बायडेन की ‘अमेरिका इज बॅक’ घोषणा पर पूर्व विदेश मंत्री की कड़ी आलोचना

वॉशिंग्टन – ‘‘अमरीका के राष्ट्राध्यक्ष ज्यो बायडेन ने ट्रम्प की नीतियां बदलकर ‘अमेरिका इज बॅक’ की घोषणा की तो सही। लेकिन क्या इसका अर्थ सीरिया में ‘आयएस’ की खिलाफत लौटनेवाली है? क्या चीन को पुनः अमरीका पर निर्विरोध हावी होने दिया जाएगा? क्या ईरान के आतंकियों को प्रोत्साहन देकर, इस्रायल जैसे अमरीका के सहयोगी देश की सुरक्षा खतरे में लाई जाएगी?’’ ऐसे नुकीले सवालों की बौछार पूर्व विदेश मंत्री माईक पॉम्पिओ ने की है।

‘अमेरिका इज बॅक’

२ दिन पहले अमरीका के राष्ट्राध्यक्ष बायडेन ने ‘अमरीका इज बॅक, डिप्लोमसी इज बॅक’ ऐसी घोषणा की थी। उस समय बायडेन ने, चीन के साथ कुछ मामलों में नर्म रवैया अपनाने के; वहीं, रशिया के खिलाफ़ सख़्त भूमिका अपनाने के संकेत दिए थे। उस समय अमेरिका के राष्ट्रपति ने ईरान का जिक्र करना टाला। पूर्व राष्ट्राध्यक्ष डोनाल्ड ट्रम्प की नीतियां बदलने वाले राष्ट्राध्यक्ष बायडेन कि इस भूमिका की पूर्व विदेश मंत्री पॉम्पिओ इस इंटरव्यू द्वारा कड़ी आलोचना की।

‘अमेरिका इज बॅक’ इसका अर्थ, क्या ब्रिटन के आकार जितने सिरिया के भूभाग पर कब्जा करने वाले ‘आयएस’ की खिलाफत लौट आयेगी? यह सवाल पूछकर पॉम्पिओ ने, पूर्व राष्ट्राध्यक्ष ट्रम्प और उनके प्रशासन ने ‘आयएस’ की यह खिलाफत ध्वस्त कर दी थी, इसकी याद दिलाई। साथ ही, ‘ ‘अमेरिका इज बॅक’ यानी क्या चीन को फिर एक बार अमरीका पर निर्विरोध हावी होने देना है? या कॅन्सास और साऊथ कॅरोलिना जैसे प्रांत के लाखों रोज़गार नष्ट करना, ऐसा तो इसका अर्थ नहीं है ना?’, ऐसा बता कर पॉम्पिओ ने, चीन के साथ नर्म रवैया अपनाने के संकेत देने वाले बायडेन प्रशासन को इसके परिणामों की याद कराई।

साथ ही, चीन में जिनपिंग की हुकूमत अल्पसंख्यकों पर कर रहे अत्याचारों की भी पॉम्पिओ ने आलोचना की। चीन कर रहे इन अत्याचारों के विरोध में ट्रंप ने आवाज उठाई थी । चीन के विरोध में कठोर भूमिका अपनाई थी। अंतरराष्ट्रीय समुदाय, जिम्मेदारीपूर्वक चीन के विरोध में कड़ी भूमिका अपनाएं और बायडेन प्रशासन भी ट्रम्प की तरह ही चीन के विरोध में आक्रामक निर्णय लें, ऐसी उम्मीद पॉम्पिओ नी जाहिर की। साथ ही, बायडेन की रशिया विषयक नीति पर अमरीका के पूर्व विदेश मंत्री ने जमकर हमला किया।

‘अमेरिका इज बॅक’सन २०१७ के चुनावों में रशिया ने दखलअंदाजी करके ट्रम्प को चुनाकर लाया, यह आरोप ही हास्यास्पद है, ऐसा पॉम्पिओ ने कहा। उस समय अमेरिका में ओबामा का प्रशासन था और बायडेन ही उपराष्ट्राध्यक्ष थे, इसकी याद पॉम्पिओ ने कराई। ओबामा के प्रशासन काल में ही रशिया ने क्रिमिआ का प्रांत हथियाया था, इस पर भी पॉम्पिओ ने गौर फरमाया। बायडेन की ईरान विषयक नीति के बारे में भी पॉम्पिओ अपना स्पष्ट मत जाहिर किया।

अमरीका के विरोध में घातपात की साजिश रचने वाले ईरान के जनरल कासेम सुलेमानी को मार कर ट्रम्प प्रशासन ने उचित ही किया, ऐसा पॉम्पिओ ने डटकर कहा। सन २०१५ में ओबामा प्रशासन ने ईरान के साथ किया परमाणु समझौता, यह इस्रायल तथा खाड़ी क्षेत्र स्थित अमरीका के मित्र देशों के लिए और अमरीका की जनता के लिए भी सबसे बड़ी आपत्ति थी, ऐसी आलोचना पॉम्पिओ ने की।

‘अमेरिका इज बॅक इसका अर्थ, क्या इस्रायल तथा उसके जैसे मित्र देशों को दूर कर, ईरान के आतंकियों को किसी मित्र की तरह १५० अरब डॉलर की नगद रकम की सप्लाई करेंगे ? बराक ओबामा के ८ साल के प्रशासन काल में जो कुछ घटित हुआ, उसे अमरीकी जनता फिर से बर्दाश्त नहीं करेगी, ऐसा मुझे लगता है’, ऐसा विश्वास पॉम्पिओ ने व्यक्त किया है।

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