भारतीय वायुसेना के ‘सुखोई-३०एमकेआई’ से ‘ब्रह्मोस’ के हवाई संस्करण का परिक्षण

नई दिल्ली – भारतीय वायुसेना ने विमान से हमला करने में काबिल, ब्रह्मोस मिसाइल का परीक्षण किया| इस दौरान वर्णित मिसाइल ‘सुखोई-३० एमकेआई’ विमान से छोडा गया| हाल ही में सभी ‘सुखोई ३०’ विमान पर ‘ब्रह्मोस’ मिसाइल तैनात करने का निर्णय किया गया है| पुलवामा हमले के काबद भारतीय वायुसेना ने पाकिस्तान के बालाकोट में ने आतंकी ठिकाने पर हवाई हमलें किए थे| लेकिन, इसके लिए भारतीय वायुसेना को पाकिस्तान की हवाई सीमा में प्रवेश करना पडा था| लेकिन, सुखोई पर ब्रह्मोस की तैनाती होती है तो सीमा में प्रवेश किए बिना भारत को सिर्फ ६० सेकंड में डेढ सौ किलोमीटर अंदर तक हमला करना मुमकिन होगा| इस पृष्ठभूमि पर बुधवार के दिन किया गया परिक्षण अहम है|

वायुसेना ने बुधवार के दिन किए परीक्षण में जमीन पर तय किया गया परिक्षण सटिकता के साथ तबाह किया गया| भारत ने रशिया के सहयोग से निर्माण किए हुए ब्रह्मोस मिसाइल का समावेश सेना, वायुसेना और नौसेना के लिए स्वतंत्र संस्करण तैयार किया गया है| २२ नवंबर, २०१७ के रोज भारतीय वायुसेना ने पहली बार ब्रह्मोस का विमान से परिक्षण किय था| आवाज से २.८ गुना तेज गति से हमला करने में सक्षम सुपरसोनिक मिसाइल का विमान से परिक्षण करनेवाला भारत दुनिया में पहला देश बना था| भारतीय वायुसेना के लिए तैयार किए गए और हवा से जमीन पर हमला करनेवाले ब्रह्मोस के हवाई संस्करण के इस परिक्षण की अहमियत बालाकोट पर किए गए हवाई हमलें से बढी है|

पुलवामा हमले के बाद पाकिस्तान में बने आतंकियों के ठिकाने नष्ट करने के लिए भारत ने ‘मिराज-२०००’ विमानों के साथ इस्रायल ने तैयार किया स्पाईस मिसाइल का परिक्षण किया गया था| लेकिन, उसके लिए भारतीय विमानों को सीमा लांघकर करीबन डेढ से किलोमीटर अंदर तक प्रवेश करना पडा था| लेकिन, भारत के बेडे में राफेल जैसे विमान ब्रह्मोस से सज्जित होते तो भारतीय विमानों को दुश्मन देश की सीमा में प्रवेश किए बिना हमला करना मुमकिन होता| इस पृष्ठभूमि पर सभी ‘सुखोई ३० एमकेआई’ विमान ब्रह्मोस से सज्जित करने का निर्णय किया गया था| वर्ष २०२१ तक यह प्रक्रिया पूरी होंगी|

वर्तमान में ‘सुखोई३० एमकेआई’ विमान ब्रह्मोस से सज्जित करने का काम शुरू किया गया है| इस वजह से भारतीय वायुसेना की ताकद में काफी बढोतरी होगी| किसी भी प्रकार का खतरा उठाए बिना दुश्मन के क्षेत्र में बालाकोट जैसे हमलें करना मुमकिन होगा| सिर्फ साठ सैकंड में ही करीबन डेढ सौ किलोमीटर अंदर तक बने ठिकानों को इन मिसाइलों से लक्ष्य करना मुमकिन होगा| इस वजह से बुधवार के दिन हुई परिक्षण की अहमियत बढी है|

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