अमरीका के महंगे ईंधन के लिए यूरोप दूसरा विकल्प खोजे- जर्मन ईंधन प्रमुख की सलाह

फ्रैंकफर्ट: अमरीका की ओर से यूरोप को की जा रही ईंधन की आपूर्ति अन्य देशों के बदले महँगी है और यूरोपियन देशों ने इस ईंधन के व्यतिरिक्त अन्य विकल्प खोजना जरुरी है, ऐसी सलाह जर्मनी की प्रमुख ईंधन कंपनी ‘युनिपर’ के प्रमुख ने दिया है। जर्मन कंपनी के प्रमुख ने दी यह सलाह पिछले कुछ दिनों में अमरीका और यूरोपीय देशों में निर्माण हुए तनाव को अधिक बढ़ने का संकेत देने वाली है। अमरीका ने रशिया पर एकतरफा लगाए हुए प्रतिबन्ध यूरोप के हितसंबंधों को लक्ष्य करने वाले हैं, ऐसी टीका यूरोपीय नेताओं ने की थी। इस पृष्ठभूमि पर जर्मन उद्योजकों ने दि हुई सलाह ध्यान खींचने वाली है।

अमरीका ने रशिया के खिलाफ लगाए प्रतिबन्ध यह अमरीका के सामरिक आर्थिक संबंध सुरक्षित रखने के लिए हैं। ईंधन क्षेत्र में अमरीका का वर्चस्व प्रस्थापित हो जाए यह इसके पीछे का उद्द्येश्य है, यह बात स्पष्ट होती है। यूरोप में ईंधनो की कीमतों के बारे में देखा जाए, तो अमरीका की ओर से आपूर्ति होने वाले ईंधन की कीमत लगभग ५० प्रतिशत से ज्यादा है। इतना महंगा ईंधन लेना यूरोप के लिए मुनासिब नहीं है। इस लिए यूरोप में ईंधन की आपूर्ति करने वाले कंपनियों ने नए विकल्प खोजने होंगे’, ऐसी सलाह ‘युनिपर’ कंपनी के प्रमुख क्लोस शोफर ने दी है।

अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर ईंधन की खरीदारी करनेवाली यूरोपियन कंपनियों को एशियाई देशों की कंपनियों के साथ मुकाबला करना अनिवार्य होगा, इसकी अनुभूति भी शोफर ने कराई है। आशिया के साथ मुकाबला करके ईंधन की सुरक्षित आपूर्ति के लिए स्त्रोत निर्माण करने होंगे, ऐसा उन्हों ने कहा। इससे रास्ता निकालने के लिए यूरोपियन कंपनियों ने ‘रिन्यूएबल’ ईंधन स्त्रोत में से भी अतिरिक्त उर्जा प्राप्त करने के प्रयास करने होंगे, ऐसी सलाह भी युनिपर के प्रमुख ने दी।

अमरीका की संसद ने पिछले महीने के अंत में विधेयक संमत करके रशिया पर कठोर प्रतिबन्ध लगाए हैं। इन प्रतिबंधों में रशिया के ईंधन क्षेत्र को लक्ष्य करने का प्रयास किया गया है। रशिया ने जर्मनी के साथ अन्य यूरोपीय देशों को ‘एलएनजी’ ईंधन की आपूर्ति करने के लिए ‘नोर्ड स्ट्रीम २’ इस ईंधन चैनल की परियोजना बनाई है। इसमें रशियन कंपनी के साथ जर्मनी की ‘युनिपर’ और अन्य यूरोपियन कंपनियों का निवेश है। इस ईंधन चैनल के जरिए रशिया जर्मनी को की जाने वाली ईंधन आपूर्ति को दुगना करने वाली है, ऐसा माना जाता है।

अमरीका के प्रतिबंधों की वजह से यह परियोजना संकट में आई है और यूरोपीय ईंधन कंपनियों को इससे घाटा होने के संकेत प्राप्त हुए हैं। इसपर जर्मनी के साथ प्रमुख यूरोपीय देशों ने तीव्र नाराजगी जताई है। अमरीका के राष्ट्राध्यक्ष डोनाल्ड ट्रंप ने कुछ महीनों पहले ईंधन क्षेत्र में प्रभाव बढाने के लिए आक्रामक नीति घोषित की थी। इसके अनुसार यूरोप में अमेरिकी ईंधन की निर्यात बड़े पैमाने पर बढाई जाने वाली है। अमेरिकी ईंधन के लिए युरोप में ज्यादा से ज्यादा बाजार मिले, इसके लिए रशिया और यूरोप की संयुक्त सहभागिता के जरिए बनाई जाने वाली परियोजना को लक्ष्य बनाए जाने का आरोप लगाया जा रहा है।

जर्मन कम्पनी के प्रमुख ने किए विधानों से इन आरोपों की पुष्टि हो रही है।

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