आक्रामकता ना रोकी, तो चीन का भारत और तैवान के साथ संघर्ष भड़केगा – विश्‍लेषक गॉर्डन चँग का निष्कर्ष

लंडन – चीन ने यदि अपनी आक्रामक लष्करी गतिविधियाँ नहीं रोकीं, तो भारत और ताइवान के साथ चीन का संघर्ष हो सकता है, ऐसी चेतावनी विख्यात विश्लेषक गॉर्डन चँग ने दी है। चीन की आक्रामकता के कारण ही भारत, अमरीका, जापान और ऑस्ट्रेलिया का क्वाड संगठन मजबूत बना, ऐसा दावा चँग ने किया। ब्रिटेन के एक अखबार को दिए इंटरव्यू में गॉर्डन चँग ने यह निष्कर्ष दर्ज किया कि चीन से अपनी सुरक्षा को होनेवाले खतरे का अहसास अब तक सभी देशों को हो चुका है।

इन दिनों ऑस्ट्रेलिया और चीन के बीच व्यापारयुद्ध जारी है। ऑस्ट्रेलिया ने चीन के विरोध में कठोर फैसले किए हैं। कोरोना की महामारी का उद्गम चीन की वुहान लैब से हुआ, इसकी निष्पक्ष और गहराई से जांच की जाए, ऐसी माँग ऑस्ट्रेलिया कर रहा है। चीन के लष्कर ने, तीसरे विश्वयुद्ध में कोरोना की महामारी का, जैविक शस्त्र जैसा इस्तेमाल करने की तैयारी सन २०१५ से की थी, ऐसा रहस्य उजागर करनेवाली खबर ऑस्ट्रेलियन अखबार में प्रकाशित की। उससे भी पहले, युद्ध के नगाड़े सुनाई दे रहे होने का दावा ऑस्ट्रेलिया के वरिष्ठ अधिकारियों ने किया था और चीन से अपने देश को होनेवाला खतरा स्पष्ट रूप में प्रस्तुत किया था।

ऐसा होने के बावजूद भी चीन और ऑस्ट्रेलिया में ठेंठ युद्ध नहीं भड़केगा, ऐसा गॉर्डन चँग ने कहा है। चीन ऑस्ट्रेलिया के विरोध में लष्करी कार्रवाई करके युद्ध छेड़ना संभव नहीं है। क्योंकि दोनों देशों में बहुत बड़ा भौगोलिक फ़ासला है। इसी कारण चीन ऑस्ट्रेलिया के विरोध में लष्करी कार्रवाई न करते हुए, इस देश को लक्ष्य करने के लिए अलग विकल्पों का इस्तेमाल करेगा, ऐसा लक्षणीय दावा चँग ने किया। हालाँकि स्पष्ट रूप में उल्लेख नहीं किया है, फिर भी चीन ऑस्ट्रेलिया को अलग मार्ग से परेशान कर सकता है, इस बात पर गौर फरमाकर, गॉर्डन चँग ऑस्ट्रेलिया को चौकन्ना कर रहे होने के संकेत मिल रहे हैं।

लेकिन चीन ने ताइवान और भारत के विरोध में लष्करी गतिविधियाँ शुरू कीं हैं। अगर उनमें बढ़ोतरी हुई, तो संघर्ष का बहुत बड़ा खतरा संभव है, ऐसा चँग ने जताया। फिलहाल चीन ने ताइवान की हवाई सीमा में घुसपैठ का प्रमाण और तीव्रता बढ़ाई है। किसी भी पल ताइवान पर चीन का हमला हो सकता है, ऐसी स्थिति पैदा हुई दिख रही है। ऐसी परिस्थिति में अमरीका भी ताइवान को सहायता की आपूर्ति नहीं कर सकेगी और अगर अमरीका ताइवान के समर्थन में उतरेगी, तो अमरीका की भी हार होगी, ऐसी धमकियाँ चीन और चीन के एजेंटों द्वारा दी जा रहीं हैं। इस कारण, अन्तर्राष्ट्रीय ख्याति के लेखक होनेवाले गॉर्डन चँग ने दी इस चेतावनी की गंभीरता बढ़ी है।

वहीं, दूसरी तरफ लद्दाख की एलएसी के क्षेत्र में लष्करी तैनाती बढ़ाकर चीन भारत पर दबाव बढ़ाने की तैयारी कर रहा है। लद्दाख की एलएसी पर चीन ने भारत पर दबाव डालने की कोशिश करके तो देखी, लेकिन भारतीय लष्कर को वहाँ से हटाने में चीन नाकाम साबित हुआ। भारतीय सेना लद्दाख की एलएसी पर अड़िगता से खड़ी रही और उसका चीन को ही ज़बरदस्त झटका लगा, ऐसा भारत के रक्षाबलप्रमुख जनरल बिपिन रावत ने कहा था। उनके इन बयानों की चीन के सरकारी मुखपत्र ने दखल ली थी। इस कारण अब लद्दाख की एलएसी का मुद्दा चीन के लिए अन्तर्राष्ट्रीय प्रतिष्ठा का मुद्दा बना है। इसी कारण लद्दाख के एलएसी के नजदीकी तिब्बत के क्षेत्र में चीन बड़े पैमाने पर लष्करी तैनाती कर रहा है। भारतीय सेना चीन की इन गतिविधियों पर कड़ी नजर रखे हैं।

ऐसी परिस्थिति में चीन अपनी गँवाई हुई प्रतिष्ठा को पुनः प्राप्त करने के लिए लद्दाख की एलएसी पर अथवा एलएसी पर के अन्य स्थानों पर लष्करी दुस्साहस कर सकता है। इससे दोनों देशों में संघर्ष भड़क सकता है, इस बात की गॉर्डन चँग ने व्यक्त की चिंता को नकारा नहीं जा सकता।

Leave a Reply

Your email address will not be published.