‘लिब्रा’ डिजिटल चलन के मुद्दे पर यूरोपिय महासंघ ने शुरू की ‘फेसबुक’ की जांच

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ब्रुसेल्स – फेसबुक’ इस सोशल मीडिया कंपनी से जारी की जा रही ‘लिब्रा’ इस डिजिटल चलन के सामने खडी मुश्किलों में और भी बढोतरी होने के संकेत प्राप्त हो रहे है| अमरिका और ऑस्ट्रेलिया जैसे देशों ने शुरू की कार्रवाई के बाद अब यूरोपिय महासंघ ने भी ‘फेसबुक लिब्रा’ की जांच शुरू की है| यूरोपिय महासंघ ने ‘फेसबुक’ के साथ ‘लिब्रा असोसिएशन’ को भी स्वतंत्र नोटीस भेजी है, यह जानकारी महासंघ के प्रवक्ता ने दी|

जून महिने में ‘फेसबुक’ ने ‘लिब्रा’ नाम से अपनी ‘क्रिप्टोकरन्सी’ शुरू करने का ऐलान किया था| ‘बैंक’ में जमा राशी एवं सरकारी बांड के आधार पर वर्ष २०२० में ‘लिब्रा’ चलन जारी करने का ऐलान फेसबुक ने किया था| दुनिया में कहीं भी बैंक खाता ना होनेवालें करोडों लोग इस चलन का इस्तेमाल कर सकेंगे, यह दावा ‘फेसबुक’ ने किया था| फेसबुक के इस ऐलान के कारण अमरिका समेत दुनिया के प्रमुख देशों में सनसनी निर्माण हुई थी| तकनीक एवं वित्तक्षेत्र की करीबन २० कंपनियों का प्राप्त समर्थन ‘फेसबुक लिब्रा’ की खासियत समझी जा रही थी|

लेकिन, दुनिया में सबसे बडी अर्थव्यवस्था होनेवाली अमरिका ने ही इस डिजिटल चलन पर आपत्ति जताना शुरू किया| फेसबुक से जारी हो रही ‘लिब्रा’ चलन विश्‍वासार्हता नही रखती, यह दावा अमरिका के राष्ट्राध्यक्ष डोनाल्ड ट्रम्प ने किया था| इसके साथ ही अमरिका के वित्तमंत्री ने भी क्रिप्टोकरन्सी यह राष्ट्रीय सुरक्षा का मुद्दा है, यह कहकर ‘लिब्रा’ जैसे चलनों पर नियंत्रण लाने के संकेत दिए थे| इसके बाद अमरिका की अलग अलग यंत्रणाओं ने भी ‘फेसबुक’ समेत ‘लिब्रा’ चलन की जांच शुरू की थी|

इसके बाद जुलाई महीने में फ्रान्स में हुई ‘जी७’ गुट के वित्तमंत्री एवं मध्यवर्ती बैंकों के प्रमुखों की बैठक में, बडी कंपनियों से जारी हो रही ‘क्रिप्टोकरन्सी’ एवं ‘डिजिटल चलनों’ पर प्रतिबंध लगाने के संकेत दिए गए थे| अमरिका के साथ ही प्रमुख यूरोपिय देश एवं जापान और ऑस्ट्रेलिया जैसे देशों ने भी डिजिटल चलनों को लेकर सावधानी की भुमिका अपनाने का ऐलान किया था|

बडी निजी कंपनियां किसी भी जनतांत्रिक नियंत्रण रखे बिना उनका चलन जारी करेगी, यह बात हम कभी भी स्वीकार नही करेंगे, इन शब्दों में फ्रान्स के वित्तमंत्री ब्रुनो ले मेर ने फ्रान्स सरकार की भूमिका स्पष्ट की| जर्मनी ने भी ‘फेसबुक लिब्रा’ को अनुमति नही देंगे, यह इशारा दिया है| जर्मनी और फ्रान्स इन दोनों यूरोपिय महासंघ के प्रमुख देशों का महासंघ की निती पर काफी प्रभाव होने की बात समझी जाती है|

इस वजह से यूरोपिय महासंघ ने ‘फेसबुक लिब्रा’ को जांच के लिए दी नोटीस जर्मनी और फ्रान्स ने अपनाई भूमिका का असर होने की बात दिख रही है| ‘लिब्रा’ चलन के लिए गठित किए गए ‘लिब्रा असोसिएशन’ इस उपक्रम ने वर्णित नोटीस को उचित उत्तर दिया जाएगा, यह बात स्पष्ट की है| वही, ‘फेसबुक’ ने अभी इस नोटीस पर प्रतिक्रिया नही दी है|

अमरिका और यूरोप के प्रमुख देशों से होनेवाली जांच की वजह से ‘फेसबुक लिब्रा’ का समर्थन कर रही कंपनियों में चिंता का माहौल बना है| जांच या कार्रवाई का संकट सामने खडा ना हो इस लिए कुछ कंपनियों ने ‘फेसबुक लिब्रा’ में शामिल होनेपर फिर से गौर करने के संकेत दिए है| वही, इस चलन का समर्थन कर रहे ‘पेपाल’ इस प्रमुख कंपनी ने इस उपक्रम से अपना हाथ छुडाने का निर्णय किया है| ‘पेपाल’ यह ऑनलाईन पेमेंट क्षेत्र की प्रमुख कंपनी है औड़ पिछले दो दशकों से इस क्षेत्र में सक्रिय है|

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