भारत-चीन में अविश्‍वास बढ़ते समय, भारत का अमरीका के साथ सहयोग अधिक ऊँचाई को छू रहा है – अमरीका के ऍडमिरल ऍक्विलिनो का दावा

वॉशिंग्टन – ‘भारत और अमरीका के बीच लष्करी सहयोग, पहले कभी नहीं था इतनी ऊँचाई पर पहुँचा है। उसी समय, भारत और चीन में अविश्वास, पहले कभी नहीं था इतने निचले स्तर पर गया है’, ऐसा सूचक बयान अमरीका के ऍडमिरल जॉन ऍक्विलिनो ने किया। जल्द ही अमरिकी नौसेना की ‘इंडो-पॅसिफिक कमांड’ की बागडोर ऍडमिरल ऍक्विलिनो सँभालेंगे। इससे पहले अमरिकी सीनेट की ‘आर्म्ड सर्व्हिसेस कमिटी’ के सामने हुई सुनवाई में ऍडमिरल ऍक्विलिनो नेकिये ये दावे गौरतलब साबित होते हैं।

अपनी उत्तरी सीमा की रक्षा के लिए भारत ने कठोर भूमिका अपनाई और चीन को जबरदस्त प्रत्युत्तर दिया, ऐसा बताकर, इसके लिए ऍडमिरल ऍक्विलिनो भारत की सराहना की। लद्दाख की एलएसी पर भारत और चीन के बीच हुई मुठभेड़ के बाद दोनों देशों के बीच के हालात बहुत ही बदले हुए हैं। इसके बाद भारत चीन की ओर अविश्वासपूर्वक देख रहा होकर, चीन के ‘वन बेल्ट वन रोड’ प्रोजेक्ट पर भारत अधिक ही शक करने लगा है। वहीं, पाकिस्तान के ग्वादर और श्रीलंका के हंबंटोटा बंदरगाहों में चीन के कारनामे भारत की चिंता बढ़ाने वाले साबित हो रहे हैं, ऐसा ऍडमिरल ऍक्विलिनो ने कहा।

भारत-चीन में अविश्‍वास बढ़ते समय, भारत का अमरीका के साथ सहयोग अधिक ऊँचाई को छू रहा है - अमरीका के ऍडमिरल ऍक्विलिनो का दावाइसी के साथ, इंडो-पैसिफिक क्षेत्र में चीन के कारनामे, अपारदर्शी नीतियाँ और हिंद महासागर क्षेत्र में चीन की दोगली गतिविधियाँ, इससे इस क्षेत्र की स्थिरता खतरे में आई है, ऐसा निष्कर्ष ऍडमिरल ऍक्विलिनो ने अमेरिकी सीनेट को दिए लिखित जवाब में कहा है। भारत और चीन के बीच अविश्वास बढ़ता चला जा रहा है। ऐसे दौर में, भारत का अमरीका के साथ लष्करी सहयोग, पहले कभी नहीं था इतनी ऊँचाई पर पहुँचा है, ऐसा दावा ऍडमिरल ऍक्विलिनो ने किया। भारत के साथ द्विपक्षीय तथा बहुपक्षीय सहयोग अधिक से अधिक दृढ़ बनता चला जा रहा है, इसका अनुभव अमरीका ले रही है , ऐसी जानकारी इस समय ऍक्विलिनो ने दी।

लद्दाख में चल रहीं चीन की हरकतों के कारण केवल भारत ही नहीं, बल्कि अन्य पड़ोसी देशों को भी चीन से होनेवाला खतरा नए से अधोरेखांकित हुआ होने की बात ऍडमिरल ऍक्विलिनो ने स्पष्ट की। इस कारण भारत और अमरीका के बीच लष्करी सहयोग पहले से अधिक मात्रा में बढ़ा है और यह सकारात्मक बात साबित होती है। इसलिए इंडो-पैसिफिक क्षेत्र मुक्त और स्वतंत्र रखने के लिए भारत और अमरीका अधिक खुलेपन से एक-दूसरे के साथ सहयोग करेंगे, ऐसा विश्वास ऍडमिरल ऍक्विलिनो ने जाहिर किया। अगर इंडो-पैसिफिक कमांड के प्रमुख के रूप में मेरी नियुक्ति हुई ही, तो मैं भारत के साथ अमरीका का यह सहयोग और आगे ले जाने की कोशिश करूँगा, ऐसा यकीन ऍडमिरल ऍक्विलिनो ने दिलाया। उसी समय भारत के रक्षा बलों के आधुनिकीकरण के लिए सहायता करने को मैं प्राथमिकता दूँगा, ऐसा ऍडमिरल ऍक्विलिनो ने स्पष्ट किया।

बता दें, महत्वपूर्ण पद पर नियुक्ति होने से पहले अमरीका के ऍडमिरल तथा कमांडर्स को, उस पद के विषय में अपनी भूमिका और विचार अमरिकी सीनेट की ‘आर्म्ड सर्व्हिसेस कमिटी’ के सामने प्रस्तुत करने पड़ते हैं। यह सुनवाई बहुत ही गंभीरता से ली जाती है। ऍडमिरल ऍक्विलिनो ने इस संदर्भ में रखी भूमिका, इसी कारण ध्यान आकर्षित करनेवाली साबित हो रही है।

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