युरोप आनेवाले निर्वासितों के झुँड़ यानी संगठित आक्रमण

झेक रिपब्लिक के राष्ट्राध्यक्ष का आरोप

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युरोप में दाख़िल हो रहे निर्वासितों के झुँड़ यह कोई मामूली घटना नहीं है, बल्कि वह युरोप पर हो रहा संगठित आक्रमण है, ऐसा सनसनीखेज़ आरोप झेक रिपब्लिक के राष्ट्राध्यक्ष मिलोस झेमान ने किया। निर्वासितों के झुँड़ों में से आनेवाले युवा उनकी मातृभूमि को आज़ाद करने के लिए ‘आयएस’ जैसे आतंकवादी संगठन के विरोध में संघर्ष क्यों नहीं करते? ऐसा सवाल भी झेमान ने किया। झेक रिपब्लिक के प्रधानमंत्री ने भी निर्वासितों के विरोध में आक्रामक भूमिका अपनायी है और जर्मनी के रवैये के कारण युरोप में अवैध रूप में घुसनेवालों के झुँड़ लगातार बढते ही जा रहे है, ऐसा इल्ज़ाम उन्हों ने लगाया है।

‘युरोप में दाख़िल होनेवाले निर्वासितों में वृद्ध, बीमार या फिर छोटे बच्चों के प्रति हमदर्दी की भावना होना मुनासिब है। लेकिन युरोप में दाख़िल होनेवाले ग़ैरक़ानूनी निर्वासितों में अच्छेख़ासे सुदृढ़ युवाओं का बड़े पैमाने पर समावेश है। ये युवा उनकी मातृभूमि को मुक्त करने के लिए आयएस जैसे आतंकवादी संगठन के ख़िलाफ़ संघर्ष क्यों नहीं करते? उनके युरोप भाग आने से आयएस जैसे आतंकवादी संगठन को बल प्राप्त होता है’ ऐसा दावा झेमान ने किया।

युरोपीय देशों में आनेवाले ये निर्वासित यह, पश्चिमी देशों ने एशिया और अफ़्रीका में की हुईं लष्करी दखलअंदाज़ियों का नतीजा होने का दावा कुछ महीने पहले झेक राष्ट्राध्यक्ष ने किया था।

झेक रिपब्लिक के प्रधानमंत्री बोहुस्लाव सोबोत्का ने भी, निर्वासितों के झुँड़ों के विरोध में आक्रामक प्रतिक्रिया दी है। एक जर्मन दैनिक को दिये हुए इंटरव्ह्यू में उन्होंने निर्वासितों की समस्या पर जर्मनी ने अपनाये हुए रवैये की कड़ी आलोचना की। जर्मनी ने निर्वासितों के मुद्दे का हल ढूँढ़ते समय केवल मानवतावादी दृष्टिकोण से उनपर ग़ौर किया और सुरक्षा को नज़रअन्दाज़ कर दिया, ऐसा आरोप प्रधानमंत्री सोबोत्का ने किया। जर्मनी की इस भूमिका के कारण युरोप में ग़ैरकानूनी रूप में घुसपैंठी करनेवालों का प्रमाण भारी मात्रा में बढ़ गया होने का दावा भी उन्होंने किया। झेक रिपब्लिक के नेतृत्व के द्वारा किए गये इन आरोपों से पहले भी ब्रिटन, फ़्रान्स, हंगेरी, स्लोव्हाकिया जैसे देशों के द्वारा भी निर्वासितों के मुद्दे को लेकर लगातार आक्रामक आलोचना की गयी है। फ़्रान्स में हुए आतंकवादी हमले के बाद, यह आलोचना अधिक ही तीव्र होती जा रही है और निर्वासितों के झुँडो का विरोध करनेवाले देशों की संख्या में बढ़ोतरी होने लगी है। अब तक पाँच से भी अधिक देशों ने, महासंघ के द्वारा बनाये गये नियमों के अनुसार निर्वासितों का स्वीकार करने से इन्कार कर दिया है। इसी दौरान, युरोप में दाख़िल हो चुके निर्वासितों की संख्या १० लाख से ऊपर जा चुकी होने की जानकारी ‘इंटरनॅशनल ऑर्गनायझेशन फॉर मायग्रंट्स’ इस संस्था ने दी है। युरोप के छ: देशों मे से इकट्ठा की गयी जानकारी के आधार पर यह दावा किया है, लेकिन प्रत्यक्ष रूप में दाख़िल हुए निर्वासितों की संख्या इससे बहुत ज़्यादा रहने की संभावना भी ज़ाहिर की गयी है।

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