भारतीय बनावट के ‘फास्ट ब्रीडर रिऍक्टर’ का काम अंतिम चरण में

येकातेरिंगबर्ग (रशिया)/चेन्नई, दि. २ : पिछले १५ सालों से भारतीय परमाणु अनुसंधानकर्ताओं द्वारा चेन्नई से कुछ अंतर पर रहे कल्पक्कम में भारतीय बनावट का ‘फास्ट ब्रीडर रिऍक्टर’ बनाने का काम शुरू है| इस परमाणुभट्टी के निर्माण का काम अंतिम चरण में होकर, यह परमाणुभट्टी तकनिकी, ऊर्जानिर्माण के लिए भारत के लिए ‘अक्षयपात्र’ साबित होगी, ऐसा दावा किया जाता है|

‘फास्ट ब्रीडर रिऍक्टर’भारतीय परमाणुऊर्जा विभाग पूरी तरह से भारतीय बनावट का आधुनिक ‘फास्ट ब्रीडर रिऍक्टर’ जल्द ही कार्यान्वित करने के लिए तैय्यार है| इस आधुनिक परमाणुभट्टी पर इस समय अंतिम चरण का काम शुरू हुआ होकर, भारत में परमाणुऊर्जा की शाश्‍वत आपूर्ति के लिए ‘फास्ट ब्रीडर रिऍक्टर’ तकनिकी अत्यंत महत्त्वपूर्ण साबित होगी, ऐसा कहा जाता है| इस तकनिकी पर आधारित परमाणुभट्टी में से, पारंपरिक परमाणुभट्टी से ७० प्रतिशत अधिक परमाणूऊर्जा मिल सकेगी| इसके अलावा, किरणोत्सारी कचरे का प्रमाण भी कम होगा, ऐसा ‘इंटरनॅशनल ऍटोमिक एनर्जी एजन्सी’ (आयएईए) के महासंचालक युकीया ऍमनो ने कहा है| इस परमाणुभट्टी को चलाने के लिए लगे परमाणुइंधन से भी अधिक ऊर्जा ‘फास्ट ब्रीडर रिऍक्टर’ से निर्माण होती है, ऐसा संशोधकों का दावा है|

रशिया के येकातेरिंगबर्ग शहर में ‘आयएईए’ की परिषद संपन्न हुई, जिसमें करीबन ३० देशों के ७०० परमाणु वैज्ञानिक शामिल हुए थे| इन सभी ने ‘फास्ट ब्रीडर रिऍक्टर’ तकनिकी के बारे में उत्सुकता जतायी| इस परिषद में, भारतीय अनुसंधानकर्ताओं ने विकसित किये ‘फास्ट ब्रीडर रिऍक्टर’ की वैज्ञानिकों द्वारा प्रशंसा की गयी|

इस तकनिकी पर आधारित सबसे बदा व्यावसायिक परमाणुप्रकल्प इस समय, रशिया की उरल पर्वतश्रेणियों में रहे येकातेरिंगबर्ग शहर से कुछ अंतर पर कार्यरत है| दुनिया में इस तकनिकी में रशिया सबसे आगे है| सन २०१६ में रशिया ने ‘बीएन ८००’ यह ‘फास्ट ब्रीडर रिऍक्टर’ तकनिकी पर आधारित परमाणुभट्टी कार्यान्वित की| इस परमाणुभट्टी से करीबन ८०० मेगावॅट परमाणु बिजली का निर्माण होता है|

भारत ने २७ साल पहले इस तकनिकी पर आधारित एक प्रायोगिक परमाणुभट्टी शुरू की थी| इसके बाद भारतीय परमाणुशोधकों को इस तकनिकी के आधार पर परमाणुभट्टी विकसित करने में सफलता मिली है| पिछले १५ सालों से, सबकी आँखो से ओझल, कल्पक्कम में बंगाल के उपसागर के तट पर इसका काम शुरू है| यह काम जल्द ही खत्म होने की कगार पर है|

प्राचीन कहानी में, कभी भी ख़त्म न होनेवाले अनाज़ की आपूर्ति करनेवाले ‘अक्षयपात्र’ का उल्लेख आता है| यह परमाणुभट्टी तकनिकी भी ऐसा ही ‘अक्षयपात्र’ साबित होगा, ऐसा अनुसंधानकर्ताओं का कहना है| रशिया के ‘फास्ट ब्रीडर रिऍक्टर’ विशेषज्ञ और अब ‘आयएईए’ के साथ काम करनेवाले शोधक एम. शुडाकोव्ह ने, भारतीय शोधकों ने विकसित की परमाणुभट्टी की सराहना की है| ‘सभी का ध्यान अब भारत पर लगा हुआ है| यह वैश्‍विक परमाणुऊर्जा क्षेत्र के लिए महत्त्वपूर्ण चरण होगा’ ऐसे एम. शुडाकोव्ह ने कहा है| ‘यह परमाणुभट्टी, ऊर्जा की अमर्याद आपूर्ति के लिए, भविष्य की दृष्टि से देखा जाये, तो एक महत्त्वपूर्ण चरण साबित होगी’ इन शब्दों में शुडाकोव्ह ने, भारतीय शोधकोंद्वारा विकसित की गयी परमाणुभट्टी की सराहना की|

कल्पक्कम में ‘इंदिरा गांधी सेंटर ऑफ ऍटोमिक रिसर्च’ के संचालक अरुण कुमार भंडारी ने, ‘फास्ट ब्रीडर रिऍक्टर’ विद्यमान अन्य परमाणुभट्टियों की तकनिकी से अधिक सुरक्षित है, ऐसा अधोरेखित किया है| यह परमाणुभट्टी इस साल ही कार्यान्वित हों, ऐसी कोशिश जारी है, ऐसा भंडारी ने कहा है|

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