भारत-ईरान-अफगानिस्तान में पहली त्रिपक्षीय चर्चा संपन्न

छाबहार बंदरगाह एवं आतंकवाद विरोधी सहयोग पर चर्चा

काबुल/नई दिल्ली – छाबहार बंदरगाह प्रकल्प को कार्यान्वित करना एवं आतंकवाद विरोधी सहयोग के मुद्दे पर चर्चा करने के लिए अफगानिस्तान में पहली त्रिपक्षीय बैठक का आयोजन किया गया था। भारत, ईरान और अफगानिस्तान इन तीनों देशो में इसरुप से हुई यह पहली बैठक है। राजधानी काबुल में हुए इस बैठक के दौरान छाबहार के साथ त्रिपक्षीय आर्थिक सहयोग, नशीले पदार्थ के व्यापार के विरोध में कार्रवाई, आतंकवाद विरोधी मुहिम एवं अफगानिस्तान में शांति के मुद्दे पर सहमती होने की जानकारी दी जा रही है।

भारत से विदेश विभाग के सचिव विजय गोखले काबुल में त्रिपक्षीय बैठक के लिए उपस्थित थे। ईरान से उप विदेश मंत्री अब्बास आराघ्ची तथा अफगानिस्तान से उप विदेशमंत्री हिकमत खलील करझाई शामिल हुए थे। इस चर्चा के दौरान अगली त्रिपक्षीय चर्चा भारत में आयोजित करने पर एकमत होने की जानकारी सूत्रों से मिली है।

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ईरान के परमाणु कार्यक्रम को लेकर अमरिका ने ईरान पर प्रतिबंध जारी किए हैं। ईरान से ईंधन खरीदारी करने वाले सभी देशों को नवंबर तक ईरान से होने वाली ईंधन खरीदारी शून्य पर लानी होगी, अन्यथा प्रतिबंधों का सामना करना होगा, ऐसा अमरिका ने सूचित किया है। भारत एवं अमरिका में हालही में हुए टू प्लस टू चर्चा में भी यह मुद्दा अमरिका ने उपस्थित किया है। इस पृष्ठभूमि पर भारत-ईरान-अफगानिस्तान की पहली बार हुई यह चर्चा महत्वपूर्ण मानी जा रही है।

पाकिस्तान में सत्ताधारियों ने हमेशा अफगानिस्तान की शांति चर्चा में भारत का हस्तक्षेप ना हो, ऐसी आक्रामक भूमिका ली है और पाकिस्तान के इस भूमिका की तरफ अफगानिस्तान ने नजरअंदाज करके भारत अपना निकटतम मित्र देश होने की धारणा स्वीकारी है। अमरिका ने भी पाकिस्तान की इस धारणा का समर्थन किया है और भारत के सहभाग को समर्थन दिया है। इस पृष्ठभूमि पर अफगानिस्तान ने भारत एवं ईरान के बैठक का आयोजन किया था।

छाबहार बंदरगाह व्यूहरचनात्मक रूप से अत्यंत महत्वपूर्ण होकर चीन विकसित कर रहे पाकिस्तान के ग्वादर बंदरगाह से छाबहार बंदरगाह केवल ८० किलोमीटर दुरी पर है। अफगानिस्तान में व्यापार के लिए मार्ग खुला करने के लिये इनकार करनेवाले पाकिस्तान को दूर करते हुए, भारत-अफगानिस्तान व्यापारी सहयोग बढ़ाने के लिए तथा अफगानिस्तान की वित्त व्यवस्था के लिए ईरान के इस बंदरगाह का उपयोग महत्वपूर्ण होने वाला है।

कुछ दिनों पहले ईरान के मंत्रि ने आनेवाले महीने में भारत को छाबहार का कब्जा मिलेगा, ऐसा सूचित किया था। पर अमरिका के प्रतिबंधों की पृष्ठभूमि पर भारत इस बंदरगाह का उपयोग प्रभावी रूप से कैसे कर सकता है, इस बारे में आशंका है। उसपर मार्ग निकालने के लिए अमरिका के साथ चर्चा की तरह, ईरान और अफगानिस्तान के साथ चर्चा सहयोगी हो सकती है, ऐसे संकेत दिए जा रहे हैं।

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