स्थानिय चुनाव और अमरिकी कानून की मंजुरी के बाद हॉंगकॉंग में जनतंत्र के लिए हो रहे प्रदर्शनों के दायरें में बढोतरी

तृतीय महायुद्ध, परमाणु सज्ज, रशिया, ब्रिटन, प्रत्युत्तरहॉंगकॉंग: हॉंगकॉंग के स्थानिय चुनावों में जनतांत्रिक गुटों को प्राप्त हुई ऐतिहासिक जीत और अमरिका ने हॉंगकॉंग के मुद्दे पर कानून को प्रदान की हुई मंजुरी की घटना शहर के जनतांत्रिक प्रदर्शनों को और भी बल देनेवाली साबित हुई है| शुक्रवार के दिन अमरिका के समर्थन में हॉंगकॉंग में बडा मोर्चा निकालकर राष्ट्राध्यक्ष ट्रम्प और अमरिकी संसद के प्रति आभार व्यक्त किया| इसी दौरान शनिवार के दिन हॉंगकॉंग के अलग अलग हिस्सों में छात्र और युवकों के गुटों समेत ज्येष्ठ नागरिक और अगल अलग उम्र के जनतंत्र के समर्थक गुट भी बडी संख्या में शामिल होते देखे गए|

पिछले सप्ताह में हॉंगकॉंग में हुए स्थानिय चुनाव में जनतांत्रिक गुटों ने विक्रमी और ऐतिहासिक जीत प्राप्त की थी| इस निकाल से चीन समर्थक गुटों को लगे झटके की गुंज चीन में भी सुनाई रही है और हॉंगकॉंग के मुद्दे पर अब अलग और आक्रामक निर्णय करने का समय बना है, यह मत शासक कम्युनिस्ट पार्टी के गुटों से व्यक्त हो रहा है| कम्युनिस्ट पार्टी के वरिष्ठ नेता और कुछ वर्ष पहले हॉंगकॉंग की जिम्मेदारी संभालनेवाले सी लेउंगने इन प्रदर्शनों के पीछे डार्क फोर्सेससक्रिय होने का आरोप किया है|

अमरिका में मंजूर हुए कानून एकतरफा नजरिए से और गलत जानकारी पर आधार पर होने का दावा भी लेउंग समेत कम्युनिस्ट पार्टी के अन्य सदस्यों ने किया| इस कानून के मुद्दे पर चीन ने काफी आक्रमक भूमिका अपनाई है और जरूरत पडने पर अमरिका के विरोध में कार्रवाई करने के लिए कदम उठाने का इशारा भी दिया है| साथ ही हॉंगकॉंग के प्रशासन को दिया समर्थन बरकरार रखकर उन्हें कार्रवाई के लिए अधिक से अदिक विकल्प उपलब्ध करके देने के संकेत भी दिए गए है|

पर, चीन की इन धमकियों का हॉंगकॉंग के जनतांत्रिक प्रदर्शनों पर कुछ भी असर नही हुआ है, यही बात पिछले दो दिनों की घटनाओं से स्पष्ट हो रही है| शुक्रवार के दिन हॉंगकॉंग के प्रदर्शनकारियों ने फिर से रास्ते पर उतरकर अपनी ताकत दिखाई है| इस दौरान बडी शांति में मोर्चा निकाला गया, फिर भी इसमें दिखाई पडें अमरिकी झंडों की संख्या चीन की हुकूमत को और भी उकसानेवाली साबित होगी, यह समझा जा रहा है|

दुसरी ओर शनिवार से हॉंगकॉंग में फिर से प्रदर्शनों का सत्र शुरू हुआ है और इस दौरान ज्येष्ठ नागरिकों समेत अन्य उम्र के जनतंत्र के समर्थकों का समावेश ध्यान आकर्षित करनेवाला साबित हुआ है| हॉंगकॉंग में पिछले छह महीनों से शुरू यह प्रदर्शन प्रमुखता से छात्र एवं युवकों से नियंत्रित हो रहा है| पर, अब इसमें अन्य उम्र के नागरिक भी शामिल होने लगे है और यह बदलाव हॉंगकॉंग के चीन समर्थक प्रशासन और चीन की हुकूमत की मुश्किलें बढानेवाला साबित हो सकता है|

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