सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों के लिए सरकार नयी नीति लायेगी – केंद्रीय वित्तमंत्री सीतारामन की घोषणा

नई दिल्ली – सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों (पीएसई) के लिए नयी नीति लायी जायेगी, ऐसा केंद्रीय वित्तमंत्री सीतारामन ने घोषित किया है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने घोषित किये हुए आर्थिक पॅकेज के पाँचवें और अंतिम चरण की घोषणाएँ वित्तमंत्री ने कीं। इसमें रणनीतिक क्षेत्र को छोड़कर अन्य क्षेत्रों के सार्वजनिक उपक्रमों का निजीकरण करने की बड़ी घोषणा सीतारामन ने की है। साथ ही, ‘एमएसएमई’ क्षेत्र की कंपनियों को ‘दिवालिया’ घोषित करने के लिए होनेवाले निकष बदलकर उद्योग क्षेत्र को बड़ी राहत देने का प्रयास सरकार ने किया है। इसके अलावा, राज्यों की कर्ज़ा लेने की मर्यादा बढ़ाकर, कोरोना के संकट में राज्यों के हाथ में अतिरिक्त पैसा आयेगा, इसका प्रावधान किया गया है।

रणनीतिक दृष्टि से अहम होनेवाले कुछ क्षेत्रों को छोड़कर सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों (पब्लिक सेक्टर एन्टरप्राइसेस – पीएसई) का निजीकरण किया जानेवाला है, ऐसा वित्तमंत्री सीतारामन ने घोषित किया है। साथ ही, रणनीतिक दृष्टि से महत्त्वपूर्ण क्षेत्रों में भी १ से ४ से अधिक सार्वजनिक उपक्रम की कंपनियाँ नहीं रहेंगी, ऐसी नीति अपनायी जा रही होकर, सभी क्षेत्र निजी कंपनियों के लिए खुले किये जानेवाले हैं, ऐसा केंद्रीय वित्तमंत्री ने कहा है। रणनीतिक क्षेत्र में भी निजी कंपनियों को अनुमति दी जायेगी, ऐसा उन्हों ने आगे कहा।

इस योजना के अनुसार, कुछ क्षेत्रों को बतौर ‘रणनीतिक क्षेत्र’ घोषित किया जायेगा। किस ‘पीएसई’ का निजीकरण किया जायेगा, रणनीतिक क्षेत्र की कौनसी कंपनी सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनी के तौर पर क़ायम रहेगी, यह बाद में तय किया जानेवाला है। कुछ सार्वजनिक उपक्रमों का विलिनीकरण कर उनकी संख्या कम करने की नीति तय की जानेवाली है, ऐसा सीतारामन ने स्पष्ट किया।

कोरोना के संकट के दौरान राज्यों की भी आय घटी होकर, राज्यों की ही माँग के अनुसार, राज्यों की उनके जीडीपी के अनुपात में कर्ज़ा लेने की मर्यादा में बढ़ोतरी की गयी है, ऐसा वित्तमंत्री ने घोषित किया। अप्रैल महीने तक केंद्र सरकार ने राज्यों को कर आय के रूप में ४६ हज़ार करोड़ दिये हैं, ऐसी जानकारी देते हुए, राज्यों की कर्ज़ा लेने की मर्यादा पाच प्रतिशत इतनी की गयी होने की बात सीतारामन ने कही। इससे पहले राज्य सकल उत्पाद (एसजीडीपी) के तीन प्रतिशत इतना कर्ज़ा राज्य ले सकते थे। सब राज्यों ने मिलाकर अब तक अधिकृत मर्यादा के १४ प्रतिशत ही कर्ज़े लिये हैं। ८६ प्रतिशत मर्यादा अभी भी बाक़ी है। कर्ज़ा लेने की मर्यादा बढ़ा देने के कारण, राज्यों को ४.२८ लाख करोड़ रुपयों का अतिरिक्त स्रोत उपलब्ध होगा, ऐसा सीतारामन ने कहा।

सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्योगों (एमएसएमई) के साथ ही अन्य उद्योग क्षेत्र को राहत देनेवालीं घोषणाएँ भी वित्तमंत्री सीतारामन ने कीं। कंपनी क़ानून में बदलाव किये जा रहे हैं और छोटीं-बड़ीं तांत्रिक ख़ामियाँ इसके आगे गुनाह नहीं मानीं जानीं जायेंगी। ‘इनसॉल्व्हन्सी अँड बँकरप्सी बोर्ड ऑफ इंडिया’ के तहत भी कंपनियों को कुछ छूट दी गयी है। इसके अनुसार कोरोनावायरस के कारण निर्माण हुई समस्या की वजह से व्यवसायों पर परिणाम हुआ है। कर्ज़ों का भुगतान रुका है। कोरोना के कारण यदि किश्तें चुकाने में उन्हें अड़चनें आ रहीं हैं, तो उन्हें डिफॉल्टर क़रार नहीं दिया जायेगा। साथ ही, एक साल तक तो दिवालियापन की प्रक्रिया शुरू नहीं की जायेगी। ‘एमएसएमई’ के लिए विशेष दिवालियापन की प्रक्रिया तैयार की जा रही है। इस क्षेत्र के लिए दिवालियापन की प्रक्रिया शुरू करने की मर्यादा एक लाख से बढ़ाकर एक करोड़ रुपये की गयी होने की जानकारी सीतारामन ने दी।

साथ ही, शिक्षा के लिए तंत्रज्ञान का आधार लिया जानेवाला है। सरकार द्वारा ‘पीएम ई-विद्या’ कार्यक्रम के तहत स्कूली शिक्षा के लिए डिजिटल प्लॅटफॉर्म उपलब्ध करा दिया जानेवाला है। हर कक्षा के लिए एक टीव्ही चॅनल लॉन्च किया जानेवाला होकर, पहलीं से बारहवीं तक ऐसे १२ टीव्ही चॅनल शुरू किये जायेंगे। दिव्यांग छात्रों के लिए भी विशेष कार्यक्रम प्रसारित किये जायेंगे। साथ ही, देश के पहले १०० विश्वविद्यालयों को ३१ मई से पासून ऑनलाईन कोर्सेस शुरू करने के लिए कहा गया है, ऐसा सीतारामन ने कहा। ‘मनोदर्पण’ नाम से छात्र, पालक और अध्यापकों के लिए मनोवैज्ञानिक सलाह देने के लिए भी एक कार्यक्रम शुरू किया जानेवाला है।

इसीके साथ, स्वास्थ्य क्षेत्र में सुधारों का अहम निर्णय किया गया है। ग्रामीण तथा शहरी भाग में हेल्थ और वेलनेस केंद्रों की संख्या बढ़ा दी जानेवाली है। साथ ही, कोरोना की पृष्ठभूमि पर हर ज़िले में ‘इन्फेक्शन डिसीज हॉस्पिटल ब्लॉक’ बनाये जानेवाले हैं। इसके तहत विभाग के अनुसार पब्लिक हेल्थ लॅब और अस्पतालों का निर्माण किया जायेगा। रोजगार गारंटी योजना (मनरेगा) के तहत रोज़गार को बढ़ावा देने के लिए ४० हज़ार करोड़ रुपयों की अतिरिक्त निधि देने की घोषणा भी वित्तमंत्री सीतारामन ने की।

Leave a Reply

Your email address will not be published.