इंधन उत्पादक देशों का संगठन ‘ओपेक’ का वर्चस्व कम करने के लिए भारत और चीन के बीच चर्चा – अमरिका से इंधन आयात बढाने पर विचार

नई दिल्ली: ‘ओपेक’ इस इंधन उत्पादक देशों के संगठन की तरफ से कच्चे तेल की कीमतें बढाने के संकेत मिल रहे हैं, ऐसे में भारत और चीन इन प्रमुख ग्राहक देशों ने इसके खिलाफ मोर्चा खोला है। ‘ओपेक’ देशों के साथ इंधन की कीमतों को लेकर अधिक प्रभावी रूपसे चर्चा की जा सके इसके लिए इंधन आयात करने वाले प्रमुख देशों का मजबूत समूह स्थापन करने के लिए गतिविधियाँ शुरू हुईं हैं। इसके लिए भारत ने पहल की है। हाल ही में भारत और चीन के दौरान इस सन्दर्भ में चर्चा पूरी हुई है। इस दौरान अमरिका की तरफ से इंधन की आयात बढाने पर भी दोनों देशों के बीच चर्चा होने की खबर है।

‘ओपेक’ देशों की बैठक २२-२३ जून को हो रही है। उसी समय अमरिका के राष्ट्राध्यक्ष डोनाल्ड ट्रम्प ने ‘ओपेक’ की नीतियों की वजह से अंतर्राष्ट्रीय बाजार में बढ़ने वाली कीमतों की आलोचना की है। ‘कच्चे तेल की कीमतें बहुत ही ज्यादा हैं। ऐसा फिरसे हो रहा है, यह अच्छा नहीं है’, ऐसा ट्रम्प ने कहा है। उसी दौरान ‘ओपेक’ देशों की तरफ से कच्चे तेलों की कीमतों पर नियंत्रण रखने के लिए की जाने वाली कोशिशों के खिलाफ भारत और चीन ने मोर्चा खोलने की बात सामने आई है।

इंधन उत्पादक, देशों का संगठन, ओपेक, वर्चस्व, कम करने, भारत, चीन, चर्चा, नई दिल्ली, अमरिकाभारत और चीन यह देश विश्व के १७ प्रतिशत इंधन का इस्तेमाल करते हैं। इंधन आयात करने में यह दो देश प्रमुख माने जाते हैं। इंधन आयात करने वाले देशों का मजबूत समूह बन गया, तो तेल उत्पादक देशों के साथ प्रभावी रूपसे चर्चा की जा सकती है, ऐसा विचार भारत के पेट्रोलियम मंत्री धर्मेन्द्र प्रधान ने ‘इंटरनेशनल एनर्जी फोरम’ (आईईएफ) की बैठक में रखा था। अप्रैल महीने में यह बैठक पूरी हुई थी। ‘आईएफ’ की बैठक में भारत के प्रस्ताव को चीन ने भी साथ दिया है।

उसके बाद दो महीने के अन्दर ऐसा समूह स्थापन करने के लिए गतिविधियाँ शुरू हुईं हैं। ‘इंडियन ऑइल कारपोरेशन’ (आईओसी) के अध्यक्ष संजीव सिंह ने हाल ही में चीन का दौरा किया है। इस दौरे में उन्होंने ‘चाइना नेशनल पेट्रोलियम कारपोरेशन’ (सीएनपीसी) के अध्यक्ष वैंग इलिन की भेंट ली है। इस भेंट में ‘ओपेक’ का इंधन बाजार पर वर्चस्व कम करने के लिए चर्चा हुई। इसके लिए अमरिका से इंधन आयात बढाने के विकल्प पर विचार हुआ है। आशियाई देशों में अमरिका से इंधन आयात बढ़ी, तो ‘ओपेक’ का वर्चस्व कम हो जाएगा। अमरिका से इस इंधन आयात के लिए बुनियादी और अन्य आवश्यक सुविधाओं के निर्माण पर इस भेंट में चर्चा होने की खबर है।

वर्तमान में खाड़ी देशों में प्रचंड उथलपुथल शुरू है। विशेषतः ‘ओपेक’ के दो प्रमुख देश ईरान और व्हेनेझुएला पर अमरिका ने प्रतिबन्ध डाले हैं और इराक अभी भी गृहयुद्ध से बाहर नहीं निकला है। साथ ही ओपेक देशों ने उत्पादन कम करने का निर्णय लेने की वजह से इंधन की कीमतें बढ़ रहीं हैं।

सन २०१४ में कच्चे तेल के दर २७ डॉलर्स प्रति बैरल तक गिर गया था। उसके बाद सऊदी अरेबिया ने पहल करके रशिया के साथ अनुबंध किया और कच्चे तेल का उत्पादन कम करने का निर्णय लिया। उस वजह से इंधन की कीमतें बढीं। यह कीमतें १०० डॉलर्स प्रति बैरल तक लेकर जाने की तैयारी शुरू है। सऊदी अरेबिया ने वैसा प्रस्ताव रखा है। जल्द ही होने वाली ‘ओपेक’ देशों की बैठक में इस सन्दर्भ में निर्णय हो सकता है। इस पृष्ठभूमि पर भारत, चीन के साथ जापान, दक्षिण कोरिया और कुछ प्रमुख इंधन आयात करने वाले देशों का समूह बनाने के लिए शुरू हुई इन गतिविधियों का महत्व बढ़ गया है।

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