लॉकडाउन के दौरान भारतीय कंपनियों पर हुए अधिक मात्रा में सायबर हमले

cyber-attack-indiaनई दिल्ली – लॉकडाउन के दिनों में भारतीय कंपनियों पर हो रहे सायबर हमलों में बढ़ोतरी हुई है। देश की १० में से ७ कंपनियों पर सायबर हमले होने की जानकारी एक रपट से सामने आयी है। शुक्रवार के दिन डॉ.रेड्डीज़ कंपनी पर सायबर हमला हुआ। रशिया ने कोरोना पर विकसित किए ‘स्पुटनिक-५’ टीके का भारत में परीक्षण करने का ऐलान इस कंपनी ने हाल ही में किया था। इसी बीच, गुरूवार के दिन भारत-यूरोपिय युनियन की विदेश नीति और सुरक्षा विषयक मुद्दों पर बैठक हुई। इस बैठक के दौरान भी सायबर सुरक्षा का मुद्दा चर्चा का प्रमुख विषय रहा।

कोरोना वायरस के संकट की वजह से यकायक लॉकडाउन का निर्णय किया गया था। इस वजह से कंपनियों को अपनी कार्य पद्धती में बदलाव करना पड़ा था। इस बदलाव के लिए कई कंपनियों की तैयारी नहीं थी। अधिकांश कर्मचारियों को घर से काम करने के लिए कहा गया था। अब भी संभव हो, उतने कर्मचारियों को घर से काम करने को कहा गया है। लेकिन, इस वजह से कंपनियों को सायबर हमलों का बड़ी संख्या में मुकाबला करना पड़ रहा है।

कोरोना का संकट शुरू होने पर कार्यपद्धती में बदलाव किए जाने के बाद सायबर हमले के खतरे में २५ प्रतिशत बढ़ोतरी हुई है। इस संकट के शुरू के दौर में ७३ प्रतिशत कंपनियों को बढ़ते सायबर हमलों का मुकाबला करना पड़ा है, यह दावा सिस्को कंपनी ने ‘फ्युचर ऑफ सिक्युअर रिमोट वर्क रिपोर्ट’ में किया गया है।

cyber-attack-indiaलॉकडाउन के आरम्भिक दौर में ६५ प्रतिशत कंपनियां और संगठनों को सुरक्षित ‘एक्सेस’ की समस्या परेशान कर रही थी। ६६ प्रतिशत कंपनियों को डाटा प्रायवसी और ६२ प्रतिशत कंपनियों को मालवेअर संबंधित चुनौतियों का मुकाबला करना पड़ा। क्योंकि, ‘वर्क फ्रॉम होम’ के कारण सिस्टम में वायरस का प्रवेश होने का एवं सायबर हमलावर इस स्थिति का गलत लाभ उठाने की संभावना बढ़ी। देश की अधिकांश कंपनियां वर्क फ्रॉम होम के लिए तैयार नहीं थीं और उनकी सायबर सुरक्षा से संबंधित तैयारी भी नहीं थी।

लेकिन, अब ६५ प्रतिशत कंपनियों ने सायबर सुरक्षा के नज़रिये से तैयारी की है, यह बात भी सिस्को की रपट से स्पष्ट हुई है। इस वजह से इन कंपनीयों ने सायबर सुरक्षा के लिए निवेश बढ़ाया है। ८४ प्रतिशत कंपनियों की सायबर सुरक्षा के लिए सबसे अधिक प्राथमिकता होने की बात कही गई है। विश्‍व के २१ देशों में यह सर्वे किया गया। इसमें भारत के साथ एशिया-प्रशांत क्षेत्र के कुल १३ देशों में यह सर्वे किया गया।

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