लीबिया में तुर्की की सेना तैनाती पर यूरोपिय देशों की आलोचना

तृतीय महायुद्ध, परमाणु सज्ज, रशिया, ब्रिटन, प्रत्युत्तरब्रुसेल्स: ‘सीरिया की तरह लीबिया में गृहयुद्ध की शुरूआत होने ना दे| लीबिया में गृहयुद्ध होने से रोकना है तो सियासी बातचीत शुरू करके युद्धविराम एवं लष्करी सहायता भी रोकनी होगी’, इन शब्दों में यूरोपिय महासंघ ने तुर्की को इशारा दिया है| लीबिया में हो रही तुर्की की सेना तैनाती के विरोध में महासंघ के ब्रिटेन, फ्रान्स, जर्मनी, इटली, ग्रीस और सायप्रस ने स्पष्ट भूमिका घोषित की है| पर, यूरोपिय देशों के इस विरोध को नजरअंदाज करके तुर्की ने लीबिया में अपनी सेना की पहली टुकडी तैनात भी की है|

संयुक्त राष्ट्रसंघ की मान्यता रखनेवाले लीबियन प्रधानमंत्री फएझ अल सराज ने कुछ दिन पहले ही तुर्की के साथ विशेष रक्षा सहयोग समझौता किया था| इसके अनुसार अबतक लीबिया को ड्रोन्स, राकेटस् प्रदान करनेवाले तुर्की की सेना राजधानी त्रिपोली में तैनात होगी| लीबिया और तुर्की में हुए इस समझौते पर प्रमुख देशों ने आलोचना की थी| दो दिन पहले ब्रिटेन, फ्रान्, जर्मनी और इटली के विदेशमंत्री ने तुर्की की सेना तैनाती पर फटकार लगाई थी|

इसके बाद यूरोपिय महासंघ ने भी सराज सरकार के कान खिंचे है| बागी सेनाप्रमुख जनरल खलिफा हफ्तार के विरोध में तुर्की की सेना तैनात करके नया संघर्ष शुरू करने से लीबिया की समस्या का हल नही निकलेगा, इन स्पष्ट शब्दों में महासंघ के प्रवक्ता चार्ल्स मिशेल ने लीबियन सरकार को फटकार लगाई है| साथ ही लीबिया और तुर्की के बीच में भूमध्य समुद्र के क्षेत्र से जुडे हुआ व्यापारी सहयोग भी अवैध होने का आरोप मिशेल ने किया|

ग्रीस और सायप्रस इन यूरोपिय देशों के सार्वभूम अधिकारों पर अतिक्रमण करके किसी भी प्रकार का समझौता संयुक्त राष्ट्रसंघ के नियमों में नही होनेवाला’, इसका एहसास भी मिशेल ने कराया है| तभी, लीबिया में सीरिया की तरह गृहयुद्ध शुरू होने से रोकना होगा तो युद्धविराम, सियासी बातचित और शस्त्र सहयोग पर प्रतिबंधों का रास्ता स्वीकारना होगा’, यह निवेदन जर्मनी के विदेशमंत्री हैको मास ने किया है| इसके लिए जल्द ही जर्मनी में विशेष बैठक होगी, यह ऐलान भी मास ने किया|

दोन दिन पहले इजिप्ट में चार देशों की विशेष बैठक हुई| इस दौरान मेजबान इजिप्ट के साथ फ्रान्स, ग्रीस, और सायप्रस के विदेशमंत्री शामिल हुए थे| लीबिया और तुर्की में हुए समुद्री सहयोग के समझौता भी बेमतलब होने की आलोचना इन देशों ने की थी| तभी, इससे पहले इस्रायल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेत्यान्याहू ने भी ग्रीस और सायप्रस के नेताओं से भेंट करके लीबिया और तुर्की के सहयोग के विरोध में ही इस्रायल होने का ऐलान किया था|

रशिया के राष्ट्राध्यक्ष व्लादिमीर पुतिन ने तुर्की के राष्ट्राध्यक्ष एर्दोगन से भेंट करके सराज सरकार के साथ हुए सहयोग पर नाराजगी जताई| साथ ही लीबिया में युद्धविराम शुरू करें, यह निवेदन भी किया था| राष्ट्राध्यक्ष एर्दोगन ने रशियन राष्ट्राध्यक्ष का यह प्रस्ताव स्वीकार करने का ऐलान किया था| पर, उसके बाद भी तुर्की ने लीबिया में अपनी सेना तैनाती जारी रखी थी| इस वजह से रशिया के साथ यूरोपिय और खाडी के देश भी तुर्की पर आलोचना कर रहे है| अरब लीग एवं सौदी अरब ने भी स्वतंत्र तौर पर इसके विरोध मे तुर्की को चेतावनी दी थी|

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