जर्मन सुरक्षा यंत्रणा चीनी स्मार्टफोन्स के ‘सेन्सरशिप’ की करेगी जाँच

बर्लिन/बीजिंग – बेल्जियम और लिथुआनिया के बाद यूरोप के प्रमुख देश जर्मनी ने भी चीनी स्मार्टफोन्स में मौजूद सेन्सरशिप की जाँच करने का निर्णय किया है। लिथुआनिया के रक्षा विभाग ने तैयार की हुई रपट की पृष्ठभूमि पर यह निर्णय करने की बात सामने आयी है। बीते हफ्ते में ही चीन के प्रगत ‘५ जी’ तकनीक पर आधारित स्मार्टफोन्स में सेन्सरशिप करनेवाली यंत्रणा मौजूद है और लिथुआनिया की जनता यह फोन्स फेंक दे, यह आवाहन सरकार ने किया था।

‘सेन्सरशिप’जर्मनी के दो शीर्ष दल ‘एसपीडी’ और ‘सीडीयू’ के नेताओं ने लिथुआनिया ने चीन के स्मार्टफोन्स को लेकर प्रसिद्ध किए हुए रपट का मुद्दा उठाया था। इसका संज्ञान लेकर जर्मनी की ‘फेडरल ऑफिस फॉर इन्फर्मेशन सिक्युरिटी’ (बीएसआय) ने चीनी स्मार्टफोन्स की जाँच के संकेत दिए हैं। ‘बीएसआय’ के प्रवक्ता ने जर्मनी की प्रेस एजन्सी को इससे संबंधित जानकारी प्रदान करने का वृत्त प्रसिद्ध हुआ है। जर्मनी की सुरक्षा यंत्रणा या अन्य संवेदनशील क्षेत्र में चीनी स्मार्टफोन्स का इस्तेमाल ज्यादा ना होने की बात भी ‘बीएसआय’ ने इस दौरान बयान की।

लिथुआनिया के रक्षा विभाग ने जारी की हुई रपट में चीन की शाओमी, हुवेई और वन प्लस कंपनियों के स्मार्टफोन्स में दोष पाए जाने की बात दर्ज़ की गई थी। शाओमी के ‘एमआय १० टी ५ जी’ स्मार्टफोन में सेन्सरशिप करनेवाला ‘बिल्ट-इन सॉफ्टवेअर’ की जानकारी लिथुआनिया के ‘नैशनल सायबर सिक्युरिटी सेंटर’ की रपट में साझा की गई थी। यह सॉफ्टवेअर ‘फ्री तिब्बत’, ‘लाँग लिव ताइवान इंडिपेन्डन्स’, ‘डेमोक्रसी मूवमेंट’ जैसे शब्द सेन्सर करने की बात स्पष्ट हुई है। साथ ही शाओमी के स्मार्टफोन से ‘फोन डाटा’ सिंगापुर में स्थित सर्वर को भेजा जाने की बात भी सामने आयी है। शाओमी के अलावा हुवेई कंपनी के स्मार्टफोन में ‘सिक्युरिटी फ्लॉ’ पाए जाने की बात कही गई है।

‘सेन्सरशिप’

लिथुआनिया की इस रपट के आधार पर शाओमी के साथ हुवेई और वन प्लस जैसी कंपनियों के स्मार्टफोन्स की जाँच की जाएगी। जर्मनी के इस निर्णय पर चीन के प्रसारमाध्यमों ने तीव्र प्रतिक्रिया दर्ज़ की है। प्रौद्योगिकी क्षेत्र के विशेषज्ञों का दाखिला देकर चीनी स्मार्टफोन्स की जाँच करने की कोशिश व्यर्थ होगी, यह इशारा चीन के सरकारी मुखपत्र ‘ग्लोबल टाईम्स’ ने दिया हैं। लिथुआनिया का समर्थन कर रहें जर्मनी का निर्णय राजनीतिक उद्देश्‍य से किया गया हैं, यह आरोप भी चीनी मुखपत्र न लगाया हैं।

लेकिन, जर्मनी जैसें प्रमुख यूरोपिय देश ने चीनी स्मार्टफोन्स की जाँच करने का निर्णय करना ध्यान आकर्षित करनेवाली घटना साबित हुई है। जर्मनी यह चीन का सबसे बड़ा व्यापारी यूरोपिय और मित्रदेश के तौर पर पहचाना जाता है। यूरोपिय महासंघ की कई चीन विरोधी कार्रवाईयां और प्रावधानों को जर्मनी ने विरोध जताकर नाकाम करने की बात पहले भी सामने आयी थी। लेकिन कोरोना की महामारी, उइगरवंशियों पर जारी अत्याचार और ताइवान के मुद्दे पर जर्मनी नाराज़ है और जर्मन नेतृत्व चीन विरोधी भूमिका अपनाना शुरू किया हैं। चीनी स्मार्टफोन्स की जाँच का निर्णय भी इसी का हिस्सा होने की बात देखी जा रही है।

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