अमरीका की ओर से ‘हिजबुल मुजाहिद्दीन’ को अन्तर्राष्ट्रीय आतंकवादी संगठन घोषित किया गया

वॉशिंगटन: ‘हिजबुल मुजाहिद्दीन’ का प्रमुख सय्यद सल्लाहुद्दीन को दो महीने पहले अन्तर्राष्ट्रीय आतंकवादी घोषित करने वाले अमरीका ने ‘हिजबुल मुजाहिद्दीन’ को भी काली सूचि में डाल दिया है। अमरीका ने ‘हिजबुल मुजाहिद्दीन’ को अन्तर्राष्ट्रीय आतंकवादी संगठन घोषित करके उसपर प्रतिबन्ध लगाया है। यह अमरीका ने पाकिस्तान को दिया हुआ और एक झटका है।

काली सूचि

जून महीने में अमरीका ने सल्लाहुद्दीन को अन्तर्राष्ट्रीय आतंकवादी घोषित किया था। इसके बाद भी सल्लाहुद्दीन पाकिस्तान में खुले आम घूम रहा है। इतना ही नहीं अमरीका ने की इस घोषणा के बाद दो दिनों में ही जाहिर सभा में सल्लाहुद्दीन ने कुबूल किया था की उसने भारत में आतंकवादी हमले किए हैं। मुजफ्फराबाद की इस सभा में सल्लाहुद्दीन का धूमधाम से स्वागत हुआ था। साथ ही इस समय जम्मू-कश्मीर में और भी बड़े हमले करने की घोषणाएं दी गई थी। अमरीका ने सल्लाहुद्दीन को भले ही आतंकवादी घोषित किया हो, लेकिन पाकिस्तान की नीति में फर्क नहीं पड़ने वाला, ऐसा सन्देश देने का इसके द्वारा प्रयास किया गया है।

लेकिन पाकिस्तान ज्यादा समय तक अपनी यह आतंकवादियों को मदद करने की नीति आगे नहीं चला सकता, ऐसा स्पष्ट रूप से इशारा अमरीका ने ‘हिजबुल’ को आतंकवादी घोषित करके दिया है। इसका बहुत बड़ा परिणाम पाकिस्तान पर हो सकता है। वर्तमान में पाकिस्तान में आतंकवादी विरोधी और आतंकवादियों का समर्थन करने वालों में संघर्ष शुरू हुआ और इस संघर्ष में पाकिस्तान की सेना आतंकवादियों का समर्थन करती दिखाई दे रही है। तो केवल पाकिस्तान में आतंक मचानेवाले आतंकवादियों पर कार्रवाई करने की नीति नहीं अपनानी चाहिए, ऐसा आतंकवादी विरोधी समूह का कहना है। इस मामले में ठोस भूमिका लेने की कोशिश करने वाले प्रधानमंत्री नवाझ शरीफ को पाकिस्तानी लश्कर ने ही हटाने के इल्जाम लगाए जा रहे हैं।

पाकिस्तानी लश्कर ने और लश्कर समर्थक गुटों ने अपनी आतंकवादी समर्थन की नीति को नहीं बदला, तो आने वाले समय में पाकिस्तान को अन्तर्राष्ट्रीय स्तरपर ज्यादा विरोध होगा, ऐसा इशारा इस देशों के बुद्धिमान लोग दे रहे हैं। इसी दौरान हफीज सईद जैसा नजरबन्द आतंकवादी राजनितिक पार्टी की स्थापना करता है, यह दुनिया भर में पाकिस्तान का सर नीचा करने वाली बात साबित हो रही है, इसकी तरफ जानकर ध्यान आकर्षित कर रहे हैं।

आतंकवादी नेताओं को राजनितिक पार्टी स्थापन करने की आजादी देनेवाली पाकिस्तान की राजनितिक और लष्करी व्यवस्था, बलूचिस्तान की जनता की न्यायिक माँग के लिए राजनितिक संघर्ष करने वाली पार्टियों पर कड़ी कार्रवाई करके उनको हथियार उठाने के लिए मजबूर कर रही है, यह विरोधाभास पाकिस्तान की भयंकर स्थिति का एहसास कराने वाला है, ऐसा जानकारों का कहना है।

ऐसी परिस्थिति में अमरीका ने ‘हिजबुल’ को आतंकवादी संगठन घोषित करके आतंकवादियों का समर्थन करने वाली पाकिस्तानी सेना के साथ साथ कट्टरपंथियों पर दबाव और भी बढाया है।

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