भविष्य मे युद्ध के लिए देसी बनावट के शस्त्रास्त्र चाहिए – लष्कर प्रमुख बिपिन रावत

नई दिल्ली: आने वाला युद्ध अत्यंत कठोर परिस्थिति में संपन्न होगा, इसीलिए भारत को यह युद्ध स्वदेशी बनावट के शस्त्रों से लड़ना होगा। देश को उसकी तैयारी करनी होगी, ऐसे शब्दों में लष्कर प्रमुख जनर जनरल बिपिन रावत ने रक्षा दल के आधुनिकीकरण के महत्व को रेखांकित किया है। नई दिल्ली में आयोजित किए गए ‘आर्मी टेक्नोलॉजी सेमिनार’ में लष्कर प्रमुख रावत बोल रहे थे।

दक्षिण कोरिया से खरीदारी की गई सागरी सुरंग भेदी युद्धनौका का व्यवहार भारत ने रद्द करने की खबरें प्रसिद्ध हुई है। शस्त्रास्त्र एवं रक्षा साहित्य का देश के अंतर्गत निर्माण करने की धारणा पर दक्षिण कोरिया के साथ यह लगभग ३२ हजार करोड़ रुपयों का व्यवहार रद्द किया गया है, ऐसा कहा जा रहा है। इस खबर के साथ लष्कर प्रमुख जनरल रावत ने शास्त्र एवं रक्षा साहित्य के देश के अंतर्गत बनावट का महत्व रेखांकित करने वाले विधान सामने आए हैं। नई दिल्ली में हुए इस कार्यक्रम में बोलते वक्त, जनरल रावत ने सभी रक्षादल को आधुनिकीकरण की आवश्यकता होने की बात स्पष्ट की है।

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आने वाले समय में युद्ध अत्यंत कठिन परिस्थिति में होगा, इसकी वजह से भारत जैसे देश को रक्षा साहित्य के आयात पर निर्भर रहना, अब संभव नहीं। देसी बनावट के रक्षा साहित्य से भारत को आगे चलकर युद्ध खेलना होगा, इसके लिए रक्षा साहित्य की आयात कम करनी होगी, एसा लष्कर प्रमुख जनरल रावत ने कहा है। दौरान इस कार्यक्रम में पत्रकारों से संवाद साधते हुए लष्कर प्रमुख ने अरुणाचल प्रदेश में चीन की घुसपैठ का सुलझाया जाने की बात कही है।

चीन के जवानों ने अरुणाचल प्रदेश में घुसपैठ करने का प्रयत्न किया था। पर सतर्क भारतीय सैनिकों ने यह प्रयत्न उधेडा है और चीनी जवानों को वापसी करने पर विवश किया था। इस पर चीन से प्रतिक्रिया आई थी। अरुणाचल प्रदेश यह भारत का भूभाग होने की बात हम नहीं मानते, ऐसा कहकर चीन के विदेश मंत्रालय ने वहां के घुसपैठ की खबरें से इंकार किया था। पर भारत में इस घटना को ज्यादा महत्व न देने की नीति स्वीकारी है। जनरल रावत ने घुसपैठ की समस्या सुलझने की बात कहकर विवाद पर पर्दा डाला है। इस प्रश्न पर भारत एवं चीन के सीमा पर तैनात होने वाली अधिकारियों की बैठक संपन्न हुई है, ऐसी जानकारी रावत ने दी है।

डोकलाम में चीन अपनी सेना वापस ले जा रहा है, ऐसा कहकर वहां पहले ज्यादा होने वाले चीनी सेना की संख्या कम होने की बात लष्कर प्रमुख में स्पष्ट की है।

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