फ्रान्स का पाकिस्तान को राजनीतिक झटका – इस्लामाबाद से अपने १५ राजनयिक अधिकारियों को वापस बुलाया

इस्लामाबाद – पाकिस्तान स्थित अपने दूतावास के लगभग १५ राजनयिक अधिकारियों को फ्रान्स ने वापस बुलाया है। उनकी सुरक्षा को होनेवाले खतरे को मद्देनजर रखते हुए फ्रान्स ने यह फैसला किया। यह पाकिस्तान के लिए बहुत बड़ा झटका साबित होता है। इसलिए सोमवार से, पाकिस्तान की सरकार फ्रान्स के राजदूत को निष्कासित करें, ऐसी माँग करनेवाले हिंसक प्रदर्शन पाकिस्तान में शुरू हुए हैं। इस समस्या को हैंडल करने में पूरी तरह असफल हुए पाकिस्तान के प्रधानमंत्री ने, इन हिंसक प्रदर्शनों के लिए अपने राजनीतिक विरोधियों समेत भारत ज़िम्मेदार होने का दोषारोपण किया है। लेकिन तेहरिक-ए-लबैक संगठन ने की माँग के अनुसार फ्रान्स के राजदूत को निष्कासित करने की बात मान्य करके, बाद में उससे इन्कार करनेवाले प्रधानमंत्री इम्रान खान के कारण पाकिस्तान में यह स्थिति उत्पन्न हुई, ऐसी कड़ी आलोचना की जा रही है।

सोमवार से शुरू हुए हिंसक प्रदर्शनों पर पाकिस्तान के पंजाब प्रांत का पुलिस बल और पाकिस्तानी रेंजर्स इस पैरामिलिट्री बल ने कार्रवाई शुरू की। गोलीबारी करने के बावजूद भी इन प्रदर्शनों पर रोक लगाने में पुलिस और रेंजर्स को कामयाबी नहीं मिली। कुछ स्थानों पर लबैक के समर्थकों ने पुलिस अधिकारियों को कब्जे में लिया और उन्हें मारधाड़ की होने की खबर है। पाकिस्तान के लाहौर शहर के हालात मुश्किल बने होकर, अन्य शहरों से भी लबैक को मिलनेवाला समर्थन बढ़ता चला जा रहा है। उसी में, पाकिस्तान की सरकार ने लबैक पर पाबंदी लगाने का ऐलान किया। साथ ही, इन प्रदर्शनों की खबरों पर प्रतिबंध लगाने के आदेश भी पाकिस्तान की सरकार ने दिए हैं।

पुलिस द्वारा हम पर किए जा रहे अत्याचार दुनिया के सामने ना आयें, इसीलिए इम्रान खान की सरकार यह कार्रवाई कर रही होने का आरोप लबैक कर रहा है। इतना ही नहीं, बल्कि हाल में जेल में होनेवाले अपने नेता साद रिझवी पर अत्याचार किए जाने की खबरों के कारण लबैक के समर्थक और भी गुस्सा हुए हैं। कुछ स्थानों पर ये समर्थक और पुलिस के बीच मुठभेड़ें होने की खबरें भी आ रही हैं। उसी समय, लबैक के समर्थकों पर पुलिस द्वारा किए जा रही सख्त कार्रवाई के वीडियोज सोशल मीडिया में जारी हुए हैं। पंजाब के लाहौर से ही नहीं, बल्कि सिंध स्थित कराची जैसे शहर से भी लबैक को समर्थन दिया जा रहा है।

विरोधी पार्टियों का मध्यवर्ती संगठन बनानेवाले नेता मौलाना फजलूर रेहमान ने लबैक को समर्थन घोषित किया है। इतना ही नहीं बल्कि, मारे गए अपने समर्थकों के शव लेकर अगर लबैक के समर्थक इस्लामाबाद जायेंगे, तो मैं भी उनके साथ रहूँगा, ऐसा फजलूर रेहमान ने घोषित किया। वहीं, पाकिस्तान के इन प्रभावशाली धर्मगुरु ने देशव्यापी बंद का ऐलान करके, वे लबैक के समर्थन में खड़े रहेंगे, ऐसा घोषित कर दिया है।

इस मसले पर पाकिस्तान के सुरक्षा बलों में, राजनीति में और सरकार में भी दो गुट निर्माण हुए हैं, यह स्पष्ट हो रहा है। पाकिस्तान के मंत्रिमंडल के एक सदस्य ने, लबैक पर की जा रही इस कार्रवाई का विरोध करके इस्तीफे की धमकी दी। इससे पाकिस्तान की सरकार के दिन भर गए होने की चर्चा शुरू हुई है। ऐसी परिस्थिति में प्रधानमंत्री इम्रान खान ने, इन लबैक के प्रदर्शनों के पीछे पूर्व प्रधानमंत्री नवाझ शरीफ, विरोधी पार्टी के प्रमुख नेता मौलाना फजलूर रेहमान का हाथ होने का आरोप किया। इतना ही नहीं बल्कि, भारत इस हिंसाचार को बढ़ावा दे रहा है, ऐसे ग़ैरजिम्मेदाराना आरोप इम्रान खान ने पाकिस्तानी जनता को संबोधित करते समय किए।

लेकिन इस स्थिति के लिए कोई और नहीं, बल्कि खुद इम्रान खान ही जिम्मेदार होने का पाकिस्तानी माध्यमों का कहना है। इससे पहले लबैक की माँगें मानकर, फ्रान्स के राजदूत को निष्कासित करने की बात इम्रान खान की सरकार ने कुबूल की थी। लेकिन अगर इस आश्वासन का पालन करना मुमकिन नहीं था, तो फिर ऐसा यकीन सरकार ने दिलाया ही क्यों? इस सवाल का अभी भी इम्रान खान ने जवाब नहीं दिया है। केवल, फ्रान्स जैसे बड़े देश के विरोध में ऐसी कार्रवाई करना पाकिस्तान के हित में नहीं है, ऐसा कहकर इम्रान खान अपने आप को बचा रहे हैं। इससे यह समस्या नहीं सुलझेगी। कुछ घंटे पहले पाबंदी लगाए और आतंकवादी करार दिए लबैक के साथ चर्चा करने की नौबत पाकिस्तान की सरकार पर आई है। यह बात यही दर्शा रही है कि इम्रान खान को किसी भी बात की समझ नहीं है, ऐसी आलोचना माध्यम कर रहे हैं।

इम्रान खान के इस ढीलेपन के कारण पाकिस्तान ढह जाने का डर है, ऐसा कुछ पत्रकार बोलने लगे हैं। जब इम्रान खान विपक्ष में थे, उस समय उन्होंने इसी लबैक का इस्तेमाल करके, हम पाकिस्तान को जला देंगे, ऐसा धमकाया था। उसके भी वीडियोज पाकिस्तान के सोशल मीडिया में चक्कर लगा रहे हैं।

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