कोरोना की महामारी के कारण सन २०३० तक ग़रीबों की संख्या एक अरब तक पहुँचेगी – संयुक्त राष्ट्रसंघ की चेतावनी

न्यूयॉर्क – दुनियाभर में फैली हुई कोरोना की महामारी के परिणाम प्रदीर्घ समय तक कायम रहनेवाले हैं, जिससे कि आनेवाले दशकभर में ग़रीबों की संख्या पूरे एक अरब तक जा सकती है, ऐसा डर संयुक्त राष्ट्रसंघ की रिपोर्ट में व्यक्त किया गया है। आनेवाले १० सालों में अत्यधिक तंगी की हालत में जीनेवालों की संख्या में २० करोड़ की वृद्धि होगी, ऐसी चिंता रिपोर्ट में व्यक्त की गयी है। कुछ ही दिन पहले, संयुक्त राष्ट्रसंघ के प्रमुख अँटोनिओ गुतेरस ने, कोरोना महामारी से हुआ नुकसान अगले कई दशकों में भी पूरा नहीं होगा, ऐसा जताया था।

coronavirusदुनियाभर में कोरोना के मरीज़ों की संख्या साढ़े छ: करोड़ तक पहुँची होकर, हररोज़ उसमें लखों लोगों की वृद्धि हो रही है। कई देशों में इन दिनों महामारी की दूसरीं लहर शुरू होकर, तीसरीं लहर के बारे में भी चेतावनियाँ दीं जा रहीं हैं। इस कारण फिर एक बार ‘लॉकडाऊन’ जारी करने की शुरुआत हुई होकर, अर्थव्यवस्था को बड़े झटके लगने के संकेत दिये जा रहे हैं। इस पृष्ठभूमि पर, संयुक्त राष्ट्रसंघ ने कोरोना महामारी के परिणामों की संभावना जतानेवालीं रिपोर्ट्स जारी कीं हैं। उनमें ‘युएनडीपी’ तथा अमरीका के डेन्व्हर विश्वविद्यालय के ‘पार्डी सेंटर फॉर इंटरनॅशनल फ्युचर्स’ ने तैयार की रिपोर्ट में, ग़रीबों की संख्या में बड़ी वृद्धि होने की चिंता व्यक्त की गयी है।

coronavirus‘कोरोना की महामारी के कारण जागतिक अर्थव्यवस्था को गंभीर संकट का मुक़ाबला करना पड़ेगा और उसका भारी असर कम से कम १० साल तक क़ायम रह सकता है। इस दौर में, जागतिक स्तर पर उत्पादनक्षमता में बड़ी गिरावट आने का भी डर है। इस वजह से, अर्थव्यवस्था कोरोना से पहले होनेवाली स्थिति में आने के लिए कई साल लग सकते हैं। इस बात को मद्देनज़र करें, तो सन २०३० तक की कालावधि में, अत्यधिक तंगी की अवस्था में जीनेवाले ग़रीबों की संख्या में २० करोड़ ७० लाख लोगों की बढ़ोतरी हो सकती है। उनमें महिलाओं की संख्या लगभग १० करोड़ से अधिक होगी’, इन शब्दों में संयुक्त राष्ट्रसंघ ने कोरोना के परिणामों का एहसास करा दिया है।

संयुक्त राष्ट्रसंघ ने जागतिक विकास के लिए निश्‍चित किये लक्ष्यों का विचार करें, तो कोरोना की महामारी यह निर्णायक छोर साबित होती है। अब आन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर नेतृत्व जो कुछ फ़ैसलें करेगा, उससे दुनिया को पूरी तरह अलग दिशा में मोड़ा जा सकता है’, इसपर भी रिपोर्ट ने ग़ौर फ़रमाया है। ‘युएनडीपी’ की इस रिपोर्ट के साथ ही, ‘युनायटेड नेशन्स कॉन्फरन्स ऑन ट्रेड ऍण्ड डेव्हलपमेंट’ (युएनसीटीएडी) ने कोरोना के परिणामों की जानकारी देनेवाली अलग रिपोर्ट जारी की है।

coronavirusइसमें दुनिया की ‘लीस्ट डेव्हलप्ड् कंट्रीज’ के लिए कोरोना की महामारी अत्यधिक बुरी साबित होगी, यह जताया गया है। संयुक्त राष्ट्रसंघ ने ‘लीस्ट डेव्हलप्ड् कंट्रीज’ की सूचि में ४७ देशों का समावेश किया होकर, इन देशों के तीन करोड़ से अधिक नागरिक ग़रीबी की खाई में धकेले जायेंगे, ऐसी चेतावनी दी है। कोरोना की महामारी के कारण, इन देशों में आय का स्तर बड़े पैमाने पर घटनेवाला होकर, उन्हें भारी मात्रा में बेरोज़गारी और राजकोषीय घाटा इन जैसे संकटों का मुक़ाबला करना पड़ेगा, ऐसा भी रिपोर्ट में बताया गया है। इन देशों में जो कुछ भी थोड़ीबहुत प्रगति शुरू थी, उसमें कोरोना के कारण रुकावट आयी होने का दावा भी इसमें किया गया है।

कोरोना की महामारी के कारण ग़रीबों की संख्या में बढ़ोतरी हो रही है कि तभी खाना, पानी, आवास इन जैसी मूलभूत ज़रूरतों के लिए विदेशी सहायता पर निर्भर होनेवालों की संख्या में भी भारी बढ़ोतरी होगी, ऐसी रिपोर्ट संयुक्त राष्ट्रसंघ ने जारी की है। ‘ग्लोबल ह्युमॅनिटेरिअन ओव्हरव्ह्यू २०२१’ नामक इस रिपोर्ट में, मूलभूत ज़रूरतों के लिए मानवतावादी सहायता आवश्यक होनेवालों की संख्या में पूरे ४० प्रतिशत से बढ़ोतरी होगी, ऐसा नमूद किया गया है।

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