२००७ साल की मंदी से भी भयंकर आर्थिक संकट छाएगा – विख्यात निवेशक जीम रॉजर्स का इशारा

पेट्रोडॉलर भी खत्म हो जाएगा

वॉशिंगटन: ‘सन २००७ में अमरीका के साथ साथ दुनिया पर आए आर्थिक संकट से भी भयंकर संकट खड़ा हुआ है। उसकी शुरुआत हुई है और अमरीका के शेयर बाजार पर इसके परिणाम भी दिखने लगे हैं। इस वजह से अपनी ज़िंदगी में देखा नहीं, ऐसे भयंकर आर्थिक संकट का सामना हमें करना पड़ेगा’, ऐसा भयकारक इशारा विख्य निवेशक जीम रॉजर्स ने दिया है। इतना ही नहीं रॉजर्स ने अमरीका के ‘पेट्रोडॉलर’ गिर रहा है ऐसा कहकर चीन और रशिया ने इसका सामना करने की पूर्व तैयारी शुरू करने की बात कही है।

अमरीका में हर चार से आठ साल में आर्थिक संकट आता है। लेकिन पिछले नौ साल में अमरीका पर आर्थिक संकट नहीं आया है। इस वजह से आगे आनेवाला संकट बहुत ही भयंकर होगा, ऐसा रॉजर्स ने कहा है। साथ ही इस संकट के परिणाम अभी से ही दिखने शुरू हुए हैं, इस बात की तरफ भी रॉजर्स ने ध्यान खींचा है। ‘पिछले डेढ़ साल के समय में अमरिकन शेयर बाजार में गिरावट दर्ज हो रही है और बहुतांश कंपनियों के शेयर्स की कीमतें गिर रही हैं। कुछ बड़े अमरिकी शहरों में सब कुछ ठीक चल रहा है ऐसा दिखाई दे रहा है, फिर भी इन शहरों के बाहर की स्थिति बहुत ही अलग है और यहाँ की जनता पर आर्थिक तनाव दिखाई दे रहा है’, ऐसा रॉजर्स ने कहा है।

आर्थिक संकटसन २००७ में आयी आर्थिक मंदी में आइसलैंड इस यूरोप के छोटे देश का दिवाला निकला था। इसकी तरफ किसी ने ज्यादा ध्यान नहीं दिया। उसके बाद आयरलैंड के दिवाले की घोषणा हुई थी। लेकिन ‘लेहमन ब्रदर्स’ यह अमरीका की कंपनी गिरने के बाद ही कुछ तो विपरीत हो रहा है, इसका दुनिया को एहसास हुआ था। इसका अर्थकारण पर परिणाम होने के लिए २००९ साल आया, इस सारे घटनाक्रम की याद रॉजर्स ने दिलाई है। इस बार का संकट इससे भी कई भयानक होगा। हम किसी ने भी आज तक देखा नहीं, इतनी ख़राब स्थिति का सामना आने वाले समय में करना पड़ेगा, ऐसा इशारा जीम रॉजर्स ने दिया है। आगे आर्थिक संकट आया तो सोने की कीमतों में विस्फोटक बढ़ोत्तरी होगी, ऐसा विश्लेषण जीम रॉजर्स ने किया है।

आर्थिक संकटसाथ ही एक रशियन वृत्तसंस्था के साथ बोलते समय रॉजर्स ने पेट्रोडॉलर्स खत्म होने की बात कही है। खाड़ीदेशों ने अपने इंधन का केवल डॉलर में बिक्री करने का निर्णय ७० के दशक में लिया था। उसके बाद अमरीका का डॉलर अन्तर्राष्ट्रीय मुद्रा बन गई और उसका उल्लेख पेट्रोडॉलर के तौर पर किया जाने लगा। लेकिन पेट्रोडॉलर अब लगभग ख़त्म हो चुका है, ऐसा कहकर रॉजर्स ने खलबली मचा दी है। डॉलर यह वर्तमान का अन्तर्राष्ट्रीय चलन है फिर भी कुछ देशों ने डॉलर में व्यवहार करने पर रोक लगाई है। तो कुछ देश अमरीका की मर्जी संभालने के लिए डॉलर में व्यवहार कर रहे हैं। लेकिन रशिया और चीन इन देशों ने अपने व्यवहार से डॉलर को तड़ीपार कर दिया है। जल्द ही, ईरान, पाकिस्तान और व्हिएतनाम यह देश भी डॉलर्स के व्यवहार को कम कर रहे हैं, ऐसा रॉजर्स ने कहा है। यह प्रक्रिया धीरे धीरे हो रही है, फिर भी निश्चित गति से डॉलर्स को विश्व के व्यवहार से कम करने की कोशिश शुरू हुई है, ऐसा दावा रॉजर्स ने किया है। पहले के समय में अन्तर्राष्ट्रीय मुद्रा ब्रिटेन पौंड की जगह डॉलर्स ने एकाएकी हाथों में नहीं ली थी। उसकी प्रक्रिया धीमी गति से शुरू हुई थी।

आगे आने वाले भयंकर आर्थिक संकट का साथ ही पेट्रोडॉलर ख़त्म हो जाएगा, एस भविष्यवाणी करने वाले जीम रॉजर्स प्रख्यात निवेश और वित्तीय क्षेत्र के विशेषज्ञ माने जाते हैं। इसके पहले भी उन्होंने आर्थिक संकट के मामले में गंभीर इशारे दिए थे। साथ ही अमरीका और अन्य देश अपना रहे गलत नीतियों को रॉजर्स ने समय समय पर लक्ष्य किया था।

भारत का आरक्षित निधि ४०० अब्ज डॉलर्स पर

नई दिल्ली: भारत की परकीय आरक्षित निधि लगभग ४०० अब्ज डॉलर्स पर पहुंच गयी है रिजर्व बैंकने यह जानकारी देते हुए चलन व्यवहार में ऊंच-नीच सहने की क्षमता बढ़ने का दावा किया है। पिछले साढ़े तीन वर्षो में भारत के आरक्षित निधि में १०० अब्ज डॉलर्स में बढ़त होने की बात सामने आई है।

सन २०१४ के अप्रैल महीने में भारत का परकीय आरक्षित निधि करीब ३०० अब्ज डॉलर्स होने की घोषणा की थी। लगभग साढ़े तीन साल के उपरांत ८ सितंबर २०१७ के दिन भारत का परकीय आरक्षित निधि लगभग ४००.७ अब्ज डॉलर्स पर जाने की जानकारी रिजर्व बैंक के दी है।

इस वर्ष के पहले तिमाही में देश के आरक्षित निधि में ६.६ अब्ज डॉलर्स की बढ़त होने की बात स्पष्ट हुई है। विदेशी निवेशकारो ने भारत पर दिखाए विश्वास का इस यह प्रभाव होने की बात कही जा रही है। दुनियाभर के प्रमुख देशों के निवेश में कटौती होते समय भारत में विदेशी निवेश बढ़ रहा है। प्रतिकूल आर्थिक परिस्थिति में भी भारतीय अर्थव्यवस्था उत्तम गति से प्रगति करने से निवेशकारों का भारत पर विश्वास अधिक बढ़ने की बात कही जा रही है।

 

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