काबूल के गुरुद्वारा पर हुए हमले के सूत्रधार को हमारी कस्टडी में दें – पाकिस्तान ने अफगानिस्तान के सामने रखी माँग

इस्लामाबाद – अफगानिस्तान के काबुल में स्थित सिख धर्मियों के गुरुद्वारा पर क़ायराना हमला करनेवाले मौलवी अब्दुल्ला उर्फ अस्लम फारुखी को अफगान सुरक्षा यंत्रणा ने हिरासत में लिया है। पाकिस्तान पुरस्कृत आतंकी लष्कर-ए-तोयबा एवं हक्कानी नेवटर्क इन संगठनों से यह मौलवी पहले से जुडा है और इन्हीं संगठनों के लिए काम कर रहा था। इस वजह से, काबुल में हुए इस कायराना हमले के तार सीधे पकिस्तान तक जा पहुँचने की बात स्पष्ट हुई थी। इस पृष्ठभूमि पर, मौलवी अब्दुल्ला की तहकिक़ात करने के लिए इसकी कस्टडी हमें दे दें, यह माँग पाकिस्तान ने रखी है।

अफगानिस्तान में मौजूद ‘इस्लामिक स्टेट ऑफ खोरासान प्रोविंस’ (आयएसकेपी) इस ‘आयसीस’ से जुड़े आतंकी संगठन के लिए फिलहाल काम कर रहें मौलवी अब्दुल्ल्ला को, असल में काबूल में स्थित भारतीय दूतावास पर हमला करना था। पर, कड़ी सुरक्षा के कारण यह मुमकिन नहीं हो सका। इसी वजह से उसने सिख धर्मियों के गुरुद्वारा पर क़ायराना आतंकी हमला करके २२ लोगों की हत्या की थी। इसके बाद कुछ ही दिनों में मौलवी अब्दुल्ला को अफगान सुरक्षा यंत्रणाओं ने, संयुक्त मुहिम हाथ में लेकर गिरफ्तार किया था। मौलवी अब्दुल्ला को उसके २० सहयोगियों समेत हिरासत में लिया गया हैं।

मौलवी अब्दुल्ला और उसके सहयोगियों की गिरफ्तारी होते ही पाकिस्तान को झटका लगा है और इसी बीच, इस आतंकी की कस्टडी हमें दे दें, यह माँग पाकिस्तान ने अफगानिस्तान के सामने रखी है। अपने देश में हुए कुछ आतंकी हमलों में मौलवी अब्दुल्ला का हाथ होगा, यह आशंका जताकर पाकिस्तान ने यह माँग आगे की है। आतंकियों के विरोध में कार्रवाई करने के बजाय, हमेशा उनकी सुरक्षा करने की सोच रखने के कारण, पाकिस्तान द्वारा मौलवी अब्दुल्ला की गिरफ्तारी के बाद दिखाई गई फुर्ती सन्देहास्पद साबित होती है।
काबूल के गुरुद्वारा पर हुए आतंकी हमलें के तार अपने तक ना पहुँचे, इसीलिए पाकिस्तान यह पूरी कोशिश कर रहा होगा, ऐसी गहरी संभावना सामने आ रही है। इसी कारण पाकिस्तान की इस माँग का, अफगान सुरक्षा यंत्रणा द्वारा फिलहाल स्वीकार किया जाने की थोडीसी भी संभावना नहीं है। लेकिन, इससे अफगानिस्तान में मौजूद आतंकी और पाकिस्तान में बनें संबंध, फिर एक बार दुनिया के सामने स्पष्ट हुए हैं।

Leave a Reply

Your email address will not be published.