देश में इंधन भंड़ारण की क्षमता पाँच वर्षों में दुगुनी करेंगे – प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी

नई दिल्ली – अगले पाँच वर्षों में देश की इंधन भंड़ारण की क्षमता दुगुनी करने की योजना तैयार की जा रही है, यह ऐलान प्रधानमंत्री मोदी ने किया है। इसके साथ ही नैसर्गिक वायु का इस्तेमाल चार गुना बढ़ाने के लिए भी सरकार की कोशिश जारी है, यह बात भी प्रधानमंत्री ने रेखांकित की।

india-crude-oilशनिवार के दिन गुजरात के गांधीनगर में स्थित पंडित दीनदयाल उपाध्याय पेट्रोलियम विश्‍वविद्यालय में दीक्षांत समारोह का आयोजन किया गया था। इस समारोह में प्रधानमंत्री वीडियो कान्फरन्सिंग के माध्यम से शामिल हुए थे। इस दौरान प्रधानमंत्री ने, भविष्य में भारत की ऊर्जा की ज़रूरतें और इस दिशा में सरकार की जारी कोशिशों की जानकारी साझा की। देश में इंधन का भंड़ारण करने की क्षमता अगले पाँच वर्षों में दुगुनी करने का निर्धार सरकार ने किया है, यह बात भी प्रधानमंत्री ने साझा की। इस दृष्टि से योजनाएँ बनाई जा रही हैं, यह बात भी प्रधानमंत्री ने स्पष्ट की।

जून महीने में आयोजित एक कार्यक्रम में केंद्रीय इंधन मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने, अगले दस वर्षों में देश में इंधन भंड़ारण की क्षमता दुगुनी होगी, यह बयान किया था। लेकिन, प्रधानमंत्री ने अब यह क्षमता पाँच वर्षों में दुगुनी करने का ऐलान किया है। मौजूदा स्थिति में देश में २५ करोड़ टन इंधन का भंड़ारण करना संभव है।

इसके अलावा नैसर्गिक वायु का इस्तेमाल बढ़ाने पर सरकार जोर दे रही है, यह बात भी प्रधानमंत्री ने स्पष्ट की। स्वच्छ और सस्ते नैसर्गिक वायु का इस्तेमाल बढ़ने पर देश की आयात इंधन पर बनी निर्भरता कम होगी। मौजूदा स्थिति में देश की इंधन ज़रूरतों में ६ प्रतिशत हिस्सा नैसर्गिक वायु का है। ऐसें में अब इंधन वायु का इस्तेमाल चार गुना बढ़ाने पर सरकार ध्यान दे रही है, यह बयान प्रधानमंत्री ने किया। इसके साथ ही, अपरंपरागत ऊर्जा निर्माण की क्षमता २०२२ तक १७५ गिगावैट और २०३० तक ४५० गिगावैट तक बढ़ाई जाएगी, यह कहकर, देश में २०१८ के अन्त तक यह क्षमता मात्र ७५ गिगावैट थी, इस ओर प्रधानमंत्री ने ध्यान आकर्षित किया।

इसी बीच, ऑईल इंडिया लिमिटेड (ओआयएल) ने ओड़िशा की महानदी के क्षेत्र में, इंधन तेल और नैसर्गिक वायु के भंड़ारों की खोज़ करने के लिए मुहिम शुरू की गई है। शुक्रवार के दिन इंधन मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने इस मुहिम का उद्घाटन किया। इसके लिए २२० करोड़ रुपयों की लागत होगी। इस मुहिम के तहत ८२१५ चौरस किलोमीटर क्षेत्र का सेस्मिक डाटा प्राप्त करके, इंधन भंड़ारों की खोज़ की जाएगी। ओड़िशा में पुरी, खुर्दा, कटक, केंद्रपारा, बालासोर, भद्रक, केओंझार और मयूरभंजी में इंधन और नैसर्गिक वायु के भंड़ार देखें जा रहे हैं।

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