जर्मन चॅन्सेलर मर्केल एक लाख निर्वासितों को देश से निकाल देंगी

बर्लिन: साल भर पहले सीरिया समेत खाडी और अफ्रिकी देशों से आनेवाले निर्वासितों के लिए जर्मनी के दरवाज़े खुले हैं, ऐसा ऐलान करनेवालीं, जर्मनी की चॅन्सेलर अँजेला मर्केल ने अब उन्हीं निर्वासितों को देश से बाहर निकालने की घोषणा की है| सत्ताधारी पार्टी ‘ख्रिश्चन डेमोक्रॅटिक युनियन’ के कार्यक्रम को संबोधित करते समय उन्होंने, अगले कुछ ही महीनो में निर्वासितों को निकालने के लिए आक्रामक अभियान चलाने के संकेत दिये| जर्मन सूत्रों ने दी जानकारी के अनुसार, लगभग एक लाख निर्वासितों को देश से बाहर निकाल दिया जायेगा| इनमें २०१५ और २०१६ में आये निर्वासितों का समावेश रहेगा|

मर्केलसिरिया, इराक, लिबिया, येमन और अफगानिस्तान जैसे, खाडी, अफ्रिका और एशिया महाद्वीपों का भाग रहनेवाले देशो में पिछले कई साल से तीव्र संघर्ष शुरू है| इस संघर्ष की वजह से लाखो लोगों ने युरोप और अमरीका में निर्वासित के तौर पर आश्रय लेने की शुरुआत की थी| पिछले कई सालो में निर्वासितों की तादाद बढते हुए निर्वासितों के रेलें युरोपीय देशों में पहुँच चुके हैं|

युरोप का अग्रणी देश रहनेवाला जर्मनी की चॅन्सेलर अँजेला मर्केल ने सन २०१५ में, निर्वासितों के लिए हमारे दरवाज़े खुले हैं, यह घोषणा करते हुए खलबली मचायी थी| मर्केल की ‘ओपन डोअर पॉलिसी’ पर युरोप से तीव्र प्रतिक्रिया आयी थी| उसी समय, युरोप में आनेवाले निर्वासितों की तादाद बढ गयी है| निर्वासितों का यह रेला युरोपीय महासंघ के सदस्य देश सह नहीं सकते, यह कुछ ही दिनों में स्पष्ट हुआ था|

मर्केलइसी कारण हंगेरी, पोलंड, ऑस्ट्रिया इन देशों ने, निर्वासितों की समस्या पर रोक लगाने के लिए और सीमा पर बाड़ा खड़ा करके सुरक्षा बढ़ाने के सख़्त उपाय करने की शुरुआत की थी| युरोप का हर एक देश कुछ मात्रा में निर्वासितों का स्वीकार करें, इसलिए महासंघ ने ‘कोटा सिस्टीम’ की घोषणा की थी| लेकिन कई देशों ने उसे दुत्कारकर, निर्वासितों को समाविष्ट करने की कोशिश सफल हुई| इस मुद्दे पर तुर्की से हुआ समझौता भी रद होनेवाला है| यदि ऐसा हुआ, तो युरोपीय देशों में और भी ज़्यादा निर्वासितों के रेलें आ सकते हैं|

इस पृष्ठभूमि पर, जर्मनी समेत कुछ देश, अफ्रिकी देश और अफगानिस्तान से आये निर्वासितों के मुद्दे पर समझौता करने की कोशीश में है, यह सामने आया था| अफगानिस्तान से कुछ आफ्रिकी देश निर्वासितों का स्वीकार करने के लिए राज़ी हुए थे| जर्मन चॅन्सेलर अँजेला मर्केल की घोषणा के पीछे यह एक महत्त्वपूर्ण कारण है, यह सामने आया है|

दूसरी ओर, जर्मनी में पिछले कई महीनों में हुए चुनावों में मर्केल की पार्टी को बड़ा झटका लगा है| निर्वासितों के मुद्दे पर आक्रामक भूमिका अपनानेवाले राजकीय गुटों को इन चुनावों में अच्छी सफलता मिली है| ये पार्टियाँ आगे जाकर, होनेवाले चुनाव में मर्केल को चुनौती दे सकती हैं, ऐसा कहा जाता है| खुद अँजेला मर्केल ने अगले साल होनेवाले चुनाव के लिए अपनी उम्मीदवारी घोषित की है| निर्वासितों के मसले पर पूरे देश में फ़ैले असंतोष को देखते हुए, उस मुद्दे पर भूमिका बदलने की ज़रूरत है, यह एहसास मर्केल को हुआ, यह इस नये बयान से सामने आ रहा है|

मर्केल ने एक लाख निर्वासितों को निकाल बाहर करने का लक्ष्य रखते हुए, उसमे से एक तिहाई निर्वासितों को जबरन से देश के बाहर निकाल दिया जायेगा, ये भी संकेत दिये हैं। निकाले जानेवाले निर्वासितों में पूर्व युरोप, अफ्रिका और अफगानिस्तान के निर्वासितों का समावेश होगा, ऐसे संकेत दिये जा रहे हैं|

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