देश में सोने के दाम रेकॉर्ड़ स्तर पर

नई दिल्ली – फिलहाल देश में लॉकडाऊन की वजह से हालाँकि सोने की प्रत्यक्ष माँग में प्रचंड प्रमाण में गिरावट आयी है, फिर भी देश में सोने के दामों ने रेकॉर्ड़ ऊँचाई को छू लिया है। सोने के दाम ४८ हज़ार प्रति १० ग्रॅम तक पहुँचे हैं। सोमवार सुबह सोने के दरों में ८८१ रुपयों की उछाल दिखायी दी। ९ अप्रैल से सोने के दरों में २,७२८ रुपयों की वृद्धि हुई है। इस वर्ष में अब तक सोने की क़ीमतें १६ प्रतिशत बढ़ी हैं। अगले सालभर में सोने की क़ीमतें ५२ हज़ार रुपये प्रति १० ग्रॅम तक पहुँचेंगी, ऐसा अनुमान विश्लेषकों ने जताया है। देश में सोने के दामों में फिलहाल दिखायी देनेवाली वृद्धि में अलग अलग कारण होने का दावा अभ्यासकों ने किया है।

सोमवार को देश में शुद्ध सोने के दर प्रति १० ग्रॅम ४७,९२९ रुपयों तक पहुँचे। शुक्रवार के दिन सोने के थोक बाज़ार में सोने के दर ४७,०६७ रुपये थे। क़रीबन महीनेभर पहले ९ अप्रैल को वही दर ४५,२०१ इतना था। वहीं, १३ अप्रैल को ये दर ४६,५२३ इस रेकॉर्ड़ स्तर पर पहुँचे। उसके बाद १६ अप्रैल को सोने के दर ने ४६,९२८ प्रति १० ग्रॅम यह नया उच्चांक स्थापित किया। लेकिन इस रेकॉर्ड़ स्तर पर पहुँचने के बाद, लगभग महीने भर के लिए सोने के दर में होनेवाला उतार-चढ़ाव इसी स्तर के आसपास हो रहा था। लेकिन शुक्रवार १५ अप्रैल को सोने के दर ने नया रेकॉर्ड़ स्थापित किया; वहीं, सोमवार को बाज़ार पुन: शुरू होते ही सोने के दर ने नयी रेकॉर्ड़ ऊँचाई को छू लिया।

कोरोनावायरस के कारण देश में २४ मार्च को देशव्यापी लॉकडाऊन की घोषणा हुई। इससे देश में सोने की प्रत्यक्ष माँग ना के बराबर हुई है। लेकिन लॉकडाउन के इन ५० दिनों में भौतिक माँग घटी होने के बावजूद भी सोने के दर कम नहीं हुए हैं। इसके पीछे अलग अलग कारण हैं, ऐसा विश्लेषकों का कहना है। सोने की माँग हालाँकि घटी है, फिर भी कोरोनावायरस के कारण निर्माण हुई अस्थिर आर्थिक परिस्थिति में शेअर बाज़ार में लगातार दिखायी देनेवाली गिरावट के चलते निवेशकारों ने अपना रूख सोने की ओर किया है। वर्तमान स्थिति में शाश्वत निवेश के तौर पर सोने में और गोल्ड बॉण्ड में निवेश हो रहा है।

जागतिक बाज़ार में भी सोने के दरों में बड़ी वृद्धि हुई है। कई देशों ने सोने में अपना निवेश बढ़ाया है, यह सामने आया है। अमरीका और चीन के बीच का व्यापार युद्ध ख़त्म नहीं हुआ है। कोरोना की पृष्ठभूमि पर दोनों देशों के बीच के व्यापारी संबंध अधिक से अधिक तनावपूर्ण होते जायेंगे, यह स्पष्ट रूप से दिखायी दे रहा है। साथ ही, कोरोना पर टीका प्राप्त होने तक अमरिकी अर्थव्यवस्था सँवरेगी, इसकी संभावना नहीं है। उसीमें जागतिक महामंदी की संभावना विश्लेषक जता रहे हैं। यह भी कारण है, जिससे कि निवेशकार सोने के निवेश में अधिक विश्वास दिखा रहे हैं।

साथ ही, दुनियाभर में लॉकडाऊन की स्थिति के कारण सोने का उत्खनन भी रेकॉर्ड़ स्तर तक गिरा होकर, सप्लाई कम हुई है। ‘वर्ल्ड गोल्ड कौन्सिल’ के अनुसार, उत्खनन सन २०१५ के समान नीचले स्तर पर पहुँचा है। इसका असर भी सोने की क़ीमतों पर हुआ है।

फिलहाल देश में सरकार और आरबीआय ने लिक्विडिटी बढ़ाने के लिए अलग अलग उपाय हाथ में लिए हैं। बाज़ार में लिक्विडिटी का बढ़ना यह सोने के लिए हमेशा ही सकारात्मक बात साबित होती है, इसपर भी विश्लेषक ग़ौर फ़रमा रहे हैं। उसीके साथ भारत यह सोने का प्रमुख आयातदार देश है। लेकिन वर्तमान समय में भारतीय मुद्रा की क़ीमत में डॉलर्स की तुलना में गिरावट आयी है। सोमवार को भारतीय रुपये का विनिमय दर ३३ पैसे से फिसलकर प्रति डॉलर ७५.९१ रुपये तक कम हुआ है। मुद्रा के विनिमय दर में किसी भी बदलाव का परिणाम तुरंत सोने की क़ीमतों पर दिखायी देता ही, इसपर भी विश्लेषक ग़ौर फ़रमा रहे हैं।

Leave a Reply

Your email address will not be published.