प्रत्युत्तरकाबुल – अफगाणिस्तान में तालिबान से भी ज्यादा ‘आईएस’ का प्रभाव बढ रहा है और इससे अमरिका और यूरोपिय देशों को होनेवाले खतरे में भी बढोतरी हुई है, यह इशारा अमरिकी एवं अफगान अधिकारियों ने दिया है| पिछले कुछ महीनों में अफगानिस्तान में तालिबान से हो रहे हमलों की संख्या में बढोतरी हो रही है और ऐसे में इस तरह के इशारे प्राप्त होना ध्यान आकर्षित करता है| साथ ही अफगानिस्तान से सेना की वापसी करने के संकेत दे रहे अमरिका ने नई मुहिम के लिए ४०० सैनिकों का दल भेजने की तैयारी शुरू करने का भी वृत्त प्राप्त हुआ है|

पिछले कुछ महीनों से अफगानिस्तान में शांतिप्रक्रिया शुरू करने के लिए अलग अलग देशों की कोशिश शुरू है| अमरिका इसमें शीर्ष स्थान पर है और अमरिका के विशेष दूत झल्मे खलिलजाद इन्होंने तालिबान के नेताओं के साथ बातचीत करने की जानकारी भी है| तालिबान के अलावा खलिलजाद ने अफगान नेतृत्व एवं पाकिस्तान के साथ भी बातचीत शुरू रखी है| पाकिस्तान ने तालिबान पर दबाव बना कर शांति प्रक्रिया में शामिल होे के लिए विवश करे, इस दिशा में अमरिका की कोशिश हो रही है|

इसी बीच रशिया ने तालिबान के कुछ गुटों से संपर्क बनाकर अफगानिस्तान में अपने हितसंबंध सुरक्षित करने की कोशिश जारी रखी है| लेकिन, फिलहाल अमरिका औड़ रशिया इन दोनों देशों से शुरू गतिविधियों को सफलता प्राप्त होती नही दिखाई दे रही है| बातचीत शुरू होते हुए भी इस दौरान तालिबान ने अपने आतंकी हमलों की तीव्रत बढाई है और यह दबाव लाने की कोशिश समझी जा रही है| तालिबान के साथ शांतिवार्ता और आतंकी हमलों की पृष्ठभूमि पर ‘आईएस’ से जुडी खडी हो रही चुनौती चिंता का विषय साबित होने लगा है|

अफगानिस्तान में ‘आईएस’ का अस्तित्व वर्ष २०१४ से होने की बात कही जाती है| लेकिन, पिछले वर्ष से इसकी तादाद बढने की बात स्पष्ट हो रही है| अफगानिस्तान में ‘आईएस’ से जुडी आतंकी संगठन ‘विलायत खोरासन’ ने उत्तरी अफगानिस्तान में ही पाच हजार हमलावरों को तैयार किया है, यह इशारा रशिया के गुप्तचर प्रमुख ने पिछले महीने में ही दिया था|

अब अमरिका और अफगानिस्तान के गुप्तचर और सुरक्षा अधिकारी भी इससे जुडी खबर का समर्थन कर रहे है| पूर्व और उत्तरी अफगानिस्तान में ‘आईएस’ ने बडी संख्या में आतंकियों को शामिल करना शुरू किया है और आतंकियों की संख्या हजारों में जाने का दावा अमरिकी गुप्तचर अधिकारी ने किया| ‘आईएस’ की यह भरती सिर्फ अफगानिस्तान के लिए नही है और इसका इस्तेमाल अमरिका और युरोप में हमलें करने के लिए हो सकता है, यह इशारा भी अमरिकी अधिकारियों ने दिया है|

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