यूरोपिय देश ‘इंडो-पैसिफिक’ में सुरक्षा संबंधी तैनाती पर जोर दें – जापान के रक्षामंत्री का आवाहन

टोकियो/ब्रुसेल्स/बीजिंग – यूरोप का करीब करीब ४० प्रतिशत व्यापार इंडो-पैसिफिक क्षेत्र से होता है, इस ओर ध्यान आकर्षित करके यूरोपिय देश इस क्षेत्र की सुरक्षा संबंधी तैनाती पर अधिक जोर दें, ऐसा आवाहन जापान के रक्षामंत्री नोबुओ किशी ने किया है। चीन द्वारा बीते कुछ वर्षों से इंडो-पैसिफिक क्षेत्र में विस्तारवादी कार्रवाईयाँ जारी हैं और इन्हें रोकने के लिए जापान ने भी आक्रामक नीति अपनाई है। इसके एक हिस्से के तौर पर यूरोपिय देशों के साथ रक्षा सहयोग करने पर जोर दिया जा रहा है। रक्षामंत्री नोबुओ किशी का यह बयान इन्हीं कोशिशों का हिस्सा माना जा रहा है।

Indo-pacific-Japanरक्षामंत्री नोबुओ किशी ने यूरोपिय पार्लमेंट की ‘सबकमिटी ऑन सिक्युरिटी ऐण्ड डिफेन्स’ के सदस्यों के साथ हाल ही में संवाद किया। इस तरह से यूरोपिय संसद की अहम समिति से सीधे संवाद करनेवाले वह पहले जापानी मंत्री हैं। आनेवाले सितंबर में यूरोपिय महासंघ ‘इंडो-पैसिफिक’ संबंधी अपनी नीति का ऐलान करने की संभावना है। इस वजह से जापानी रक्षामंत्री ने यूरोपिय सांसदों से की हुई चर्चा अहमियत रखती है।

‘यूरोपिय महासंघ के सदस्य देशों को इंडो-पैसिफिक में की गई सुरक्षा संबंधी तैनाती स्पष्ट तौर पर दिखाई दे सके, इस तरह से बढ़ाने की आवश्‍यकता है। इंडो-पैसिफिक क्षेत्र से संबंधित नीति में भी यूरोपिय देशों की पुख्ता कटिबद्धता दिखाई देगी, यह उम्मीद है’, इन शब्दों में जापान के रक्षामंत्री ने अपनी भूमिका रखी। इस दौरान उन्होंने एक तिहाई विश्व व्यापार एवं यूरोप का करीब करीब ४० प्रतिशत व्यापार इंडो-पैसिफिक क्षेत्र से होता है, इस बात का भी अहसास कराया।

Indo-pacific-Japan-01-768x432चीन की साउथ चायना सी और ईस्ट चायना सी में एकतरफा कार्रवाईयों की भी जापान के रक्षामंत्री ने आलोचना की। इन गतिविधियों के माध्यम से चीन इस क्षेत्र की मौजूदा स्थिति में बदलाव करने की कोशिश कर रहा है, यह आरोप नोबुओ किशी ने लगाया है। चीन ने अपने तटरक्षक बल को कार्रवाई के लिए प्रदान किए गए व्यापार अधिकार और तैवान की सीमा के करीब शुरू की हुई हरकतों पर भी किशी ने नाराज़गी जताई। चीन काफी तेज़ी से रक्षा क्षमता बढ़ा रहा है और चीन के उद्देश्‍य संदिग्ध हैं और इस मुद्दे पर जापान को तीव्र चिंता सता रही है, इस ओर भी रक्षामंत्री किशी ने ध्यान आकर्षित किया। अंतरराष्ट्रीय समुदाय ने एकजुत होकर चीन की इस आक्रामकता के विरोध में आवाज़ उठानी होगी, यह आवाहन भी जापानी रक्षामंत्री ने किया।

इसी बीच, जापान द्वारा चीन के खिलाफ जारी गतिविधियों पर चीन ने तीव्र नाराज़गी व्यक्त की है। जापान ने चीन के साथ आर्थिक एवं व्यापारी संबंधों में अड़ंगा निर्माण करनेवाले कदम ना उठाने चाहिएं, यह इशारा चीन के विदेश मंत्रालय ने दिया है। जापान ने ऐसी कोशिश की तो दोनों देशों की कंपनियों को इससे नुकसान पहुँच सकता है, यह इशारा चीन के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता झाओ लिजिअन ने दिया है।

बीते कुछ वर्षों से जापान और चीन के संबंधों में लगातार उतार-चढ़ाव हो रहा है और फिलहाल यह तनाव बढ़ने के संकेत प्राप्त हो रहे हैं। चीन द्वारा ईस्ट चायना सी में लगातार हो रही घुसपैठ, कोरोना की जानकारी छुपाने की हरकत, हाँगकाँग पर थोंपा गया कानून और आर्थिक एवं लष्करी ताकत के बल पर दबाव डालने की कोशिशों के मुद्दों पर जापान ने आक्रामक भूमिका अपनाई है। जापान के पूर्व प्रधानमंत्री एबे शिंजो ने इस भूमिका की पहल की थी।

Leave a Reply

Your email address will not be published.