‘जी-७’ देशों का हॉंगकॉंग की स्वायत्तता को समर्थन

तृतीय महायुद्ध, परमाणु सज्ज, रशिया, ब्रिटन, प्रत्युत्तरपैरिस: फ्रान्स में हुई ‘जी-७’ की बैठक में दुनिया के ७ प्रमुख देशों ने हॉंगकॉंग की स्वायत्तता को स्पष्ट तौर पर समर्थन दिया है| ‘जी-७’ ने प्रसिद्ध किए संयुक्त निवेदन में हॉंगकॉंग का जिक्र करते समय ब्रिटेन और चीन सरकार में हुए समझौते की ओर ध्यान आकर्षित किया गया| हॉंगकॉंग के मुद्दे पर ‘जी-७’ ने संज्ञान लेना चीन के लिए इशारा है और इस मुद्दे पर चीन अब मुश्किलों में फंसने के संकेत प्राप्त हो रहे है|

हॉंगकॉंग में पिछले तीन महीने चीन समर्थक प्रशासन और चीन की कम्युनिस्ट हुकूमत के विरोध में तीव्र प्रदर्शन शुरू है| चीन की कम्युनिस्ट हुकूमत ने पिछले दो दशकों से हॉंगकॉंग में दमन की निती पर अमल किया है और इसके विरोध में स्थानिय जनता में बना असंतोष अब सामने आ रहा है| स्थानिय प्रशासन ने पेश किया विधेयक इसके लिए कारण साबित हुआ है और इससे चीन की हुकूमत हॉंगकॉंग में जनतंत्र के मुल्यों का दमन करने की बात स्पष्ट तौर पर सामने आ रही थी|

तीन महीने शुरू प्रदर्शन नियंत्रण में लाने में स्थानिय चीन समर्थक प्रशासन को अभी कामयाबी नही मिली है| इस वजह से अब इस स्थिति में चीन हस्तक्षेप करने की संभावना बढी है और यह मुद्दा अंतरराष्ट्रीय समुदाय के लिए चिंता की बात साबित हुई है| इस मुद्दे पर अमरिका और ब्रिटेन समेत यूरोपिय देश एवं कनाडा ने आक्रामकता दिखाई है और हॉंगकॉंग के प्रशासन और चीन को संयम रखने संबंधी लगातार इशारा दिया है| अमरिका और ब्रिटेन ने अधिक आक्रामकता से चीन एवं हॉंगकॉंग की चीन समर्थक प्रशासन के विरोध में प्रतिबंध लगाने के संकेत भी दिए है|

इस पृष्ठबूमि पर पश्‍चिमी देशों ने ‘जी-७’ की बैठक से हॉंगकॉंग के मुद्दे पर वह प्रदर्शनकारी एवं जनतंत्र के मुद्दे के पक्ष में खडे है, यह विश्‍वास दिलाया है| ‘वर्ष १९८४ में हॉंगकॉंग संबंधी चीन और ब्रिटेन ने समझौता किया था| हॉंगकॉंग के मुद्दे पर यह समझौता ‘जी-७’ के लिए काफी अहम है| साथ ही हॉंगकॉंग के गुट हिंसा से दूर रहे, यह निवेदन भी हम कर रहे है’, इन शब्दों में ‘जी-७’ के गुट ने अपनी भूमिका स्पष्ट की|

दिसंबर १९, १९८४ के रोज चीन की राजधानी बीजिंग में ब्रिटेन और चीन ने समझौते पर हस्ताक्षर किए थे| ‘एक देश, दो व्यवस्था’ इस तत्व का समावेश होनेवाले इस समझौते में चीन के कम्युनिस्ट हुकूमत के नियम और कानून हॉंगकॉंग में लागू नही रहेंगे, यह मंजूर किया गया था| हॉंगकॉंग में उदारतावादी पूंजीवादी व्यवस्था और जीवन शैली वर्ष २०४७ तक है वैसी ही कायम रहेगी, यह अहम प्रावधान इस समझौते में रखा गया था| चीन की कम्युनिस्ट हुकूमत के दबाव में हॉंगकॉंग के संविधान में हो रहे सुधार और नए कानून इस समझौते का भंग है, यह आरोप पश्‍चिमी देश कर रहे है|

इस वजह से ‘जी-७’ गुट ने किए निवेदन में वर्ष १९८४ में किए गए समझौते का किया गया जिक्र काफी अहमयित रखता है| चीन के सत्तारूढ नेताओं ने वर्णित समझौते का भंग करके हॉंगकॉंग में हस्तक्षेप करने की निती अपनाई तो पश्‍चिमी देश इसके विरोध में आक्रामकता दिखाएंगे, यह संदेशा ‘जी-७’ के निवेदन से दिया गया दिखाई दे रहा है|

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