१११. इस्रायल की अर्थव्यवस्था

   

इस्रायल ने बतौर ‘एक देश’ अस्तित्व में आने से लेकर महज़ ७० सालों में कितनी नेत्रदीपक प्रगति की है, यह हमने देखा| आज इस्रायल की अर्थव्यवस्था यह ‘जानकारी-तंत्रज्ञान’ (आयटी) और ‘उच्चतंत्रज्ञान संशोधन क्षेत्र’ पर आधारित बहुत ही विकसित ऐसी ‘फ्री-मार्केट’ अर्थव्यवस्था मानी जाती है| इस मज़बूत, विकसित अर्थव्यवस्था के बल पर ही इस्रायल अपने देश में अत्याधुनिक बुनियादी ढांचागत (इन्फ्रास्ट्रक्चरल) सुविधा, आम जनता के लिए विभिन्न जनकल्याण योजनाएँ, साथ ही, सिलिकॉन व्हॅली को टक्कर दे सकें ऐसे उच्चतंत्रज्ञान क्षेत्र का निर्माण कर सका है|

आज स्टार्टअप्स की कुल संख्या में अमरीका के बाद इस्रायल दूसरे नंबर पर है| उसीके साथ अमरीका का अग्रसर स्टॉक एक्स्चेंज ‘नॅसडॅक’ पर दर्ज़ की हुईं कंपनियों की संख्या में अमरीका एवं चीन के बाद इस्रायली कंपनियॉं तीसरे नंबर पर हैं| इस्रायल के इसी उच्चतंत्रज्ञान क्षेत्र के कर्तृत्व के कारण प्रभावित होकर इंटेल, मायक्रोसॉफ्ट, ऍपल, आयबीएम, गुगल, एचपी, सिस्को, फेसबुक, मोटोरोला इन उच्चतंत्रज्ञान क्षेत्र की बड़ी कंपनियों ने भी अपने संशोधन-विकास केंद्र इस्रायल में शुरू किये हैं|

पहले से ही ध्यान से बुनियादी ढांचागत सुविधाएँ विकसित किया हुआ तेल अवीव्ह शहर यह इस्रायल के उच्चतंत्रज्ञान उद्योग का प्रमुख केंद्र है|

उच्च तंत्रज्ञान (हायटेक) क्षेत्र के साथ ही औद्योगिक क्षेत्र में भी इस्रायल तेज़ी से प्रगति करते हुए दिखायी देता है| औद्योगिक तंत्रज्ञान यानी औद्योगिक उत्पादनों में जिसका इस्तेमाल किया जाता है ऐसा तंत्रज्ञान| उदा. इस्रायल में भले ही गाड़ियों का उत्पादन न भी किया जाता हो, लेकिन अत्याधुनिक गाड़ियों में जो जीपीएस प्रणाली आदि यंत्रणाओं का इस्तेमाल किया जाता है, उनमें से कई बातों का तंत्रज्ञान इस्रायली कंपनियों ने बनाया है| वैसे ही, आजकल कई ऍड्वान्स्ड फॅक्टरियों में – एक असेंब्ली-लाईन में तैयार किये हुए पीसेस् उठाकर अगली प्रक्रिया के लिए दूसरी असेंब्ली-लाईन में रखना, इन जैसे काम करने के लिए इन्सानों के बदले रोबोज् का इस्तेमाल किया जाता है; ऐसी भी कई बातों का निर्माण इस्रायली कंपनियॉं करती हैं| इसी कारण, ये चीज़ें बनानेवालीं कई इस्रायली कंपनियों को इन बहुराष्ट्रीय कंपनियों ने अधिग्रहित किया है|

उसी के साथ, वस्तु तथा आधुनिक तंत्रज्ञान इन्हें जोड़नेवाला और ‘४थीं औद्योगिक क्रांति’ माना जानेवाला ‘इंटरनेट ऑफ थिंग्ज’ (‘आयओटी’), रोबोटिक्स, आर्टिफिशियल इंटेलिजन्स, व्हर्च्युअल रिऍलिटी इस प्रकार के उच्च-तंत्रज्ञान क्षेत्रों से जुड़ीं वस्तुओं का निर्माण करने का व्यवसाय भी इस्रायल में तेज़ी से बढ़ रहा है|

तेल अवीव्ह के पास के रमत गन में, इस्रायल के ‘डायमंड डिस्ट्रिक्ट’ के रूप में पहचाना जानेवाला हीरों के व्यापार का केंद्र|

इन दो क्षेत्रों के साथ ही, हीरे काटने का व्यवसाय भी इस्रायली अर्थव्यवस्था की मौलिक वृद्धि करता रहता है| (इस्रायल की कुल निर्यात के २३% से अधिक और इस क्षेत्र के कुल जागतिक कारोबार के १२% से अधिक|) थोक भाव (होलसेल रेट) में यह काम यहॉं किया जाता होने के कारण इस क्षेत्र की कई जागतिक कंपनियॉं इस्रायल में से ही यह काम कराके लेतीं हैं|

लेकिन इस पड़ाव तक आने के लिए इस्रायली लोगों ने जानतोड़ मशक्कत की है| इस्रायल जब आज़ाद हुआ, तब अर्थ-अव्यवस्था ही अधिक थी| स्वातंत्र्ययुद्ध शुरू था, उसके खर्चे का बोझ बढ़ता ही चला जा रहा था, ज्यू-स्थलांतरितों के रेलें हज़ारों की तादात में दुनियाभर से इस्रायल लौट रहे थे| उन सभी के उदरनिर्वाह का प्रश्‍न भी नवजात इस्रायल के सामने खड़ा था| स्थलांतरितों के प्रचंड रेलों के कारण कुछ समय सभी आर्थिक गणित ढ़ह से गये थे| बेरोज़गारी बढ़ी थी और विदेशी चलन के रिज़र्व्हज़् ख़त्म होने की कगार पर थे|

ऐसी परिस्थिति में लगभग सभी स्थलांतरितों ने ‘कम्युनिटी लिव्हिंग’ का मार्ग अपनाया था| इस्रायल की ‘कम्युनिटी लिव्हिंग’ बस्तियों ने – ‘किब्बुत्झ’ ने शुरुआती दौर में ख़ेती तथा अन्य व्यवसायों के माध्यम से अर्थव्यवस्था की नींव मज़बूत करने में अच्छाख़ासा सहयोग दिया था|
लेकिन देश चलाने के लिए निधि की आवश्यकता होती हैे| इस्रायल स्वतंत्र होने से पहले दुनियाभर के ज्यूधर्मियों तथा ज्यू-मित्रों के माध्यम से निधि आ रही थी| इस्रायल स्वतंत्र होने के बाद अर्थव्यवस्था को पटरी पर ले आने के लिए इसके साथ ही अन्य स्रोत भी इस्रायल को खोजने पड़े|

सर्वप्रथम तात्कालिक आर्थिक संकट पर पहली उपाययोजना के रूप में सन १९४९ से ‘मितव्ययता उपाययोजना’ अर्थात् ‘ऑस्टेरिटी मेजर्स’ का अंगिकार किया गया था| लगभग १० साल चले इस दौर में इस्रायल में जीवनावश्यक वस्तुओं का ‘राशनिंग’ शुरू किया गया|

‘स्टेट ऑफ इस्रायल बॉंड्स’ को दुनियाभर के ज्यूधर्मियों से अच्छा प्रतिसाद मिला और पहले ही साल में जो लक्ष्य निर्धारित किया गया था, उससे दुगुनी बॉंड्स की बिक्री हुई|

इसीके साथ, इस्रायल के पहले प्रधानमंत्री डेव्हिड बेन गुरियन के दिमाग से साकार हुई एक और संकल्पना यानी ‘स्टेट ऑफ इस्रायल बॉंड्स’| ढ़हती जा रही अर्थव्यवस्था को सँवारने के लिए ‘ऑस्टेरिटी मेजर्स’ भी ज़्यादा समय तक उपयोगी साबित नहीं होंगे, यह समझ में आ जाते ही बेन-गुरियन ने, आर्थिक स्रोत के इस एक और मार्ग को टटोलना चाहा| ये बॉंड्स दुनियाभर के ज्यूधर्मियों के लिए खुले थे| इसमें आर्थिक आवक होने के साथ ही इस्रायल से बाहर रहनेवाले ज्यूधर्मियों का ‘उनके खुद के राष्ट्र के’ विकास में योगदान हों, यह उद्देश्य भी था| इन बॉंड्स को दुनियाभर से अच्छा प्रतिसाद (रिस्पॉंज़) मिला और पहले ही साल जो लक्ष्य निर्धारित किया था, उसके दुगुनी बॉंड्स की बिक्री हुई| उसीकेे साथ, जब जब इस्रायल पर युद्ध का संकट आया – उदा. सन १९६७ का ६-डे वॉर, सन १९७३ का योम किप्पूर वॉर – तब तब इन बॉंड्स की बिक्री में वृद्धि हुई है| अभी भी इन बॉंड्स की बिक्री जारी होकर, आज तक लगभग ४३ अरब डॉलर्स इस माध्यम से इस्रायल के पास जमा हुए हैं|

इसी दौरान सन १९५२ में पश्‍चिम जर्मनी ने, युद्धपूर्व दौर में ज्यूधर्मियों पर नाझी शासन द्वारा किये गये अनन्वित अत्याचारों की ज़िम्मेदारी को स्वीकार करते हुए, उसके बदले में मुआवज़ा देना क़बूल किया| अंतिम रक़म १.५ अब्ज डॉलर्स तय की गयी, जिसे जर्मनी ने अगले १४ वर्षों में अदा किया| तत्कालीन डूबती इस्रायली अर्थव्यवस्था के लिए यह बहुत बड़ा आधार साबित हुआ|

लेकिन सन १९७३ के योम किप्पूर युद्ध के बाद के कुछ साल, सन १९८३ में इस्रायल के चार सबसे बड़े बँकों को दिवालिया बनानेवाला ‘बँक स्टॉक क्रायसिस’, सन २००० के दशक के जागतिक ‘डॉटकॉम बबल क्रायसिस’ के कुछ साल; ऐसे बीच बीच के कुछ अपवाद (एक्सेप्शन्स) को छोड़ें, तो इस्रायली अर्थव्यवस्था धीमी गति से ही सही, लेकिन प्रगति ही कर रही थी| कृषि, आर्थिक सेवा, उच्चतंत्रज्ञान, ऊर्जा (नैसर्गिक वायु-सौर ऊर्जा-बिजली), औद्योगिक उत्पादन, फार्मास्युटिकल, हीरों का कारोबार, रक्षाउत्पादन ऐसे अर्थव्यवस्था के एक एक क्षेत्र का स्वतंत्र रूप में विचार कर, उसके लिए की हुई विशेष मेहनत धीरे धीरे फल ला रही थी| उसीके साथ – सरकारी खर्चे में कटौति करना, घाटे में चल रहे सरकारी उद्योगों का निजीकरण (प्रायवेटायझेशन), जीवनावश्यक वस्तुओं की क़ीमतों पर सरकारी नियंत्रण रखना ऐसीं कई विशेषताएँ होनेवाला सन १९८५ का ‘इकॉनॉमिक स्टॅबिलायझेशन प्लॅन’; और उसके बाद अपनाये गये ‘मार्केट-ओरिएन्टेड’ आर्थिक सुधार; इन्होंने अर्थव्यवस्था की फिसलती गाड़ी को पुनः पटरी पर ले आने में अहम भूमिका अदा की|

गत कुछ सालों में कई राष्ट्रों के इस्रायल के साथ के समीकरणों में आये बदलाव भी इस्रायल में अधिक से अधिक आंतर्राष्ट्रीय निवेश लाने का कारण बन गये हैं| उसीके साथ, मुक्त अर्थव्यवस्था होने के बावजूद भी, उसमें लगनेवाले जागतिक अर्थव्यवस्था के उतार-चढ़ावों के झटके सह सकने जितनी इस्रायली अर्थव्यवस्था लचीली होने का आंतर्राष्ट्रीय निवेशकों को यक़ीन है| अधिक से अधिक इस्रायली हायटेक कंपनियों का, आंतर्राष्ट्रीय कंपनियों द्वारा चढ़ते दामों में अधिग्रहण किया जाना, यह इसका निदर्शक है|

‘बॉंब्ज गिर रहे हैं, लेकिन इस्रायली अर्थव्यवस्था ऊपर उठ रही है’ इन शब्दों में लंडन के ‘फायनॅन्शियल टाईम्स’ ने इस्रायली अर्थव्यवस्था की प्रशंसा की थी, वह कितनी सार्थक है यही इससे दिखायी देता है, है ना?(क्रमश:)

– शुलमिथ पेणकर-निगरेकर

 

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