१०५. विज्ञान-तंत्रज्ञान क्षेत्र में उड़ान

ज़रूरत यह खोज की माता होती है, ऐसा बोला जाता है| मानवी इतिहास में आज तक की गयीं प्रायः सभी खोजें, उनसे संबंधित कुछ न कुछ ज़रूरत के निर्माण होने के बाद ही हुईं दिखायी देती हैं| आज के दौर में जो समाज अपनी ज़रूरतों को पहचानकर, उनकी पूर्ति करने की दृष्टि से विज्ञान-तंत्रज्ञान (सायन्स अँड टेक्नॉलॉजी) के मार्ग से प्रयास करता है, वह विकसनशीलता के पायदान तेज़ी से चढ़ता है और इसका आज के समय का उत्तम उदाहरण है, इस्रायल|
आज के दौर में तो किसी भी देश की आर्थिक प्रगति यह उस देश ने विज्ञान-तंत्रज्ञान क्षेत्र में की हुई प्रगति के साथ ठेंठ जुड़ी हुई होती है| विज्ञान-तंत्रज्ञान की इस ताकत को पहचानकर, दायरे के बाहर सोचते हुए, उस ताकत का इस्तेमाल अपनी ज़रूरतों को पूरा करने के लिए अभिनव पद्धति से करना, इसमें इस्रायल के ‘अविकसित से विकसित’ इस तेज़ रफ़्तार वाले प्रवास की चाबी छिपी हुई है|

दूसरा ‘सिलिकॉन व्हॅली’ ही माने जानेवाले इस्रायल के क्षेत्रफल के तथा जनसंख्या के अनुपात में, इस्रायलस्थित विज्ञान-तंत्रज्ञान क्षेत्र के स्टार्टअप्स का प्रमाण, संशोधकों का प्रमाण यह आज दुनिया में सबसे अधिक है| (हर १० हज़ार कर्मचारियों में १४० वैज्ञानिक-तंत्रज्ञ| अमरीका- ८५/१००००; जापान – ८३/१००००). इस्रायल की जनसंख्या यह दुनिया में सर्वाधिक ‘टेक्नॉलॉजिकली लिटरेट’ जनसंख्या मानी जाती है| साथ ही, अपने सकल राष्ट्रीय उत्पन्न का तक़रीबन ४.३% हिस्सा इस्रायल विज्ञान-तंत्रज्ञान के संशोधन-विकास पर खर्च करता है, जो प्रमाण दुनिया में सर्वाधिक है| दुनिया में किसी भी क्षेत्र के संशोधन के लिए सर्वोच्च माना जानेवाला नोबेल प्राईझ भी कई इस्रायली संशोधकों को प्राप्त हुआ है|

दूसरे सिलिकॉन व्हॅली के रूप में मशहूर होनेवाले इस्रायल के आधुनिक शहर ये आधुनिकता में किसी भी पश्‍चिमी देश के शहर से कम नहीं हैं|

जिस प्रकार उत्पादन क्षेत्र के लिए वैश्‍विक बहुराष्ट्रीय कंपनियों की आज भारत और चीन यह पहली पसंद मानी जाती है, उसी प्रकार प्रगत तंत्रज्ञानविषयक संशोधन के लिए इस्रायल यह पहली पसंद मानी जाती है| डिजिटल हाय-टेक क्षेत्र में अग्रसर माने जानेवालीं – इंटेल, आयबीएम, मायक्रोसॉफ्ट, गुगल, फेसबुक इन जैसीं कई जागतिक कंपनियों के संशोधन-विकास केंद्र इस्रायल में हैं| ‘इंटेल’ कंपनी का ‘सेन्ट्रिनो’ प्लॅटफॉर्म इंटेल के इस्रायलस्थित संशोधनकेंद्र में ही विकसित हुआ है; वहीं, ‘मायक्रोसॉफ्ट’ की ‘विन्डोज्’ ऑपरेटिंग सिस्टम का अधिकांश भाग मायक्रोसॉफ्ट के इस्रायलस्थित संशोधनकेंद्र में लिखा गया है|-

डिजिटल हाय-टेक क्षेत्र में अग्रसर मानीं जानेवालीं कई जागतिक कंपनियों के संशोधन-विकास केंद्र इस्रायल में हैं|

इस्रायल की इस विज्ञान-तंत्रज्ञानक्षेत्र की उड़ान में फिर से ‘ज़रूरत’ का ही अहम योगदान है| सदियों से केवल प्रतिकूलता का ही सामना करना पड़ा होने के कारण, अस्तित्व बनाये रखने के लिए एक क़िस्म की विजिगिषु वृत्ति इस्रायली लोगों की नस नस में बहती है| इस्रायल यह मूलतः प्रायः गर्म, शुष्क रेगिस्तानी ज़मीन है| वहॉं पानी की आपूर्ति और खेती के लिए नये प्रयोग करना ज़रूरी ही था| इस्रायल आज़ाद होने के बाद दुनियाभर में से ज्यू स्थलांतरितों का रेला शुरू हुआ, उनके निवास का प्रबन्ध करने के लिए बसतियों के निर्माण में नये प्रयोग करना ज़रूरी ही था| देश की अर्थव्यवस्था के लिए अत्यधिक महत्त्वपूर्ण होनेवाले परंपरागत ईंधन की इस्रायल में कमी है, इस कारण वैकल्पिक ईंधन खोजना ज़रूरी ही था| इस्रायल चारों ओर से शत्रुराष्ट्रों से घिरा हुआ है, इस कारण स्वसुरक्षा के लिए इस्रायली लष्कर की क्षमता को बढ़ानेवालीं खोजें करना और अभिनव शस्त्रास्त्रों का निर्माण करना ज़रूरी ही था| (भारत के कश्मीरस्थित पुलवामा में हुए आतंकवादी हमलों का बदला चुकाने के लिए जब भारत ने बालाकोट एअरस्ट्राईक किया, तब उस हमले में इस्रायलनिर्मित ‘स्पाईस बॉंब्ज्’ का इस्तेमाल किया गया होने की ख़बर तो सबने पढ़ी ही होगी|)

आज वैद्यकीय निदान (डायग्नॉसिस) क्षेत्र में अचूक निदान हो पाने के लिए सहायकारी साबित हुआ जो ‘पिल कॅमेरा’ दुनियाभर में उपयोग में लाया जाता है, उसकी खोज का श्रेय एक इस्रायली संशोधक का है|

तो ऐसा यह इस्रायली विज्ञान-तंत्रज्ञान क्षेत्र गत कुछ दशकों में खिलता रहा है| आज दुनियाभर में विभिन्न क्षेत्रों में उपयोग में लाये जानेवाले संशोधनों में से कई संशोधन इस्रायली संशोधकों के नाम पर दर्ज़ हैं| उदाहरणार्थ – आज वैद्यकीय निदान (डाइग्नोसिस) क्षेत्र में अचूक निदान हो पाने के लिए सहायभूत होने के लिए जो ‘पिल कॅमेरा’ (दवाई की गोली में से – ‘पिल’ में से मरीज़ के शरीर में छोड़ा जानेवाला मिनिएचर कॅमेरा) दुनियाभर में उपयोग में लाया जाता है, उसकी खोज करने का श्रेय यह ‘गॅव्रिएल इड्डान’ नामक एक इस्रायली संशोधक का है| इलेक्ट्रो-ऑप्टिकल इंजिनियर होनेवाले गॅव्रिएल ने इस्रायली सेना में गाईडेड मिसाईल निर्माण विभाग में काम करने के बाद उसे, ‘मिसाईल्स पर कॅमेरा बिठाना’ इस संकल्पना में से यह कल्पना सूझी और उसने लगभग बीस साल उसपर प्रयोग कर खुद के स्टार्टअप के माध्यम से सन १९९८ में इस ‘पिल-कॅमेरा’ पद्धति की खोज की|

आज इस्रायली लोगों की ऐसी संशोधक मानसिकता तैयार होने में, झायॉनिस्ट नेताओं ने शुरुआती दौर में किये हुए अथक प्रयासों का भी अहम हाथ है|

जब झायॉनिस्ट नेताओं ने स्वतंत्र ज्यूराष्ट्र का सपना देखा था, तब उन्होंने उस प्रस्तावित ज्यूराष्ट्र के आर्थिक, सांस्कृतिक, सामाजिक विकास की दृष्टि से सर्वांगीण विचार किया था और यह विकास कराने के लिए सहायकारी साबित हो सकनेवाले विज्ञान-तंत्रज्ञान की ताकत को भी पहचाना था|

अहम बात, इस्रायल के पास होनेवाली संसाधनों की कमी को देखते हुए और चारों ओर से घिरनेवालीं समस्याओं को देखते हुए, हम हमेशा के घीसेपीटे रास्ते से नहीं चल सकते, इस बात का एहसास उन्हें हो चुका था|

इस कारण, जिस प्रकार अन्य क्षेत्रों में ज्यूराष्ट्र की स्थापना से पहले ही गतिविधियॉं शुरू हो चुकी थीं, वैसे ही विज्ञान-तंत्रज्ञान क्षेत्र में भी पहले से ही गतिविधियॉं शुरू हो चुकी थीं|

जेरुसलेमस्थित हादस्सा मेडिकल सेंटर

इन दूरदर्शी नेताओं के प्रयासों से १९वीं सदी के अन्त से ही धीरे धीरे विभिन्न विषयों की संशोधनसंस्थाएँ स्थापन होने की शुरुआत हो चुकी थी| सर्वप्रथम कृषिसंशोधनसंस्था, फिर पहले विश्‍वयुद्ध से पहले वैद्यकीय तथा सार्वजनिक आरोग्य क्षेत्र में संशोधनसंस्था, उसके बाद १९२० के दशक में हिब्रू युनिव्हर्सिटी में शुरू हुए मायक्रोबायॉलॉजी, बायोकेमिस्ट्री, बॅक्टोरियॉलॉजी के डिपार्टमेंट्स (आगे चलकर इन्हीं में से, आज के इस्रायल के सर्वाधिक महत्त्वपूर्ण ‘हादस्सा मेडिकल सेंटर’ इस वैद्यकीय संशोधन संस्था की स्थापना हुई), फिर उत्पादनक्षेत्र की संशोधनसंस्थाएँ ऐसीं एक एक करके संस्थाओं की स्थापना होती गयी| इसलिए बतौर ‘देश’ इस्रायल का जन्म होने तक वहॉं के विभिन्न क्षेत्रों का संशोधन यह बहुत ही आगे जा चुका था|(क्रमश:)

– शुलमिथ पेणकर-निगरेकर

 

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