ब्रिटीश प्रधानमंत्री के सामने देशांतर्गत विरोध की चुनौती

युरोपीय महासंघ के साथ हुए समझौते का कोई असर नहीं

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युरोपीय महासंघ द्वारा ब्रिटन को ‘स्पेशल स्टेटस’ प्रदान किये जाने के समझौते के बाद भी, प्रधानमंत्री डेव्हिड कॅमेरॉन की मुश्किलें ख़त्म नहीं हुईं होने का चित्र सामने आ रहा है। ब्रिटन का युरोपीय महासंघ में समावेश रहने के विषय में २३ जून २०१६ को सार्वमत लेने की घोषणा करने के बाद, कॅमेरॉन को देशांतर्गत सख़्त विरोध का सामना करना पड़ रहा है। सत्ताधारी पार्टी के वरिष्ठ सहकर्मी, प्रमुख नेता इनके साथ ही ब्रिटन के प्रमुख प्रसारमाध्यमों ने कॅमेरॉन पर आलोचना की ज़ोरदार बौछार शुरू की है।

शनिवार को महासंघ के साथ उपरिनिर्दिष्ट समझौता कर लौट आये प्रधानमंत्री कॅमेरॉन ने फ़ौरन मंत्रिमंडल की बैठक बुलायी। इस बैठक के बाद, २३ जून २०१६ को देश में इस विषय पर सार्वमत लिया जायेगा, ऐसी घोषणा कर दी गयी। उसी समय, कॅमेरॉन ने यह घोषित किया कि ब्रिटन महासंघ का हिस्सा बनकर रहें इसके लिए ब्रिटीश सरकार ज़ोरदार प्रयास करेगी। इस निवेदन के बाद, ब्रिटन में रहनेवाले महासंघ के समर्थक तथा विरोधी इनके बीच की दरार अधिक स्पष्ट हुई होकर, कॅमेरॉन के कुछ सहकर्मियों ने ही, समझौते के साथ महासंघ में रहने का ज़ोरदार विरोध किया है, यह बात सामने आयी है।

ब्रिटन की राजधानी लंडन का महापौरपद विभूषित करनेवाले बोरिस जॉन्सन ने खुलेआम, युरोपीय महासंघ से बाहर निकलने की भूमिका लेकर ‘आऊट कँपेन’ को सहयोग देने की घोषणा की है। जॉन्सन का विरोध यह प्रधानमंत्री कॅमेरॉन के लिए बड़ा झटका है, ऐसा कहा जा रहा है। प्रधानमंत्री कॅमेरॉन ने जॉन्सन को मनाने के प्रयास करने के बावजूद भी, उन्होंने अपनी विरोधी भूमिका क़ायम रखी होने की जानकारी सामने आयी है।

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ब्रिटन महासंघ के बाहर हों, इसलिए  मुहिम चलाने की योजना जॉन्सन द्वारा घोषित की जाने के कारण, महासंघ का विरोध करनेवाले गुट को जॉन्सन के रूप में नेतृत्व मिला होने का दावा ब्रिटीश माध्यमों ने किया है। जॉन्सन के साथ साथ ब्रिटन के विधिमंत्री मायकल गोव्ह ने भी समझौते का विरोध करते हुए, महासंघ के विरोध की भूमिका अपनायी है। कॅमेरॉन के मंत्रीमंडल के तक़रीबन छ: मंत्रियों ने, ब्रिटन महासंघ से बाहर निकलें इसलिए शुरू रहनेवाली मुहिम को अपना समर्थन दिया होने की बात स्पष्ट हुई है। ब्रिटन के सर्वाधिक सर्क्युलेशन रहनेवाले दैनिक के रूप में जाने जानेवाले ‘द सन’ इस दैनिक ने भी, कॅमेरॉन ने महासंघ के साथ किये हुए समझौते को विरोध दर्शाया है।

इस पार्श्वभूमि पर, प्रधानमंत्री कॅमेरॉन सोमवार को, महासंघ के साथ हुए समझौते की जानकारी पार्लियामेंट को देंगे ऐसा घोषित किया गया है। ब्रिटन की विद्यमान विरोधी पार्टी – ‘लेबर पार्टी’ ने, ब्रिटन महासंघ का ही सदस्य बनकर रहें, ऐसी भूमिका ली होने की बात पहले ही स्पष्ट हुई है। मग़र फिर भी, कॅमेरॉन को संसद में स्वपक्षियों से ही बड़े विरोध का सामना करना पड़ेगा, ऐसा दिखायी दे रहा है।

युरोपीय महासंघ के साथ हुए समझौते में, स्थलांतरितों के मुद्दे के साथ साथ, युरोपीय महासंघ के कुछ मूल समझौते और ब्रिटीश उद्योगजगत् की सुरक्षा ये बातें भी ब्रिटन को ही अनुकूल होंगी ऐसी बनायी गयी हैं। साथ ही, इस समझौते के अनुसार, ब्रिटन में काम करनेवाले स्थलांतरितों को लाभ देने के नियम से भी ब्रिटन को सात वर्ष तक छूट दी गयी है। उसी समय, महासंघ को राजकीयदृष्टि से और भी एकसंध करने के प्रयासों में ब्रिटन का समावेश नहीं होगा।

ब्रिटन के उद्योगजगत् को विशेष सुरक्षा प्रदान करने का ब्रिटीश सरकार का अधिकार भी मान्य किया गया है।

इसी दौरान, ब्रिटन यदि युरोपीय महासंघ से ‘एक्झिट’ कर लेता है, तो सुरक्षा की दृष्टि से वह ख़तरनाक साबित होगा, ऐसा दावा ब्रिटन के कुछ पूर्व लष्करी अधिकारियों  द्वारा किया गया है। ब्रिटन के आर्म्ड फ़ोर्सेस के पूर्व प्रमुख ने इस संदर्भ में एक खुला पत्र लिखा होकर, महासंघ से एक्झिट करने के बाद ‘आयएस’ जैसे आतंकवादी संगठनों से रहनेवाला ख़तरा और भी बढ़ेगा, ऐसी चेतावनी उसमें दी है। तक़रीबन १० से भी अधिक लष्करी अधिकारियों ने इसपर हस्ताक्षर किये होकर, यह पत्र सरकारी मुहिम का ही भाग माना जा रहा है।

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