हमारे बच्चे शरणार्थियों के साथ स्कुल में नहीं जाएंगे – ग्रीस के ‘चिऑस’ द्वीप के एक हजार पालकों की अंतिम चेतावनी

Third World Warअथेन्स – शरणार्थियों के समूहों के लिए यूरोप का प्रवेशद्वार के तौर पर पहचाने जाने वाले ग्रीस में शरणार्थियों के खिलाफ असंतोष अधिकाधिक तीव्र होता जा रहा है। ग्रीस के ‘चिऑस’ द्वीप पर स्थित एक हजार से अधिक पालकों ने अपने बच्चों को शरणार्थियों के साथ स्कूल में पढने के लिए नहीं भेजने वाले हैं, ऐसी अंतिम चेतावनी दी है। सरकार शरणार्थियों के मुद्दे को सुलझाने में पूरी तरह से असफल साबित हुई है और उसका बोझ नागरिकों पर जबरदस्ती से न डाला जाए, ऐसी आक्रामक मांग भी ‘चिऑस’ के नागरिकों ने की है।

यूरोपीय महासंघ ने की विविध उपाय योजनाएं और अनुबंध के बाद भी शरणार्थियों की संख्या अभी तक कम नहीं हुई है। ऐसे में यूरोप के लगभग सभी देशों से शरणार्थियों को होने वाला विरोध दिन प्रति दिन तीव्र होता जा रहा है। पिछले साल भर में यूरोपीय देशों में हुए चुनाओं के परिणामों से शरणार्थियों खिलाफ असंतोष के परिणाम दिखाई दे रहे हैं। इस वजह से एक समय शरणार्थियों का खुलकर स्वागत करने वाले देश भी उनको खदेड़ने की और उनको यूरोप के बाहर रखने की माँग कर रहे हैं।

‘चिऑस’, मांग, CHIOS, द्वीप, शरणार्थी, विरोध, ग्रीस, स्वयंसेवी संस्थाइस पृष्ठभूमि पर, ग्रीस के ‘चिऑस’ की घटना ध्यान आकर्षित करती है। ‘चिओस’ में पिछले कुछ वर्षों में हजारों की संख्या में शरणार्थी दाखिल हुए हैं। और उनका बहुत बड़ा बोझ स्थानीय यंत्रणाओं पर पड़ा है। विविध स्वयंसेवी संस्थाओं ने शरणार्थियों के लिए सुविधाएं उपलब्ध कराके दी हैं, लेकिन वह पर्याप्त नहीं हैं। ईसी पृष्ठभूमि पर स्वयंसेवी संस्थाओं की तरफ से चलाये जाने वाले स्कूलों के बच्चों को स्थानीय प्रशासन की तरफ से चलाए जाने वाले स्कूलों में समाविष्ट करने के आदेश दिए गए हैं।

स्थानीय नागरिकों के मत को ध्यान में रखे बिना यह निर्णय लिए जाने की वजह से इसपर तीव्र प्रतिक्रिया आई है और लगभग १ हजार १३० पालकों ने प्रशासन को खुला खत लिखकर जवाब माँगा है। उसमें सरकार शरणार्थियों को दिए गए आश्वासन पूरा करने की जिम्मेदारी न लेकर स्थानीय लोगों को परेशान कर रही है, ऐसा आरोप किया गया है। वर्तमान में द्वीप पर स्थित स्कूलों के बजाय शरणार्थियों के लिए स्वतंत्र क्षेत्र में स्कूल खोलकर व्यवस्था की जाए ऐसी मांग पालकों ने की है। स्थानीय प्रशासन और शिक्षा मंत्रालय ने हमारी मांगों का आदर करना चाहिए, ऐसी इसमें चेतावनी दी गई है।

यूरोप के विविध देशों में शरणार्थी स्थानीय मूल्य और सांस्कृति का स्वीकार न करके केवल अपने धार्मिक और सामाजिक मूल्यों पर जोर देकर वह स्थानीय समाज पर लागू कर रहे हैं। इसके गंभीर परिणाम यूरोपियन समाज पर दिखाई दे रहे हैं। यह समाज और मूल्य नष्ट होते जा रहे हैं ऐसा लोग कह रहे हैं।

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