हबर्ट सेसिल बूथ (१८७१-१९५५)

हबर्ट सेसिल बूथ
हबर्ट सेसिल बूथ

बहुत अधिक पुरानी भी नहीं, बल्कि महज़ एक शताब्दी पहले की बात है। ब्रिटन के एक अमीरज़ादे की पत्नी ने अपनी सभी सखियों को एक विशेष पार्टी के लिए आमंत्रित किया था। पार्टी का नाम भी कुछ अजीब सा ही था। क्या नाम दिया गया था उसे? वह नाम था- ‘क्लिनिंग पार्टी’। यह नाम सुनकर सखिया भी चौंक उठी थी। पर करती भी क्या, खास सहेली होने के कारण जाना तो था ही।

अमीर व्यक्ति के घर पर सभी चीज़ों का स्थान भी बदल गया था, पर खान-पान की व्यवस्था ठीक थी, इसलिए कुछ विशेष फर्क  पड़ा। खान-पान चल ही रहा था कि घर के बाहर एक घोड़ागाड़ी आकर खड़ी हो गई। उस घोड़ा गाड़ी में से एक कोई बहुत बड़ी चीज़ बाहर निकली, उसके साथ ही आठ-दस युनिफॉर्म पहने व्यक्ति भी बाहर उतरे।

उन लोगों ने अपने साथ लाये उस बड़े से यंत्र से बड़ी-बड़ी पाईप जोड़ दी और उसे लेकर वे सीधे उस मकान के अंदर चले गए। मकान के अंदर वे उस पाईप को घुमाने लगे। इसके साथ ही एक जोरदार धमाके के साथ पारदर्शक आवरण के साथ होने वाली उन पाईपों में से कुछ चीज़ें निकल कर तेज़ी से अंदर जाने लगी। लगभग एक घंटे तक यह सब चलता रहा। सब कुछ खत्म हो जाने पर एक प्रौढ़ महिला बाहर आई और उन सब का आभार व्यक्त करते हुए पुन: लौट गई।

यह घटना है साधारणत: १९०२-०३ इस कालावधि की। इस प्रकार की एक ही नहीं, बल्कि अनेक पार्टीज़ उस समय में अमीरों के घर पर अकसर जानबूझकर आयोजित की जाती थी। वही मानों नया फैशन ही बन गया था। इन सभी भाग-दौड़ के जनक थे एक ब्रिटीश इंजीनियर ‘हर्बट सेसिल बूथ’ और इस फैशन का ज़िम्मेदार था उनके द्वारा संशोधित किए गए ‘व्हॅक्यूम क्लीनर’ की खोज।

सफाई के जादूगार के रूप में पहचाने जाने हर्बट सेसिल बूथ का जन्म ३० अगस्त, १८७१ के दिन  ब्रिटन के ग्लूकेस्टर परगणे में हुआ। एक मेहनती विद्यार्थी के रुप में प्रसिद्ध होनेवाले हर्बट ने स्कूली शिक्षा के पश्‍चात् इंजीनियरिंग शिक्षा हेतु ‘सिटी अ‍ॅण्ड गिल्ड्स सेंटर इन्स्टिट्यूशन’ में प्रवेश प्राप्त किया।

gaspowered.jpegसिविल एवं मेकॅनिकल इस प्रकार की उपाधि प्राप्त कर अग्रीम कुछ वर्षों तक उन्होंने विविध प्रकार के प्रायव्हेट फर्म्स  में नौकरी की। मात्र उस काल में संशोधन की चाह निर्माण हो जाने के कारण हबर्ट ने स्वयं का फर्म निर्माण करने का निश्‍चय किया। अपने पास होने वाले अनुभवों के जोर पर हर्बट ने एक कन्सल्टन्सी फर्म की स्थापना की।

स्वयं का व्यवसाय शुरु करने पर हबर्ट को संशोधन के लिए समय मिलने लगा। उस समय में घर के अथवा कार्यालयों के स्वच्छता के लिए प्रमुख तौर पर झाडू एवं कपड़ों का उपयोग किया जाता था। घर अथवा कार्यालय यदि स्वच्छ करना हो तो इसके लिए पूरे एक दिन का समय गवाना पड़ता था। इस अड़चन को ध्यान में रखकर साफ़-सफाई हेतु किसी यंत्र का निर्माण किया जा सकता है क्या, इस बात पर हबर्ट ने संशोधन करना शुरु कर दिया।

उस समय में साफ़-सफाई हेतु विशेष ‘वर्ल्डवाईंड’ नामक एक यंत्र इस अमरीकन संशोधनकर्ता ने तैयार किया था। परन्तु वह यंत्र कुछ बहुत अधिक सफल  न हो सका। जोरदार हवा के झोकों से धूल  एवं अन्य गंदगी को उड़ाने वाले यंत्र का प्रयोग उसमें किया गया था। १८७० के दौरान शिकागो शहर में लगने वाली भीषण आग में यह संशोधन जलकर खाक हो गया। हबर्ट ने मात्र एक भिन्न प्रकार  के तंत्रज्ञान का उपयोग करने का फैसला  किया। इसके लिए उन्होंने स्वयम पर ही एक प्रयोग किया। एक बार रेल गाड़ी से प्रवास करते समय भोजन पश्‍चात् उन्होंने टेबल पर गिरे हुए झूठन एवं अन्य चीजों पर अपना रुमाल रख दिया। इसके पश्‍चात् अपना मुँह उस रुमाल पर रखकर उस रुमाल को जोर से अपने अन्दर खींचने की कोशिश की। रुमाल जब अन्दर खींच लिया गया तब इसके साथ ही टेबल पर गिरा हुआ झूठन एवं अन्य पदार्थ के छोटे टुकड़े एवं गंदगी भी उसके साथ ही खींचे चले गए। उसी समय हबर्ट को कुछ तकलीफ  होने का अहसास हुआ परन्तु इसके पश्‍चात् जब उन्हें पता चला कि अपना प्रयोग सफल  हो गया है वे बहुत खुश हुए।

आगे चलकर कुछ महीनों तक हबर्ट साफ़-सफाई से संबंधित यंत्र के निर्मिती कार्य में जूट गए उनके इस अथक परिश्रम के पश्‍चात् १९०१ में लगभग साढ़ेतीन सौ पौंड़ वजन का ‘व्हॅक्युमक्लीनर’ बनाने में हबर्ट को सफल ता प्राप्त हुई। आरंभिक काल में यह बनाया गया व्हॅक्युम क्लीनर ‘पफिंग बिली’ इस नाम से जाना जाता था।

‘पफिंग बिली’ यह मॉडल इतना बड़ा था कि उसे रखने के लिए एक पूरी की पूरी घोड़ा गाड़ी की ज़रूरत पड़ती थी। जिस समय साफ़-सफाई करनी होती थी उस सम्य इस बड़े से यंत्र को बाहर रास्ते पर  रखा जाता था। इसके पश्‍चात् बूथ के कंपनी के लोग घर के अंदर जाकर साफ़-सफाई करते थे।

‘व्हॅक्युम क्लीनर’ यह एक शाब्दीकनाम प्रचलित हुआ मात्र १९०२ में उस समय बूथ के कंपनी ने व्हॅक्युम क्लीनर का प्रचार करते समय ‘विद्युत शक्ति की सहायता से सफाई कीजिए’ इस शीर्षक के द्वारा प्रचार करते हुए इस में व्हॅक्युम क्लीनर का पहली बार उल्लेख किया गया। हबर्ट बूथ द्वारा बनाये गए इस यंत्र को विशेष लोकप्रियता प्राप्त करवाई उस समय के तात्कालीन ब्रिटीश राजा किंग एडवर्ड सातवे ने।

किंग एडवर्ड (सातवे) का १९०२ में राज्याभिषेक समारोह था। उस समय बूथ को उनके ‘व्हॅक्युम क्लीनर’ सहित राजा के सिंहासन एवं राजदरबार के कार्पेट की साफ़-सफाई करने का काम मिला। उस समय उनके काम से प्रसन्न होकर राजाने बकिंग हॅम राज दरबार एवं विंडसर कैसल इन प्रसिद्ध वस्तुओं के साफ़-सफाई के लिए ‘व्हॅक्युम क्लीनर’ मंगवाया।

इसके पश्‍चात् बूथ ने अपने यंत्र में अधिकाअधिक सुधार करते हुए १९०३ में कुछ प्रमाण में लचीला ‘व्हॅक्युम क्लीनर’ बनाने में सफल ता प्राप्त की और इस शोध के प्रति पेटंट भी प्राप्त किया। इसके पश्‍चात् उन्होंने ‘द ब्रिटीश व्हॅक्युम क्लीनर कंपनी लिमिटेड’ की स्थापना की तथा ‘व्हॅक्युक्लीनर’ का व्यावसायिक स्तर पर उप्तादन करना आरंभ कर दिया।

कालांतर में ‘व्हॅक्युम क्लीनर’ के यंत्र में अधिकाअधिक परिवर्तन होता गया। इन सुधारों में वॉल्टर ग्रिफिथ, जेम्स स्पँगलर एवं जेम्स डायसन इन संशोधकों का विशेष तौर पर उल्लेख किया जाता है। आज के समय में उपयोग में लाये जाने वाले ‘व्हॅक्युम क्लीनर’ को सायक्लॉन अथवा रोबोटिक यंत्रों का उपयोग करके बनाया जाता है।

जिसके लिए पहले पूरा एक दिन खराब करना पड़ता था, ऐसे उस साफ़-सफाई का काम ‘व्हॅक्युम क्लीनर’ की सहायता से बस कुछ ही घंटो में ही पूरा कर लिया जाता है। इस से हमारे समय की भी बचत होती है और मन भी प्रसन्न रहता है। कम से कम इस हेतु से ही सही हबर्ट बूथ का आभार सामान्य गृहिणियों को मानना ही चाहिए।

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