तिब्बत के ‘गव्हर्मेंट इन एक्झाईल’ के प्रमुख लॉबसांग सांगेय ने किया अमरीका का दौरा

वॉशिंग्टन – भारत में स्थित ‘तिब्बतियन गव्हर्मेंट इन एक्झाईल’ के प्रमुख एवं वरिष्ठ तिब्बती नेता डॉ.लॉबसांग सांगेय ने शुक्रवार के दिन अमरीका का दौरा किया। बीते छह दशकों से भारत से चलाई जा रही तिब्बत की सरकार के प्रमुख ने अमरीका का किया यह पहला दौरा है। अमरिकी सरकार के निमंत्रण से ही यह ऐतिहासिक घटना संभव हुई, ऐसी प्रतिक्रिया ‘तिब्बतियन गव्हर्मेंट इन एक्झाईल’ ने दर्ज़ की है। अमरीका ने दिया हुआ यह निमंत्रण, चीन के लिए जोरदार झटका होने की बात समझी जा रही है।

tibet-govt-in-exile‘बीते छह दशकों में अमरीका ने, भारत से चलायी जा रहीं तिब्बती सरकार के प्रमुख को अमरीका आने के लिए अधिकृत न्यौता नहीं दिया था। अमरिकी सरकार ने शरणार्थी तिब्बती सरकार को मंज़ुरी देने से किया हुआ इन्कार ही इसके पीछे प्रमुख कारण था। इसी कारण, अब इस सरकार के प्रमुख को अमरीका ने निमंत्रित करना और उसपर तिब्बती सरकार के प्रमुख ने अमरीका का दौरा करना, यह तिब्बत की इस सरकार और उसके प्रमुख को अमरिकी सरकार ने दी हुई मंज़ुरी है’, इन शब्दों में ‘तिब्बतियन गव्हर्मेंट इन एक्झाईल’ ने डॉ.सांगेय के अमरीका दौरे की अहमियत रेखांकित की है। तिब्बती नागरिक और तिब्बत के समर्थकों के लिए यह दौरा बड़ी जीत साबित होता है, यह बयान डॉ.लॉबसांग सांगेय ने किया है।

tibet-govt-in-exile‘तिब्बतियन गव्हर्मेंट इन एक्झाईल’ के प्रमुख डॉ.सांगेय ने शुक्रवार के दिन व्हाईट हाउस की भेंट की। इस दौरान उन्होंने, अमरीका ने तिब्बत के लिए नियुक्त किए हुए विशेष समन्वयक रॉबर्ट डेस्ट्रो से मुलाकात की। डेस्ट्रो की नियुक्ती के बाद उनकी सांगेय से हुई यह दूसरीं मुलाकात है। व्हाईट हाउस में हुई बातचीत के दौरान डॉ.लॉबसांग सांगेय ने, अमरीका ने आमंत्रित करने पर शुक्रिया अदा किया और तिब्बत के मुद्दे पर भी चर्चा की। तिब्बती सरकार के प्रमुख को आमंत्रित करनेवाली अमरीका ने इसी मुद्दे पर चीन को दो बड़े झटके दिए होने की बात सामने आयी है। अमरिकी संसद के ‘हाउस ऑफ रिप्रेझेंटेटिव्ह’ में ‘स्वायत्त तिब्बत’ के मुद्दे पर स्वतंत्र प्रस्ताव पारित किया गया है। धार्मिक और सांस्कृतिक दृष्टि से तिब्बत एक अहम हिस्सा है और तिब्बत की समस्या का हल शांतिपूर्वक बातचीत से निकालना होगा, यह बात वर्णित प्रस्ताव में दर्ज है। इस दौरान तिब्बती नेता और धर्मगुरू दलाई लामा के कार्य का भी सम्मान किया गया। साथ ही, अमरिकी विदेश विभाग ने जारी की चीन संबंधित रिपोर्ट में, तिब्बत को ‘लष्करी हमले से कब्ज़ा किया हुआ क्षेत्र’ बताया गया है। अमरीका ने अधिकृत स्तर पर तिब्बत का इस तरह से ज़िक्र करने का यह पहला अवसर है। चीन की शासक कम्युनिस्ट पार्टी ने ६० लाख तिब्बती जनता पर अत्याचार करना जारी रखा है, यह आरोप भी रखा गया है।

कोरोना की महामारी और वर्चस्ववादी हरकतों की वजह से मुश्‍किलों से घिर रहें चीन पर लगातार दबाव बनाने की नीति अमरिका ने अपनाई है। हाँगकाँग, उइगरवंशी, तिब्बत जैसें मुद्दों पर अमरीका ने अपनाई उसी नीति का हिस्सा है। आनेवाले दिनों में इस तरह के निर्णयों की गति और तीव्रता अधिक बढ़ेगी, ऐसें संकेत तिब्बत से संबंधित घटनाओं से प्राप्त हो रहे हैं।

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