फ्रान्सेस केल्से

१९५७ की बात है। ‘शांत निद्रा के आधीन करनेवाली इस शताब्दी की एकमात्र औषधि’ इस प्रकार का विज्ञापन होने के पश्‍चात् ‘थॅलिडोमाईड’ ((thalidomide)) यह औषधि बाज़ार में उपलब्ध हो गई। इस औषधि का किसी भी प्रकार का दुष्परिणाम नहीं है, ऐसा लोगों को विश्‍वास दिलाया गया। संपूर्ण यूरोप में जोरदार विज्ञापन करते हुए काफी बड़े पैमाने पर इस औषधि की विक्री की गई। नयी औषधि का योग्य एवं आवश्यक परीक्षण यदि नहीं किया गया तो किसी भी हद तक अनर्थ होने की संभावना भी होती है। इस बात का परिचय ‘थॅलिडोमाईड’ नामक इस औषधि ने दिया था।

फ्रान्सेस केल्सेउस समय स्त्रियों की कुछ तकलीफों के उपचार हेतु थॅलिडोमाईड यह एक लोकप्रिय औषधि हुआ करती थी। निद्रानाश, जी मचलना, मन का तनाव, मॉर्निंग सिकनेस के साथ ही गर्भवती स्त्रियों के आये दिन की तकलीङ्गों के उपचार हेतु इस औषधि का उपयोग काङ्गी बड़े पैमाने पर होने लगा। गर्भवती स्त्रियों को यह औषधि दी जाने पर उनके गर्भ में होनेवाले बच्चे पर इसका बुरा परिणाम हो सकता है, इस बात का विचार तो किसी डॉक्टर ने भी नहीं किया होगा। औषधि बनानेवाले, उसकी विक्री की अनुमति देनेआले तथा उस औषधि को रेकमेंड करनेवाले डॉक्टर ये सभी लोग इसके अंजाम से वाकिब नहीं थे। इसके प्रति ज्ञात होनेवाले अधूरे ज्ञान के कारण, अधूरे परीक्षण के कारण ही हस्त-पाद-विहीन ((armless, legless) बच्चों का जन्म हुआ। प. जर्मनी में इस औषधि के दुष्परिणाम का जबरदस्त झटका लगा। संपूर्ण यूरोप इस प्रकरण से अचंभित रह गया।

थॅलिडोमाईड के इस विनाशकारी भयानक परिणाम सन १९६२ में सबके सामने आने लगे। संबंधित देशों के सरकार की आँखें खुल गईं और अंतत: थॅलिडोमाइड पर कानूनी तौर पर बंदी लगा दी गई। केवल एक द्रष्ट्रा स्त्री की कोशिशों के कारण अमरीका में आरंभ से ही थॅलिडोमाईड की विक्री के लिए अधिकृत अनुमति नहीं थी। अमरीका के ‘फुड अँड ड्रग अ‍ॅडमिनिस्ट्रेशन’ संस्था में काम करनेवाली फार्माकोलॉजिस्ट डॉ. श्रीमती फ्रान्सेस केल्सी ने इस औषधि के अच्छे-बुरे परिणामों पर संशोधन करके अंतत: इस औषधि की विक्री के लिए आवश्यक रहने वाली अनुमति प्रदान करने से साफ-साफ इंकार कर दिया।

फ्रान्सेस केल्से

२४ जून १९१४ को ब्रिटिश कोलंबिया, व्हेनकाव्हर आयर्लंड में जन्मी फ्रान्सेस ने १९३५ में फार्माकोलॉजी विषय सहित मास्टर ऑफ सायन्स की उपाधि प्राप्त की। तीन वर्षों में शिकागो विश्‍वविद्यालय में फार्माकोलॉजी में डॉक्टरेट की उपाधि प्राप्त की। १९४२ में मलेरिया संबंधित औषधि के प्रति वे संशोधन कर रही थीं। इसी दरमियान किए गए अध्ययन में उन्हें कुछ औषधियों के परिणामस्वरूप गर्भवती स्त्री एवं उसके गर्भ में होनेवाले बच्चों को जोड़नेवाली नाल में समस्याएँ उत्पन्न होती दिखायी दीं।

इसके पश्‍चात् १९५४ में उन्होंने साऊथ डाकोटा विश्‍वविद्यालय में फार्माकोलॉजी सीखाने का काम तीन वर्षों तक किया। इसके साथ ही अमरीकन ‘फुड अँड ड्रग अ‍ॅडमिनीस्ट्रेशन’ ((FDA) में कुछ डॉक्टरों के साथ उस ड्रग्ज के परिणामों पर संशोधन करती रहीं। इसमें ‘थॅलिडॉमाईड’ के कारण प्राणियों को नींद नहीं आती तथा उनके मज्जातंतु में दाह होता है, इस बात का खुलासा हुआ। इसी कारण अमरीका में इस औषधि के उत्पादन एवं विवरण करने के लिए फ्रान्सेस ने प्रतिबंध लगा दिया। यह करते हुए उनके ऊपर अनेक प्रकार से दबाब डाला जा रहा था। कई स्थानों से तो इस प्रतिबंध को हटाने के लिए उन्हें प्रलोभन भी दिया जा रहा था। परन्तु इन सभी प्रलोभनों को उन्होंने ठुकरा कर अपनी कर्तव्य पूरी ईमानदारी के साथ पूरा किया।

थॅलिडोमाईड औषधि से संबंधित जानकारी :- १९५३ में सर्वप्रथम जर्मनी में यह औषधि बनायी गई। १९५० से १९६० के दरमियान इस औषधि की बिक्री हुई। लगभग चालीस से अधिक विभिन्न नामों सहित (निब्रॉल, डॉयस्टांव्हल सेडीमाईड, काँटरजन, न्युरोसेडीन आदि) वे लगभग पचास देशों में जानी जाती थीं। विशेष तौर पर यह औषधि गर्भधारणा के आरंभ में २५ से ५० दिनों में लेनेवाली गर्भवती स्त्रियों की संतानें जन्मत: विभिन्न प्रकार के दोषों के साथ ही जन्म लेकर पैदा हुईं। इस औषधि का सर्वसाधारण दुष्परिणाम होनेवाले १५००० बच्चों में से १२००० जन्मत: दोषसहित (birth defects) थे। उनमें से केवल ८००० बच्चे जीवित रह पाये और काफी बच्चों के जनुकों में (DNA) उत्पन्न हुए दोष उनकी अगली पिढ़ी में भी दिखायी दिये।

थेलिडोमाईड का परीक्षण प्राणियों पर करते समय इस काम में लापरवाही केए गयी। गर्भधारण करनेवाली मादियों ((pregnant animals) पर इस औषधी का परीक्षण करते वक्त इसके बुरे परिणामों पर गहराई से गौर नहीं किया गया, जो काफी महत्त्वपूर्ण परीक्षण साबित होनेवाला था। पश्‍चिम जर्मनी में २८०० से भी अधिक तथा स्वीडन में १५०, जापान में ३००, २०० आयरिश बच्चों को मुआवज़ा देना पड़ा। जापान में अन्य लोगों की तुलना में इस औषधि दुष्परिणाम के अंजाम भुगतनेवाले बच्चों का सबसे अधिक मुआवज़ा देना पड़ा। निद्रानाशक के रूप में जाने पहचानेवाली इस औषधि पर पाबंदी लगा दी गई। फिर भी महारोग मल्टीपल मायलोमा (myelom), प्लाझमा सेल के कॅन्सर पर यह औषधि काफी उपयोगी साबित होती है, ऐसा कुछ संशोधकों ने अपने संशोधन के बल पर साबित किया है।

१९६२ में फेडरल सिविलियन सर्विस के प्रेसिडैंड जॉन केनेडी के हाथों फ्रांसिस को विशेष पुरस्कार प्रदान किया गया। १९६३ में शिकागो विश्‍वविद्यालय से उन्हें गोल्ड की अवार्ड देकर भी उनका सम्मान किया गया। इस संशोधन के पश्‍चात् उन्होंने औषधि से संबंधित विभिन्न प्रकार के कानूनी नियमों से संबंधित कार्य किया। २००५ में ९० वर्ष की उम्र में वे ऋऊअ से निवृत्त हो गईं।

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